हिमाचल के कांगड़ा में इस साल 23000 टन हो सकता है आम का उत्पादन, जानें कितने हेक्टेयर में होती है खेती

हिमाचल के कांगड़ा में इस साल 23000 टन हो सकता है आम का उत्पादन, जानें कितने हेक्टेयर में होती है खेती

हिमाचल प्रदेश के निचले इलाकों में आम की खेती की जाती है. खासकर कांगड़ा जिले का यह मुख्य फसल है और लगभग 21,600 हेक्टेयर में उगाया जाता है. हालांकि, अधिकारी आम के अधिक उत्पादन का श्रेय फूल आने की अवधि के दौरान अनुकूल तापमान और मौसम की स्थिति को देते हैं.

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हिमाचल के कांगड़ा में इस साल 23000 टन हो सकता है आम का उत्पादन, जानें कितने हेक्टेयर में होती है खेतीहिमाचल में आम की बंपर उत्पादन की उम्मीद. (सांकेतिक फोटो)

देश के अधिकांश राज्यों में इस बार आम की कम पैदावार की बात कही जा रही है. लेकिन हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में इस साल इसकी पैदावार अधिक होने की उम्मीद है. बागवानी विभाग के अनुमान के अनुसार, इस साल आम का उत्पादन 23,000 मीट्रिक टन से अधिक होने की उम्मीद है, जो 2023 के 16,800 मीट्रिक टन से अधिक है. साल 2022 में उत्पादन लगभग 20,166 मीट्रिक टन था. कांगड़ा के उप निदेशक (बागवानी) डॉ. कमल शील नेगी ने कहा कि भीषण गर्मी और कम बारिश की वजह से इस साल भारत में कुल आम का उत्पादन कम है. उन्होंने कहा कि इसीलिए आम की कीमत अधिक है. लेकिन यहां उत्पादन अच्छा है और हमें उम्मीद है कि यह 23,000 मीट्रिक टन से अधिक होगा.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश के निचले इलाकों में आम की खेती की जाती है. खासकर कांगड़ा जिले का यह मुख्य फसल है और लगभग 21,600 हेक्टेयर में उगाया जाता है. हालांकि, अधिकारी आम के अधिक उत्पादन का श्रेय फूल आने की अवधि के दौरान अनुकूल तापमान और मौसम की स्थिति को देते हैं. जबकि पिछले साल बारिश ने इस पर प्रतिकूल प्रभाव डाला था. आम की कटाई का मौसम जुलाई तक रहता है, कुछ देर से पकने वाली किस्मों की कटाई अगस्त में भी की जाती है.

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गर्मी का आम पर पड़ा असर

हालांकि, पिछले कुछ महीनों में कम बारिश और हाल ही में गर्मी की स्थिति के कारण, इस साल आम का आकार छोटा है, जिसे बागवानी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जुलाई में बारिश की गतिविधि बढ़ने से कुछ हद आकार में सुधार हो सकता है. पिछले साल, खराब मौसम ने कांगड़ा में आम की पैदावार को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया था. विशेषज्ञों के अनुसार, आम का फूल आमतौर पर मार्च के पहले से तीसरे सप्ताह तक होता है, और मार्च के आखिरी सप्ताह में फल लगते हैं.

तीन साल में ही फल लगने शुरू

बाग ने बागवानी विशेषज्ञों के मुताबिक, कांगड़ा जिले में रोपाई के तीन साल बाद ही आम की उन्नत किस्मों का उत्पादन शुरू हो जाता है. संकर आम की किस्म- पूसा अरुणिमा, पूसा लालिमा, पूसा सूर्या, पूसा श्रेष्ठ, मलिका और चौसा है. इसकी खेती एचडीपी तकनीक का उपयोग करके की जाती है. ये किस्में तीन साल में ही फल देना शुरू कर देती हैं, जबकि पारंपरिक किस्मों के लिए छह से सात साल लगते हैं. एचडीपी प्रणाली में, इन संकर किस्मों के 1,111 पौधे एक हेक्टेयर में उगाए जा सकते हैं, जबकि पारंपरिक किस्मों के केवल 100 पौधे ही उसी क्षेत्र में लगाए जा सकते हैं. 

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