ऐसा कोई पकवान या खाना नहीं, जिसमें टमाटर का इस्तेमाल न होता हो. टमाटर एक ऐसी फसल है, जिसकी मांग बाजार में सालों भर रहती है. इस लिहाज से देश के कई राज्यों में टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है. राजस्थान, कर्नाटक, बिहार, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र में प्रमुख रूप से टमाटर की खेती की जाती है. टमाटर की फसल औसतन 150 दिनों में तैयार हो जाती है. बाज़ार में इसके भाव उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरते रहते हैं, लेकिन मांग हमेशा रहती है.
टमाटर की बुवाई के लिए सितंबर का महीना सबसे बेहतर माना जाता है. आइए जानते हैं भारत की पांच मशहूर टमाटर की किस्मों के बारे में जिसकी खेती बेहतर पैदावार देती है और किसान इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं.
अगर आप किसान हैं और इस सितंबर महीने में किसी फसल की खेती करना चाहते हैं तो आप टमाटर की कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं. इन उन्नत किस्मों में पूसा गौरव, अर्का विशेष, अर्का अभेद, अर्का मेघली और अर्का रक्षक किस्में शामिल हैं. इन किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
इस टमाटर की किस्म के फल चिकने और मध्यम आकार के होते हैं. फलों का छिलका मोटा होता है. इसलिए इन्हें दूर बाजारों में बिक्री के लिए भेजना आसान माना जाता है. इस किस्म को सितंबर के महीने में उगाया जाता है. इसकी औसत पैदावार 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.
इस किस्म के टमाटर का उपयोग प्यूरी, पेस्ट, केचअप, सॉस, बनाने के लिए किया जाता है. इस किस्म से किसान 750 से 800 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन ले सकते हैं. इसके एक फल का वजन 70 से 75 ग्राम का होता है.
ये टमाटर की एक हाइब्रिड किस्म है. ये किस्म 140 से 150 दिनों की फसल है. इसका एक फल 90-100 ग्राम का होता है. टमाटर की इस किस्म की खेती से किसान प्रति हेक्टेयर 70 से 75 टन की उपज ले सकते हैं. इस किस्म की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी है.
टमाटर की इस किस्म की उत्पादन क्षमता तकरीबन 18 टन प्रति हेक्टेयर है. अगर बात करें इसके फल की तो वो मध्यम आकार का होता है. इसका वजन 65 ग्राम होता है. टमाटर की ये किस्म 125 दिनों में तैयार हो जाती है. ये किस्म सितंबर महीने के लिए उपयुक्त है.
यह उच्च उपज वाली एफ, संकर किस्म मानी जाती है, जो टमाटर के तीन प्रमुख रोगों, पत्ती मोड़क विषाणु, जीवाणु झुलसा और अगेती धब्बे की प्रतिरोधी है. ये किस्म 140 दिन में तैयार हो जाने वाली टमाटर उपयुक्त किस्म है. इस किस्म की खेती करने में प्रति हेक्टेयर 75 से 80 टन उत्पादन मिलता हैं.
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