अजवाइन एक ऐसी व्यापारिक फसल है, जिसकी खेती करके किसान काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. अजवाइन का प्रयोग हमारी रसोई में खाने की वस्तुओं में मसाले के रूप में होता है. वहीं इसका औषधीय में भी महत्व माना जाता है. सब्जियों में मसाले के रूप में इसका प्रयोग होने के साथ-साथ अजवाइन में कई प्रकार के औषधीय गुण भी पाए जाते हैं. अजवाइन का प्रयोग कई रोगों में घरेलू इलाज के तौर पर किया जाता है. पेट की समस्याएं जैसे कि पेचिस, हैजा, कफ, ऐंठन और बदहजमी आदि रोगों में इसका प्रयोग काफी लाभदायक होता है.
इसका उपयोग गले में खराबी, आवाज फटने, कान दर्द, चर्म रोग, दमा आदि रोगों की औषधि बनाने के लिए भी किया जाता है. इससे इसकी बाजार मांग हमेशा बनी रहती है. ऐसे में किसानों के लिए अजवाइन की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती हैं. अजवाइन की खेती के लिए सितंबर अक्टूबर से का महीना सबसे उपयुक्त होता है. खरीफ सीजन चालू है, ऐसे में किसान सही तरीके के इसकी खेती कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों ले सकते हैं.
भारत में अजवाइन की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, बिहार, आंध्रप्रदेश तथा मध्यप्रदेश शामिल है. राजस्थान में अजवाइन की खेती प्रमुख रूप से चितौडगढ़ एवं झालावाड़, उदयपुर, कोटा, बूंदी, राजसमन्द, भीलवाड़ा, टोंक, बांसवाड़ा आदि जिलों में की जाती है.
अजवाइन की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ मिट्टी की जरूरत होती है जिसका पी.एच. मान 6.5-8 के मध्य होना चाहिए. इसकी खेती के लिए हल्की बलुई दोमट मिट्टी उत्तम मानी जाती है. इसकी खेती अधिक नमी या जलभराव वाली भूमि में नही करनी चाहिए.अजवाइन की खेती करने के लिए खेत का पीएच मान 6.5 से 8 के बीच का होना चाहिए.
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लाभ सलेक्शन
यह अजवाइन की जल्दी तैयार होने वाली किस्म है.इसकी खेती ज्यादातर राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों में की जाती है,यह किस्म रोपाई के लगभग 130 से 140 दिन बाद पककर कटने के लिए तैयार हो जाती है. इसका उत्पादन 8 से 9 क्विंटल प्रति एकड़ तक होता है.
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अजवाइन की इस किस्म को नेशनल रिसर्च फॉर सीड स्पाइस, तबीजी, अजमेर द्वारा देरी से पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म का औसतन उत्पादन 15 क्विंटल तक का है. इस किस्म की खेती सभी तरह की मिट्टी में की जा सकती है. इस किस्म की रोपाई करने के लगभग 170 दिन के आसपास पककर कटने के लिए तैयार हो जाती है.
अजवाइन की फसल की रोपाई बीज और पौधे लगाकर, दोनों ही तरीके से कर सकते हैं. पौधों की खेत में रोपाई करने के लिए पौधों को नर्सरी में एक महीने पहले ही तैयार कर लिया जाता है. यदि आप खेत में बीजों की बुवाई करना चाहते हैं तो बुवाई से पहले बीजों को बाविस्टीन की सही मात्रा से उपचारित कर लेना चाहिए। इसके बाद इसके बीजों की खेत में बुवाई कर देना चाहिए.
अजवाइन के पौधे की रोपाई के लगभग 140 से 160 दिन बाद फसल काटने के लिए तैयार हो जाती है. अजवाइन के पौधों में लगने वाले गुच्छे पकने के बाद भूरे रंग के दिखाई देने लगते हैं.उस समय इसके पौधों की कटाई कर उन्हें खेत में इकट्ठा करके अच्छे से सूखा लिया जाता है. जब इसके दाने अच्छे से सूख जाये तब इन गुच्छों को लकड़ी की डंडी से पीटकर दानों को अलग कर लिया जाता है.
अजवाइन की किस्मों के अनुसार प्रति एकड़ औसतन 10 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है. अजवाइन का बाजार में भाव 12 हजार रुपए से 20 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक का होता है. इससे किसान भाई एक एकड़ के खेत में अजवाइन की फसल की खेती करके सवा दो लाख रुपए तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं.
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