गुजरात में बंपर जीरे का उत्पादन हुआ है. इस साल 9 अप्रैल तक, गुजरात के बाजार यार्ड में 54,487.74 मीट्रिक टन जीरे की आवक हुई है. खास बात यह है कि यह आंकड़ा पिछले साल की समान अवधि में 44,689.734 मीट्रिक टन से लगभग 22 फीसदी अधिक है. फेडरेशन ऑफ इंडियन स्पाइस स्टेकहोल्डर्स के प्रारंभिक फसल अनुमान के अनुसार, गुजरात और राजस्थान से जीरा उत्पादन पिछले साल के 3.3 लाख मीट्रिक टन से लगभग 70 प्रतिशत बढ़कर 5.6 लाख मीट्रिक टन हो गया है. ऐसे में कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में जीरे की कीमत में और गिरावट आ सकती है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, व्यापारियों ने कहा कि इस साल जीरे का रकबा अधिक है और इसलिए बड़ी फसल की उम्मीद है. उनकी माने तो पिछले साल जीरे की कीमत बहुत अधिक बढ़ गई थी. इससे किसानों ने ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए इस साल बड़े स्तर पर जीरे की खेती की. यही वजह है कि इस साल बंपर उपज की उम्मीद की जा रही है. हालांकि, एक्सपर्ट का कहना है कि मौसम में मामूली उतार-चढ़ाव के बावजूद कीमतें नियंत्रण में रहेंगी.
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एक वरिष्ठ कमोडिटी व्यापारी ने कहा कि उंझा मार्केट यार्ड में जीरे की कीमतें 32000 रुपये प्रति क्विंटल की ऊपरी सीमा तक पहुंच गई हैं. यह पिछले साल के अप्रैल के पहले सप्ताह के आसपास 42000 रुपये के बेंचमार्क से कम से कम 31 फीसदी कम है. उंझा की रिपोर्टों से पता चलता है कि हर दिन वहां के यार्ड में कम से कम 1000-1400 मीट्रिक टन जीरे की आवक हो रही है.
एफआईएसएस के एक अधिकारी ने कहा कि उंझा मार्केट यार्ड में आपूर्ति के आंकड़े पीक सीजन की तुलना में थोड़ा गिर गए हैं, जब दैनिक औसत जीरे की आवक 1,500-2,000 मीट्रिक टन थी. इसका मतलब है कि किसान बेहतर कीमतों की उम्मीद में जीरे का स्टॉक जमा कर रहे हैं. इस वर्ष फसल का अनुमान अधिक है और अब तक फसल बेमौसम बारिश से प्रभावित नहीं हुई है.
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बता दें कि बीते महीने खबर सामने आई थी कि 8 जनवरी तक गुजरात में जीरे का क्षेत्रफल 5.60 लाख हेक्टेयर था, जो पिछले साल के 2.75 लाख हेक्टेयर से लगभग 160 प्रतिशत अधिक है. हालांकि, सबसे बड़े इस उत्पादक राज्य में जीरा का सामान्य क्षेत्रफल 3.5 लाख हेक्टेयर है. वहीं, राजस्थान में, आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य में 8 जनवरी तक 6.90 लाख हेक्टेयर में जीरा बोया गया है, जो एक साल पहले के 5.50 लाख हेक्टेयर से 25 प्रतिशत अधिक है. ऐसे इस साल जीरे का कुल रकबा 12.50 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है, जो एक साल पहले के 9 लाख हेक्टेयर से 38 प्रतिशत अधिक है.
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