बाराबंकी के किसानों ने एग्रीकल्चर में बनाई एक अलग पहचान, इन फसलों की खेती से कर रहे मोटी कमाई

बाराबंकी के किसानों ने एग्रीकल्चर में बनाई एक अलग पहचान, इन फसलों की खेती से कर रहे मोटी कमाई

ड्रिप संयंत्र की स्थापना से पहले जो स्ट्रॉबेरी उनके यहां पैदा होती थी अब वह लगभग दुगना पैदा हो रही है. इस प्रकार इस योजना से किसानों को काफी अच्छा लाभ प्राप्त हो रहा है. 

Advertisement
बाराबंकी के किसानों ने एग्रीकल्चर में बनाई एक अलग पहचान, इन फसलों की खेती से कर रहे मोटी कमाई बाराबंकी जिले के किसान अब महाराष्ट्र के केले को टक्कर दे रहे हैं. (Photo-Kisan Tak)

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में खेती किसानों की अब पहली पसंद है. इस जनपद के कई किसान अलग-अलग फसलों की खेती से साल में मोटी कमाई कर रहे हैं. इन सबके बीच पहला नाम आता है बाराबंकी जनपद के प्रगतिशील किसान पद्मश्री रामशरण वर्मा का, जिनका हाईटेक फार्म इलाके में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. वर्मा द्वारा किए गए केले की खेती में लगे फलों को देखकर यूपी की कृषि उत्पादन आयुक्त, मोनिका एस गर्ग भी मुरीद हो गईं. बीते दिनों किसानों के खेतों का निरक्षण करने पहुंची एपीसी ने उद्यान विभाग के अधिकारियों से उनके फार्म पर केले की टिश्यू कल्चर लैब बनाने को कहा, ताकि स्थानीय स्तर पर पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके.

कृषि उत्पादन आयुक्त ने वहां पर उपस्थित किसानों से कहा कि उनको रामसरन वर्मा से प्रेरणा लेते हुए उनकी अपनाई तकनीक से औद्यानिक फसलों की खेती करने से उन्हें भी काफी आय प्राप्त हो सकती है. वहीं विकासखंड मसौली के ग्राम याकूतगंज में उद्यान विभाग द्वारा संचालित 'पर ड्रॉप मोर क्राप;- माइक्रोइरिगेशन योजना के लाभार्थी किसान राजाराम, सुनील कुमार और चंद्रभान के खेत पर लगे मिनी स्प्रिंकलर संयंत्र लगाया है. सफल किसान राजाराम ने बताया कि हम तीन लोगों का मिलाकर कुल 24,644 रुपए लगे हैं और उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से इसपर 1,97,288 रुपए का अनुदान प्राप्त हुआ है.

स्प्रिंकलर सिंचाई से अच्छी पैदावार

लाभार्थी ने बताया कि इससे जहां पानी की बचत हो रही है वहीं दूसरी ओर फसल की नियमित सिंचाई होने पर पौधों की बढ़वार में एकरूपता भी परिलक्षित हो रही है. इस समय धान की फसल लगी हुई है जिसमें अच्छे उत्पादन होने की संभावना है और इसको लेकर वह उत्साहित हैं. वहीं पर उपस्थित अन्य किसानों ने बताया कि ड्रिप/ स्प्रिंकलर सिंचाई से केला की खेती और  मीनापुर ग्राम के किसान सुनील वर्मा ने बताया कि वह ड्रिप सिंचाई पद्धति से स्ट्रॉबेरी की खेती करते हैं जो उन्होंने आधा एकड़ से शुरू की थी और आज 5 एकड़ खेत में स्ट्रॉबेरी की खेती करने लगे हैं.

ड्रिप संयंत्र से जरबेरा की खेती में दुगनी पैदावार

ड्रिप संयंत्र की स्थापना से पहले जो स्ट्रॉबेरी उनके यहां पैदा होती थी अब वह लगभग दुगना पैदा हो रही है. इस प्रकार इस योजना से किसानों को काफी अच्छा लाभ प्राप्त हो रहा है. इससे जहां पानी की बचत होती है वहीं ड्रिप में खाद और दवा का भी पौधों की जड़ों के पास पहुंच जाने से गुणवत्तापूर्ण उत्पादन होता है और उपज भी ज्यादा हो जाती है. उनको एक एकड़ से करीब चार लाख रुपए की शुद्ध आमदनी हो चुकी है. इसी क्रम में रामनगर विकासखंड के ग्राम बेरिया में एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजनांतर्गत स्थापित पालीहाउस में जरबेरा की खेती पॉलीहाउस में की जा रही है. किसान संदीप वर्मा, राकेश कुमार, सुमित और जनपद बाराबंकी में पालीहाउस में जरबेरा की खेती के जनक कहे जाने वाले देवा विकासखंड के किसान मोइनुद्दीन से उन्होंने बातचीत कर इस योजना के लाभ के बारे में जानकारी दी.

जरबेरा, गेंदा फूल, ड्रैगन फ्रूट से लेकर स्ट्रॉबेरी तक की खेती

उन्होंने बताया कि जरबेरा का फूल जो शादी विवाह और सजावट के अन्य कार्यों में काफी उपयोगी होता है, उसकी मंडी लखनऊ में उपलब्ध होने से किसानों को अच्छा आय प्राप्त हो रहा है. वहां पर एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के केला की खेती, ड्रैगन फ्रूट, स्ट्रॉबेरी, गेंदा फूल की खेती करने वाले किसान भी उपस्थित थे. बिशुनपुर के दुर्गेश मौर्य ड्रैगन फ्रूट का फल, केला की खेती करने वाले किसान रामनगर के पंकज शर्मा अपने साथ एक केले के घार लेकर आए थे जो लगभग 40 किलो का था जिसे देखकर कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि हमारे प्रदेश के किसान आज कितने आगे बढ़ चुके हैं जो एक केले के पौधे से 40 किलो तक का उपज प्राप्त कर रहे हैं और महाराष्ट्र के केले को टक्कर दे रहे हैं.

पॉलीहाउस के निर्माण में सब्सिडी बढ़ाने की अपील

इसी प्रकार मोइनुद्दीन ने बताया कि मिशन योजना के अंतर्गत पॉलीहाउस की जो इकाई लागत निर्धारण पूर्व से है और काफी दिनों से चली आ रही है अब महंगाई बढ़ने से लागत काफी बढ़ गई है, उन्होंने अनुरोध किया कि अगर इस लागत में कुछ बढ़ोतरी होकर सब्सिडी अधिक मिले तो किसानों को और अधिक फायदा होगा. बाराबंकी के जिला उद्यान अधिकारी महेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि राज्य सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयास में उद्यानिक फसलों को प्राथमिकता दे रही है. इसमें स्ट्रॉबेरी जैसी फसलों का समावेश महत्वपूर्ण है. स्ट्रॉबेरी की खेती पर 1.25 लाख रुपये की इकाई लागत पर 40% अनुदान दिया जा रहा है, जिसमें प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि शामिल है. किसानों को इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए हॉर्टिकल्चर पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा.

पान की खेती में 50 प्रतिशत तक सब्सिडी

उन्होंने बताया कि पान विकास से संबंधित योजनाएं प्रदेश के मात्र 21 जिलों में संचालित है जिनमें से बाराबंकी भी एक है. यहां भी कई किसान पान की खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं. राज्य सरकार पान की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान भी उपलब्ध कराती है. पान विकास की दो योजनाएं हैं- गुणवत्तायुक्त पान उत्पादन प्रोत्साहन योजना और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, जिसके अंतर्गत पान बरेजा निर्माण और रोपण सामग्री पर 50% का अनुदान सरकार लाभार्थी किसानों के बैंक खाते में देती है.

 

POST A COMMENT