मसाला फसलों में धनिया भी अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इसकी खुशबू और स्वाद के कारण इसे सब्जी में मसालों के साथ प्रयोग में लाया जाता है. बजार में हारा धनिया और धनिया के बीजो की मांग हमेशा हमेशा बनी रहती है. ऐसे में किसानों के लिए धनिये की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है. इसकी सबसे ज्यादा खेती पंजाब, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, बिहार, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कनार्टक और उत्तर प्रदेश में अधिक की जाती है.
किसानों के लिए धनिये की खेती बहुत लाभदायक होती है इसकी बुवाई के कुछ ही महीनों बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है. धनिये की बुवाई का उचित समय अक्टूबर से नंबवर का होता है, बजार में इसकी डिमांड बनी रहती है और दाम भी अच्छा मिलता है ऐसे में किसान कम समय में धनिये की उन्नत किस्मों का चयन कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों ले सकते हैं.
इस किस्म के दाने छोटे आकार के होते हैं. पौधों में सफेद रंग के फूल आते हैं. पौधों की ऊंचाई मध्यम होती है. इस किस्म के पौधे उकठा रोग एवं भूतिया रोग के प्रति सहनशील है. फसल को पक कर तैयार होने में 115 से 120 दिनों का समय लगता है. प्रति एकड़ खेत में खेती करने के लिए 5.6 से 6 क्विंटल तक पैदावार होती है.
इस किस्म के दाने छोटे, टाल वैरायटी, गुलाबी फूल, उकठा एवं स्टेमगाल प्रतिरोधक, भभूतिया सहनशील, पत्तियों के लिए उपयुक्त, 0.25 प्रतिशत तेल की मात्रा और फसल पकने की अवधि 130 से 140 दिन तथा उपज क्षमता 9 से 11 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होती है.
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इस किस्म के पौधे मध्यम ऊंचाई के होते हैं. दाने बड़े एवं अंडाकार होते हैं. इस किस्म के पौधे उकठा रोग, स्टेमगाल रोग एवं भभूतिया रोग के प्रति सहनशील है. फसल को पक कर तैयार होने में 140 से 150 दिन का समय लगता है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 7.2 से 8 क्विंटल तक पैदावार होती है.
असिंचित क्षेत्रों में खेती के लिए यह उपयुक्त किसमें है. इस किस्म के पौधे मध्यम ऊंचाई के होते हैं एवं शाखाएं सीधी होती हैं. दानों का आकार भी मध्यम होता है.इस किस्म के पौधों में पत्तियां अधिक आती हैं.हरी पत्तियां प्राप्त करने के लिए इस किस्म की खेती प्रमुखता से की जाती है. इस किस्म के पौधों में उकठा रोग, स्टेमगाल रोग एवं भभूतिया रोग का प्रकोप कम होता है. फसल को पक कर तैयार होने में 110 से 130 दिनों का समय लगता है. प्रति एकड़ खेत में खेती करने पर 4.1 से 5.2 क्विंटल तक पैदावार होती है.
इस धनिया की उन्नत किस्म का दाना मध्यम आकार का, अच्छी सुगंध, पौधे मध्यम ऊंचाई के, उकठा, स्टेमगाल प्रतिरोधक और फसल अवधि 120 से 125 दिन तथा इस किस्म की पैदावार क्षमता 19 से 21 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है.
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