मिर्च भारत की प्रमुख मसाला फसल है. भारत में लगभग 7,92000 हेक्टेयर में मिर्च की खेती की जा रही है. जिससे लगभग 12,23000 टन उत्पादन प्राप्त होता है. भारत में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और राजस्थान प्रमुख मिर्च उत्पादक राज्य हैं. जिनसे कुल उत्पादन का 80 प्रतिशत प्राप्त होता है. मिर्च की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है जिसमें पर्याप्त मात्रा में कार्बनिक पदार्थ और उचित जल निकासी की सुविधा हो. मिर्च की फसल जलभराव को सहन नहीं कर सकती. हालांकि, मिर्च को पीएच 6.5-8.00 (वर्टिसोल) वाली मिट्टी में भी उगाया जा सकता है. मिर्च की खेती के लिए 15-35 डिग्री सेल्सियस तापमान और गर्म आर्द्र जलवायु उपयुक्त है. वहीं अगर आप भी मिर्च की खेती से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो मिर्च की खेती में प्लास्टिक पलवार लगाएं और जानें इसके 5 बड़े फायदे.
मिर्च की फसल की आधुनिक खेती में सिंचाई के लिए ड्रिप विधि के साथ-साथ 30 माइक्रोन मोटाई की सिल्वर ब्लैक रंग की प्लास्टिक मल्चिंग शीट का उपयोग किया जाता है. इससे खरपतवार प्रबंधन में मदद मिलती है और साथ ही सिंचाई के पानी की मात्रा भी कम होती है. इससे मिर्च में रस चूसने वाले कीटों का प्रकोप कम होता है और उपज में 40 से 50 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.
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आमतौर पर मिर्च में पहली निराई 20-25 दिन बाद और दूसरी 35-40 दिन बाद की जाती है या डोरा या कोल्पा का इस्तेमाल किया जाता है. हाथ से निराई या डोरा/कोल्पा को प्राथमिकता दें. प्लास्टिक मल्च का इस्तेमाल करने से न केवल खरपतवार नियंत्रित होते हैं बल्कि मिट्टी की नमी भी बनी रहती है.
उच्च तकनीक वाली खेती से संकर किस्मों से प्रति एकड़ 100-125 क्विंटल हरी मिर्च या 20-25 क्विंटल लाल सूखी मिर्च प्राप्त की जा सकती है. मिर्च की उपज मौसम, किस्म और फसल प्रबंधन के अनुसार कम या ज्यादा हो सकती है.
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