Soybean Farming: खरीफ सीजन में सोयाबीन की इन टॉप-5 किस्मों की खेती करें किसान, पैदावार के साथ कमाई बढ़ाने में भी हैं मददगार

Soybean Farming: खरीफ सीजन में सोयाबीन की इन टॉप-5 किस्मों की खेती करें किसान, पैदावार के साथ कमाई बढ़ाने में भी हैं मददगार

खरीफ सीजन के लिए किसान सोयाबीन की खेती की तैयारियों में जुटे हैं. लेकिन, अच्छी उपज पाने के लिए वह सही किस्मों के चयन को लेकर असमंजस में हैं. यहां हम टॉप 5 सोयबीन किस्मों के बारे में बता रहे हैं, जो पैदावार बढ़ाने के साथ ही किसानों की कमाई बढ़ाने में भी मददगार हैं.

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Soybean Farming: खरीफ सीजन में सोयाबीन की इन टॉप-5 किस्मों की खेती करें किसान, पैदावार के साथ कमाई बढ़ाने में भी हैं मददगारसोयाबीन की खेती

रबी फसलों की खेती के बाद किसान खरीफ फसलों की खेती की तैयारी में जुट जाते हैं. ताकि अच्छी उपज हासिल की जा सके. ऐसे में आज हम बात करेंगे खरीफ के मौसम में उगाई जाने वाली फसल सोयाबीन की. इसकी खेती में सबसे अधिक महत्वपूर्ण इसकी सही किस्मों का चयन करना होता है. खरीफ सीजन के ठीक पहले किसान इस समय असमंजस में है, क्योंकि मार्केट में सोयाबीन की कई वैरायटियां आ चुकी है. ऐसे में किसान यह फैसला नहीं कर पाते हैं कि कौन सी वैरायटी अच्छी है या कौन सी वैरायटी समय, परिस्थिति, मौसम और भूमि के अनुसार अच्छा उत्पादन देगी, तो आइए हम बताते हैं सोयाबीन की पांच उन्नत किस्मों के बारे में जो अच्छी उजप देंगी. 

जेएस 2034 किस्म

फसल से अच्छी उपज पाने के लिए जेएस 2034 की बुवाई कर सकते हैं. इस किस्म के दाने का रंग पीला, फूल का रंग सफेद और फली चपटी आकार की होती है. इस किस्म की बुवाई कम बारिश होने पर भी की जा सकती है. कम वर्षा वाले जगहों में किसान इस किस्म की बुवाई कर बेहतर उत्पादन ले सकते हैं. सोयाबीन जेएस 2034 किस्म का उत्पादन करीब एक हेक्टेयर में 24-25 क्विंटल तक होता है. यह फसल 80-85 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है.

एमएसीएस 1407 किस्म

एमएसीएस 1407 सोयाबीन की यह नव विकसित किस्म है. इसकी खेती असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर पूर्वी राज्यों में की जाती है. यह किस्म 39 क्विंटल उपज देती है. साथ ही ये किस्म गर्डल बीटल, लीफ माइनर, लीफ रोलर, स्टेम फ्लाई, जैसे प्रमुख कीटों के लिए प्रतिरोधी है. यह किस्म उत्तर पूर्व भारत की वर्षा आधारित परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है. ये किस्म 104 दिनों में तैयार हो जाता है. इसमें सफेद रंग के फूल, पीले रंग के बीज और काले हिलम होते हैं. इसके बीजों में तेल की मात्रा 19.81 प्रतिशत होती है.

जेएस 2069 किस्म

सोयाबीन के जेएस 2069 किस्म जल्दी तैयार होने वाली किस्म है. इस किस्म की बुवाई के लिए प्रति एकड़ 40 किलो बीज की आवश्यकता होती है. इस किस्म से एक हेक्टेयर में लगभग 22-26 क्विंटल उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. इस किस्म को तैयार होने में 85-86 दिनों का समय लगता है.  

बीएस 6124 किस्म

इस किस्म को बोने के लिए बीज की मात्रा 35-40 किलो बीज प्रति एकड़ की होती है. उत्पादन की बात करें तो इस किस्म से एक हेक्टेयर में लगभग 20-25 क्विंटल उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. इस किस्म को तैयार होने में 90-95 दिनों का समय लगता है. वहीं इस किस्म के फूल बैंगनी रंग के और पत्ते लम्बे होते हैं. साथ ही इसके बीजों में तेल की मात्रा 21 प्रतिशत होती है.

एनआरसी 181 किस्म

सोयाबीन की एनआरसी 181 किस्म सीमित वृद्धि वाली है. ये पीला मोजेक और टारगेट लीफ ऑफ स्पॉट रोग के लिए प्रतिरोधी है. इस किस्म की खेती भारत के मैदानी क्षेत्रों में की जाती है. खासकर के मध्य प्रदेश में, इस किस्म की तैयार होने में 93 दिन का समय लगता है और इसका औसत उत्पादन 16-17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

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