हर साल होने वाले बासमती फसल के सर्वे में देरी, एजेंसी पर फैसला नहीं ले पा रही Apeda

हर साल होने वाले बासमती फसल के सर्वे में देरी, एजेंसी पर फैसला नहीं ले पा रही Apeda

बासमती फसल सर्वे इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि राज्य सरकारें हरियाणा और पंजाब में किसानों को गैर-बासमती से बासमती की ओर शिफ्ट  करने की तरफ ध्यान केंद्रित कर रही हैं. साथ ही निर्यातकों को विदेशी खरीदारों के साथ बातचीत में मदद करना चाहती हैं. सर्वे के लिए चुनी गई एजेंसी को छह रिपोर्ट तैयार करनी हैं. पहली रिपोर्ट लीड्सकनेक्ट सर्विसेज ने 31 जुलाई, 2022 तक पेश कर दी है. 

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हर साल होने वाले बासमती फसल के सर्वे में देरी, एजेंसी पर फैसला नहीं ले पा रही Apedaबासमती की फसल के सर्वे में हो रही देरी

सरकार के तहत आने वाला बासमती एक्‍सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (बीईडीएफ) ने इस साल वार्षिक बासमती फसल सर्वेक्षण के लिए अभी तक टेंडर जारी नहीं किए हैं. जबकि गर्मी के मौसम में बोई गई पूसा बासमती 1509  की खेप मंडियों में आनी शुरू हो गई है. बीईडीएफ केंद्र सरकार के एग्रीकल्‍चरल एक्‍सपोर्ट प्रमोशन बॉडी Apeda के तहत आता है. पिछली बार फरवरी 2022 में टेंडर जारी किया गया था और जून 2022 में दो साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था. उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि बीईडीएफ को टेंडर पहले जारी करना चाहिए था ताकि एजेंसी बासमती की फसल के एक तय स्तर पर पहुंचने पर जमीन पर श्रमबल जुटा सके. 

क्‍यों महत्‍वपूर्ण है इस बार सर्वे 

अखबार बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार बासमती फसल सर्वे इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि राज्य सरकारें हरियाणा और पंजाब में किसानों को गैर-बासमती से बासमती की ओर शिफ्ट  करने की तरफ ध्यान केंद्रित कर रही हैं. साथ ही निर्यातकों को विदेशी खरीदारों के साथ बातचीत में मदद करना चाहती हैं. सूत्रों के हवाले से अखबार ने बताया कि सर्वे के लिए चुनी गई एजेंसी को छह रिपोर्ट तैयार करनी हैं. पहली रिपोर्ट लीड्सकनेक्ट सर्विसेज ने 31 जुलाई, 2022 तक पेश कर दी है. 

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क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ 

लीड्सकनेक्ट सर्विसेज, वह एजेंसी है जिसने सर्वे किया था. सूत्रों की मानें तो एजेंसी ने बीईडीएफ को जानकारी दी है कि वह कम समय में सर्वे कर सकती है. लेकिन इसके लिए भी एक हफ्ते में फैसला लेने की जरूरत है. एक विशेषज्ञ ने कहा, 'जब किसानों की तरफ से फसल की कटाई शुरू हो गई है तो फिर सर्वे का क्या मतलब है. इस तरह के फैसले समय पर और जल्दी होने चाहिए. अगर बीईडीएफ अभी टेंडर जारी करता है तो इसमें एक और महीना लगेगा और खरीफ की शुरुआती फसल वाली बासमती अक्टूबर से आनी शुरू हो जाएगी. 

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पिछली बार कब आई थी रिपोर्ट 

लीड्सकनेक्ट ने पिछले साल 31 जुलाई को पहली सर्वे रिपोर्ट पेश की थी. उस रिपोर्ट में अलग-अलग राज्यों में कुल धान के क्षेत्र और सैटेलाइट डेटा-बेस्‍ड फसल रकबे को मुहैया कराना था. रिपोर्ट में सभी धान के क्षेत्र सर्वे आधारित रकबे के अनुमान, बासमती किस्मों की जानकारी, सर्वे के दौरान खेत में पाई गई बाकी गैर-अधिसूचित चयनित किस्मों और अध्ययन क्षेत्र में बीज वितरण की जानकारी शामिल थी. 

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85 जिलों पर हुआ था सर्वे 

अध्ययन में कुल 85 जिलों को शामिल किया गया  जिसमें पंजाब के 23 जिले, उत्तर प्रदेश के 30, हरियाणा के 22, जम्मू और कश्मीर के 3, उत्तराखंड के 4, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के 2-2 जिले हैं. दिसंबर 2023 में पेश आखिरी रिपोर्ट के अनुसार, खरीफ 2023 के दौरान अध्ययन क्षेत्र में बासमती चावल का कुल रकबा 21,35,360 हेक्टेयर था. साथ ही उत्पादन 98,45,750 टन होने का अनुमान था.

 

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