पंजाब राज्य के लोगों को आने वाले दिनों में मुश्किलों से गुजरना पड़ सकता है. जल्द ही भीषण गर्मी की शुरुआत होने को है और इस बार राज्य में धान की बुवाई भी समय से पहले होगी. अब आप सोच रहे होंगे भला धान की रोपाई का आम जनता की मुश्किलों से क्या लेना-देना तो आप गलत हैं. बताया जा रहा है गर्मी और धान की जल्द रोपाई राज्य में बिजली के संकट को बढ़ा सकती है. ऐसे में जब भयंकर गर्मियां दस्तक देंगी तो आम नागरिक को बिजली की कटौती झेलने के लिए तैयार रहना होगा.
माना जा रहा है कि देश में इस बार अप्रैल से लेकर जून तक गर्मी के सारे रिकॉर्ड टूटने वाले हैं. मौसम विभाग (आईएमडी) की तरफ से भी आने वाले दिनों में ज्यादा गर्मी की भविष्यवाणी कर दी गई है. इस साल राज्य में बिजली की मांग में 8 फीसदी तक का इजाफा होने की आशंका है. अखबार द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार धान के मौसम में बिजली की मांग और बढ़ सकती है और यह अधिकतम 17,000 मेगावाट को पार कर सकती है. गौरतलब है कि राज्य में इस साल धान की रोपाई एक जून से शुरू होगी. जून 2022 में अधिकतम मांग 14,311 मेगावाट, जून 2023 में 15,293 मेगावाट और पिछले साल जून में 16,058 मेगावाट थी.
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अखबार ने ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के प्रवक्ता वीके गुप्ता के हवाले से बताया है कि क्लाइमेट चेंट की वजह से गर्मी इस बार बढ़ जाएगी. बिजली की मांग बढ़ने का यह एक प्रमुख कारण होगा. आईएमडी की एक रिपोर्ट के अनुसार आने वाले गर्मियों के महीने सामान्य से अधिक गर्म होने की संभावना है. इस वजह से राज्य में बहुत ज्यादा गर्मी वाले दिनों को झेलने के लिए जनता को तैयार रहना होगा. इसका मतलब साफ है कि बिजली की खपत भी ज्यादा होगी. उन्होंने यह भी कहा कि धान के मौसम की शुरुआत जल्दी होने के साथ बिजली की मांग में तेजी से इजाफा होने की आशंका है.
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पिछले साल पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (PSPCL) ने 16,058 मेगावाट की रिकॉर्ड बिजली मांग को सफलतापूर्वक पूरा किया था. हालांकि अप्रतिबंधित अधिकतम मांग 16,800 मेगावाट तक पहुंच गई थी. पीएसपीसीएल के एक पूर्व अधिकारी की मानें तो मांग में वृद्धि की वजह तापमान में वृद्धि और धान की रोपाई का चरम मौसम है. इस वजह से बिजली की खपत में भी खास इजाफा होता है. उन्होंने जानकारी दी कि इंडस्ट्री, घर और खेती, राज्य में कुल बिजली खपत का क्रमश: 38 फीसदी, 30 प्रतिशत और 19 फीसदी हिस्सा है.
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राज्य अपने खुद के रिसोर्सेज से 6,000 से 6,500 मेगावाट बिजली उत्पादन करता है. जबकि उसे बिजली खरीद समझौतों और बैंकिंग व्यवस्थाओं के जरिये से ग्रिड से करीब 10,000 मेगावाट बिजली मिलती है. इस साल, लहरा मोहब्बत, रोपड़ और गोइंदवाल साहिब में राज्य क्षेत्र की सभी थर्मल पावर यूनिट्स को उनकी अधिकतम क्षमता तक चलाया जाएगा. इसके अलावा, राजपुरा और तलवंडी साबो में निजी थर्मल प्लांट हैं. फिलहाल चिंता का विषय हाइड्रो पावर की उपलब्धता है. रंजीत सागर बांध और भाखड़ा जलाशय में पानी का स्तर कम होने के कारण हाइड्रो पावर उत्पादन कम हो सकता है.
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