अक्टूबर में मटर की इन अगेती किस्मों की करें खेती, दो महीनों में मिलेगी बंपर उपज

अक्टूबर में मटर की इन अगेती किस्मों की करें खेती, दो महीनों में मिलेगी बंपर उपज

मटर की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा माना जाता है, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा मिलता है. किसानों को मटर की उन्नत अगेती किस्मों की बुवाई के लिए अक्टूबर का महीना सबसे उपयुक्त होता है. इससे कम समय में अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है.

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अक्टूबर में मटर की इन अगेती किस्मों की करें खेती, दो महीनों में मिलेगी बंपर उपजमटर की खेती

रबी की मुख्य फसल मटर एक महत्वपूर्ण सब्जी है. भारत में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है साथ इसकी खपत भी काफी अधिक है. हरी मटर के साथ-साथ सूखी मटर का भी काफी उपयोग किया जाता है. यही कारण है कि मटर की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा माना जाता है, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा मिलता है. किसानों को मटर की उन्नत अगेती किस्मों की बुवाई के लिए अक्टूबर का महीना सबसे उपयुक्त होता है. इससे कम समय में अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है. वहीं, मटर की इन किस्मों की सबसे खास बात यह है कि ये 50 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं मटर की पांच अगेती किस्मों के बारे में जिसकी खेती बेहतर पैदावार देती है और किसान इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं.

मटर की पांच अगेती किस्में

1- पंत मटर 155 किस्म: ये मटर की अगेती और हाइब्रिड किस्म है. इसे पंत मटर 13 और डी डी आर- 27  से विकसित किया गया है. इसकी बुवाई से 30 से 35 दिनों के अंदर ही इसमें फूल आने लगते हैं, जबकि इसकी हरी फलियों के रूप में पहली तुड़ाई 50 से 55 दिनों में कर सकते हैं. इस किस्म की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है. ये किस्म प्रति हेक्टेयर 150 क्विंटल तक पैदावार देने में सक्षम है.

2- काशी नंदिनी किस्म: काशी नंदिनी मटर की एक अगेती किस्म है. अगेती किस्मों में इस किस्म का प्रमुख स्थान है. ये किस्म बुवाई के लगभग 60-65 दिनों में तुड़ाई योग्य हो जाती है. इसकी एक फली में 7-9 दाने बनते हैं. वहीं, इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि पौधे में लगी सभी फलियां एक साथ तैयार हो जाती हैं जिससे बार-बार तुड़ाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है. इससे प्रति हेक्टेयर 110-120 क्विंटल मटर का उत्पादन किया जा सकता है.

3- PSM-3 किस्म: PSM-3 मटर की एक खास किस्म है. इस किस्म को जीबीपीयूएट, पंतनगर द्वारा विकसित किया गया है, मटर की पीएसएम-3 किस्म जल्दी तैयार होने वाली वैरायटी है. इसकी फलियां लंबी, घुमावदार और 8-9 बीजों वाली होती हैं. ये किस्म बुवाई के 60-75 दिन बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. यह किस्म चूर्णिल आसिता (पाउडरी मिल्ड्यू) के प्रति प्रतिरोधी है. इस किस्म से किसानों को औसत उपज 9 टन हेक्टेयर तक मिल सकता है.

4- अर्ली बैजर किस्म: मटर की ये एक विदेशी किस्म है, जिसके पौधों की फलियों में बनने वाले बीज झुर्रीदार पाए जाते हैं. इस किस्म का पौधा बौना दिखाई देता है. जिसके पौधे बीज रोपाई के लगभग 50 से 60 दिन बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. इस किस्म के पौधों की प्रत्येक फलियों में औसतन 5 से 6 दाने पाए जाते हैं.

5- काशी उदय किस्म: मटर की ये एक खास किस्म है. इसकी फलियों की लंबाई की बात करें तो 9 से 10 सेंटीमीटर लंबी होती है. प्रति एकड़ खेती करने पर किसानों को 42 क्विंटल मटर की पैदावार मिल सकती है. काशी उदय किस्म को कटाई के लिए पकने में 60 दिनों का समय लगता है.

किसान कैसे करें मटर की खेती

किसान अगर मटर की खेती प्लानिंग से करें तो इससे बंपर मुनाफा कमा सकते हैं. वहीं, मटर की खेती किसी भी तरह की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है. हालांकि गहरी दोमट मिट्टी इसके लिए परफेक्ट मानी जाती है. मटर की बुवाई बीजों के माध्यम से की जाती है. इसके लिए ड्रिल विधि का इस्तेमाल सबसे उपयुक्त है. पंक्तियों में बीजों को 5 से 7 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाया जाता है. ध्यान रखें कि इस फसल को समय-समय पर सिंचाई और खाद मिलती रहे.

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