हरी पत्तेदार सब्जियों में पत्ता गोभी की खेती प्रमुखता से की जाती है. इसे बंद गोभी और कैबेज के नाम से भी जाना जाता है. इसकी खेती सितंबर के मौसम में की जाती है. पत्ता गोभी एक ऐसी फसल है जिसकी खेती कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक पत्ता गोभी पौधा लगाने के 60-80 दिन में तैयार हो जाती है. पत्ता गोभी को कच्चे सलाद के तौर पर अधिक खाया जाता है.
पत्ता गोभी की बुवाई के लिए सितंबर का महीना सबसे बेहतर माना जाता है. आइए जानते हैं भारत की पांच मशहूर पत्ता गोभी की किस्मों के बारे में जिसकी खेती बेहतर पैदावार देती है और किसान इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं.
अगर आप किसान हैं और इस सितंबर महीने में किसी फसल की खेती करना चाहते हैं तो आप पत्ता गोभी की कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं. इन उन्नत किस्मों में पूसा मुक्ता, अर्ली ड्रम हेड, क्विस्टो, क्रांति और प्राइड ऑफ इंडिया किस्में शामिल हैं. इन किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
इस किस्म का पत्ता गोभी गोल और सपाट होता है. इसके साथ ही यह माध्यम आकार का और हल्के हरे रंग का होता है. प्रत्येक फल का वजन डेढ़ से दो किलो तक होता है. यह किस्म काली सड़न रोग के प्रति सहनशील होती है. ये किस्म प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 10 से 12 टन तक पैदावार देती है.
यह जल्दी पकने वाली किस्मों में से एक है. इस किस्म की पत्ता गोभी चपटे और मध्यम से लेकर बड़े आकार की होती है. इसके प्रत्येक फल का वजन दो से तीन किलोग्राम का होता है. ये किस्म प्रति एकड़ 8 से 12 टन तक पैदावार देती है.
यह पत्ता गोभी की संकर किस्मों में से एक है. इस किस्म के फल आकार में गोल और सख्त होते हैं. इसके प्रत्येक फल का वजन तीन से पांच किलोग्राम होता है. ये किस्म रोपाई के 80 से 85 दिनों बाद तैयार हो जाती है. ये किस्म प्रति एकड़ 14 से 16 टन तक उपज देती है.
यह जल्दी तैयार होने वाली संकर किस्म है. रोपाई के बाद फसल को तैयार होने में महज 60 से 65 दिनों का समय लगता है. इस किस्म के एक फल का वजन करीब एक किलोग्राम होता है. प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर करीब 8 टन तक पैदावार होती है.
यह पत्ता गोभी की जल्दी तैयार होने वाली किस्म है. इस पत्ता गोभी का आकार बड़ा होता है. इसका वजन एक से डेढ़ किलोग्राम का होता है.| यह किस्म बुवाई के करीब 70 से 80 दिनों में तैयार हो जाती है. औसत पैदावार 20 से 28 टन प्रति हेक्टेयर है.
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