No Farm loan waiver: `पहले कर्ज माफी का वादा, अब भरना होगा बकाया?` महायुति सरकार के अजित पवार पर भड़के किसान

No Farm loan waiver: `पहले कर्ज माफी का वादा, अब भरना होगा बकाया?` महायुति सरकार के अजित पवार पर भड़के किसान

महायुती की सरकार स्थापित होने के बाद इस साल पूरी कर्ज माफी होने की आस लगाए बैठे किसानों ने सोसाइटी और बैंक का कर्ज और बकाया ब्याज नहीं भरा था. विधानसभा के बजट सत्र में कर्ज माफी पर निर्णय होगा ऐसा किसानों को लग रहा था.

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`पहले कर्ज माफी का वादा, अब भरना होगा बकाया?` अजित पवार पर भड़के किसानपवार ने किसानों से समय पर किस्तें चुकाने की अपील की
Story highlights
  • 31 मार्च से पहले बकाया कर्ज लौटाएं किसान
  • किसानों की आर्थिक स्थिति खराब

विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Election) के महायुती ने जारी किए घोषणापत्र में किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी करने का वादा किया था, लेकिन इस साल में कर्ज माफी जैसी स्थिति नहीं है. ऐसे कहते हुए उपमुख्यमंत्री तथा वित्तमंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) ने 31 मार्च से पहले किसानों को बकाया कर्ज चुकाने की अपील की. इस बात पर अब किसान और किसान संगठनों ने नाराजगी जताई है.

31 मार्च से पहले बकाया कर्ज लौटाएं किसान
महायुती की सरकार स्थापित होने के बाद इस साल पूरी कर्ज माफी होने की आस लगाए बैठे किसानों ने सोसाइटी और बैंक का कर्ज और बकाया ब्याज नहीं भरा था. विधानसभा के बजट सत्र में कर्ज माफी पर निर्णय होगा ऐसा किसानों को लग रहा था. लेकिन बारामती में आयोजित किए गए एक कार्यक्रम के दौरान उपमुख्यमंत्री तथा वित्त मंत्री अजित पवार ने किसानों से 31 मार्च से पहले बकाया कर्ज भरने की अपील की. लेकिन, किसान संगठनों ने अजीत पवार के इस फैसले पर नाराजगी जताई है.

सरकार के पास किसानों के लिए पैसा नहीं
स्वाभिमानी किसान संगठन के युवा प्रदेश अध्यक्ष अमर कदम ने आज तक से बात करते हुए कहा कि यह सरकार किसानों को कई बातें करके चुनकर आई हुई सरकार है. सरकार के पास फिजूल खर्च के लिए पैसा है लेकिन किसानों के कर्ज माफी के लिए पैसा नहीं है. समृद्धि और शक्तिपीठ जैसे मार्ग बनाने के लिए उनके पास पैसा है. अभी किस बहुत बुरी हालत में है. कपास को दाम नहीं मिल रहे हैं, सोयाबीन के दाम नहीं मिल रहे, गन्ने का दाम साढे तीन हजार से ऊपर था अब 3000 से कम दाम मिल रहा है.

सरकार के पास किसानों का दाम बढ़ाने के लिए पैसा नहीं है वह किसानों के दाम घटा रहे हैं. किसानों को कर्ज माफी मिलनी चाहिए लेकिन सरकार अपने वादे से मुकर रही है. सरकार ऐसी ही चलती रही तो किसानों की हालत बत्तर हो सकती है. इसलिए किसान संगठन आक्रामक होकर मंत्रियों को रास्ते पर फिरने नहीं देगी.

किसानों की आर्थिक स्थिति खराब
बारामती के किसान विलास सस्ते ने कहा कि किसानों को उत्पाद के आधार पर काम नहीं मिल रहा है. चीनी के दाम बाजार में 4000 से ऊपर है लेकिन चीनी कारखाने के लोग किसानों को 2800 रुपए प्रति क्विंटल दाम दे रहे हैं. केंद्र सरकार का MSP 3500 रुपये है लेकिन किसानों को कम पैसा मिल रहा है. इसलिए किसानों की हालत बुरी है. इसलिए किसानों को कर्ज का भुगतान करना मुश्किल है. सोयाबीन का भी दाम 4000 रुपये मिल रहा है. उत्पाद के आधार पर 6000 रुपये दाम मिलना चाहिए. दूध के दाम भी 40 से 50 रुपए होने चाहिए लेकिन वह भी नहीं मिल रहे हैं. इसलिए किसानों की आर्थिक स्थिति खराब है इसी वजह से किसान कर्ज का बकाया ब्याज और कर्ज नहीं चुका रही है.

 

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