पशुओं के लिए पोषण से भरपूर हरा चारा, ज्वार और मक्का की सफल खेती के राज

पशुओं के लिए पोषण से भरपूर हरा चारा, ज्वार और मक्का की सफल खेती के राज

खरीफ सीजन में हरे चारे की भरपूर पैदावार पाएं! जानिए ज्वार और मक्का की उन्नत किस्मों, बुवाई का सही समय, खाद-सिंचाई प्रबंधन और कटाई की सम्पूर्ण जानकारी.

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पशुओं के लिए पोषण से भरपूर हरा चारा, ज्वार और मक्का की सफल खेती के राजपशुओं के लिए वरदान है ये हरा चारा

पशुओं को खिलाने के लिए हरे चारे की आवश्यकता सबसे ज्यादा होती है, खासकर खरीफ के मौसम में. इस मौसम में ज्वार और मक्का जैसी फसलें हरे चारे के रूप में बहुत ही उपयोगी होती हैं. यह फसलें पशुओं को आवश्यक पोषण प्रदान करती हैं और उनके स्वास्थ्य और दूध उत्पादन में सुधार करती है और उन्हें बढ़ाने में मदद करती हैं. आइए जानते हैं ज्वार और मक्का की खरीफ में खेती से जुड़ी मुख्य बातें.

जलवायु और मिट्टी

ज्वार ऐसी फसल है जो अधिक तापमान और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी अच्छी उपज देती है. इसे लगभग सभी प्रकार की उपजाऊ भूमि में उगाया जा सकता है, लेकिन अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी में इसकी उपज अधिक होती है.

ज्वार की प्रमुख किस्में

ज्वार की किस्मों को दो भागों में बांटा जाता है:

1.एकल कटाई वाली किस्में

  • पूसा चरी-6, पूसा चरी-9, हरियाणा चरी-117, एमपी चरी, यूपी चरी-2
  • उपयुक्त क्षेत्र: सम्पूर्ण भारत
  • औसत उपज: 35-50 टन/हेक्टेयर

2.बहु कटाई वाली किस्में

  • एसएसजी-988, एसएसजी-898, पीसी-23, पीसी-29
  • उपयुक्त क्षेत्र: सम्पूर्ण भारत
  • औसत उपज: 120-130 टन/हेक्टेयर

बीज की कीमत

  • एकल कटाई वाली किस्में: 35-40 किग्रा/हेक्टेयर
  • बहु कटाई वाली किस्में: 20-25 किग्रा/हेक्टेयर
  • यदि खेत में खरपतवार की समस्या ज्यादा हो तो बीज दर थोड़ी बढ़ा दी जाती है.

बुवाई का समय और विधि

  • बहु कटाई वाली किस्में: मार्च में बोनी की जाती हैं (ग्रीष्मकाल के लिए)
  • एकल कटाई वाली किस्में: जून से अगस्त के बीच बोनी की जाती हैं (खरीफ के लिए)
  • बुवाई प्रायः छिड़काव या कतारों में (25-30 से.मी. की दूरी पर) की जाती है.

खाद प्रबंधन

  • सिंचित फसल: 60-80 किग्रा नाइट्रोजन + 40-50 किग्रा फास्फोरस
  • बहु कटाई किस्में: 80-100 किग्रा नाइट्रोजन + 50-60 किग्रा फास्फोरस

पोटाश और जिंक की कमी हो तो 40 किग्रा पोटाश और 10-20 किग्रा जिंक सल्फेट देना चाहिए. जैविक खादों का प्रयोग करने से लागत कम और उपज अधिक होती है.

सिंचाई और निराई

  • ग्रीष्मकालीन फसल: 3-5 सिंचाई
  • वर्षा ऋतु फसल: सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती
  • खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राजिन (1 किग्रा सक्रिय तत्व/1000 लीटर पानी) का छिड़काव बुवाई के तुरंत बाद करें.

कब और कैसे करें कटाई

  • कटाई 50-70 दिन बाद, जब पौधों में 50% फूल आ जाएं
  • बहु कटाई वाली किस्मों की पहली कटाई 50-60 दिन, और अगली कटाई हर 25-35 दिन में करें.

मक्का की चारे के रूप में खेती

मक्का का हरा चारा कार्बोहाइड्रेट, खनिज, विटामिन A और E से भरपूर होता है. इसका साइलेज भी बहुत अच्छा बनता है, जिससे पशुओं को साल भर पोषण मिलता है.

प्रमुख किस्में और जलवायु

मक्का की वृद्धि कम तापमान और उच्च आर्द्रता में अच्छी होती है. अधिक गर्मी और कम नमी में पौधे जल सकते हैं.अफ्रीकन टाल: 55-80 टन/हेक्टेयर (उपयुक्त: सम्पूर्ण भारत). मक्का की प्रमुख किस्म विजय कम्पोजिट, मोती कम्पोजिट जो 35-47 टन/हेक्टेयर तक पैदावार देती है.

खेत की तैयारी

  • एक जुताई मिट्टी पलट हल से, फिर 3-4 जुताइ हैरों से करें.
  • यदि नमी न हो तो पलेवा करके खेत तैयार करें.

बीज की कीमत

  • सामान्यतया 50-60 किग्रा/हेक्टेयर
  • खरपतवार की स्थिति में 70 किग्रा/हेक्टेयर तक बढ़ा सकते हैं.

खरीफ मौसम में ज्वार और मक्का चारे की सबसे उपयुक्त और पोषक फसलें हैं. सही समय पर बुवाई, उन्नत किस्मों का चुनाव, उचित खाद-सिंचाई प्रबंधन और समय पर कटाई से किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं. इससे पशुधन को पौष्टिक चारा मिलता है और दुग्ध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है.

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