जानकारों का मानना है कि 2024-25 में वैश्विक कपास बाजार के लिए स्थिति कुछ हद तक निराशाजनक हो सकती है. प्रमुख क्षेत्रों में उत्पादन में बढ़त के बावजूद खपत में कमी की आशंका बनी हुई है, जो कपास की कीमतों को प्रभावित कर सकती है.
फिच सॉल्यूशंस की इकाई बीएमआई ने एक शोध में कहा कि आने वाला सीजन कपास उत्पादन के लिए अच्छा है, लेकिन खपत में कमी की संभावना के कारण कीमतों पर दबाव बने रहने की संभावना है. उनका मानना है कि वैश्विक कपास बाजार में कीमतें अपेक्षाकृत स्थिर रह सकती हैं, क्योंकि उत्पादन में बढ़त और खपत मांग में कमी का असर एक साथ बाजार पर पड़ेगा.
इंटरनेशनल कॉटन एडवाइजरी काउंसिल (ICAC) ने 2024 के लिए एक बयान में कहा कि पिछले कुछ सालों में अमेरिका के कॉटन उत्पादों के आयात में आधे से ज़्यादा की गिरावट आई है. चीन से अमेरिका का कॉटन आयात 2010 में अपने उच्च स्तर पर था, लेकिन अब इसमें लगभग आधे की गिरावट आई है. हालांकि, मानव निर्मित फाइबर (MMF) का निर्यात बढ़ा है, जो कॉटन के साथ मुक़ाबला करता है और अमेरिकी आयात में गिरावट का एक कारण है.
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2024-25 में वैश्विक कपास उत्पादन में 6.3% की बढ़त का अनुमान है. कुल उत्पादन 120.3 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है. चीन, ब्राजील और अमेरिका जैसे प्रमुख उत्पादक देशों में फसल बेहतर होने की उम्मीद है, जिससे उत्पादन में बढ़त हो सकती है.
बीएमआई ने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और मिस्र जैसे देशों में अधिक खपत के कारण वैश्विक खपत में भी बढ़त हो सकती है. हालांकि, वैश्विक व्यापार में मामूली बढ़त के बावजूद बाजार में बहुतायत का अनुमान है, जिससे कीमतों पर असर पड़ेगा.
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सीजन 2024-25 के लिए कॉटन वायदा कीमतों में पहले ही गिरावट आ चुकी है. बीएमआई ने 2025 के लिए अपने कॉटन मूल्य पूर्वानुमान को 80 सेंट प्रति पाउंड से घटाकर 72.2 सेंट प्रति पाउंड कर दिया है. यूएसडीए ने अमेरिकी कॉटन के औसत कृषि मूल्य को भी घटाकर 63 सेंट प्रति पाउंड कर दिया है. इसके बावजूद, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि कीमतों में सुधार हो सकता है, खासकर अमेरिकी कॉटन निर्यात में बढ़त का कारण है.
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