
बिहार की राजधानी पटना से करीब 10 किलोमीटर की दूरी तय करने पर वैशाली जिले की सीमा प्रारंभ हो जाती है. इस दूरी को तय करने के लिए महात्मा गांधी सेतु पार करना होता है, लेकिन आप जैसे ही गंगा नदी को पार करेंगे, केले के बड़े-बड़े बागान दिखने शुरू हो जाएंगे. इन बागानों की पहचान हाजीपुर का केला या चिनिया केला के तौर पर होती है. इसकी खेती करने वाले किसानों के हाल क्या हैं, ये जानने के लिए किसान तक की टीम वैशाली जिले के बिंदुपुर प्रखंड अंतर्गत पकौली गांव पहुंची. जहां किसान अमरेंद्र कुमार सिंह से मुलाक़ात हुई. ये कहते हैं कि यहां के किसानों के जीविकोपार्जन का मुख्य स्रोत केले की खेती है. करीब साढ़े 4 एकड़ में इन्होंने भी केले की खेती की हुई है. गंगा नदी के दियारा क्षेत्र में किसान गेहूं की खेती के साथ केले की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं.
बता दें कि वैशाली जिले में करीब 4200 हेक्टेयर के आसपास केले की खेती होती है और यहां के चिनिया केले की डिमांड देश सहित दुनिया के कई देशों में हैं.
अमरेंद्र सिंह कहते हैं कि बाजार में चिनिया केला कर्नाटक, असम, बंगाल सहित अन्य राज्यों से भी आता है, लेकिन उनमें हाजीपुर के केले जैसी मिठास नहीं होती है. इस केले की लंबाई सिर्फ 4 से 5 इंच तक होती है. ये अन्य चिनिया केलों की तुलना में मोटा होता है. जब यह पक जाता है तो इसमें एक अलग ही सुगंध रहता है. क्षेत्रीय भाषा में चिनिया केला को अलपान केला कहा जाता है. केले के पेड़ की लंबाई 17 से 18 फिट तक होता है.
पकौली गांव सहित आसपास के कई गांवों में केले की खेती केवल खेत तक ही सीमित नहीं है. बल्कि हर खाली स्थान व घर के सामने केले के पेड़ लगे हुए दिख जाएंगे. सिंह ने भी साढ़े चार एकड़ में केले की खेती कर रखी है. ये कहते हैं कि एक एकड़ की खेती करने में करीब 10 से 15 हजार रुपये तक खर्च आता है. जबकि एक साल में एक एकड़ से 70 हजार रुपये से अधिक की कमाई हो जाती है. बाजार में फरवरी से लेकर नवंबर तक हाजीपुर का केला बिकता है. जबकि नवंबर से जनवरी तक दूसरे राज्यों के आने वाले चिनिया केले समेत अन्य प्रजातियों के केले बिकते हैं. वो आगे कहते हैं कि यहां के किसान एक पेड़ से कई सालों तक फल लेते हैं.
आखिरकार सभी लाभ हानि को बताते हुए किसान अमरेंद्र सिंह कहते हैं कि इसमें कमाई तो है, लेकिन पिछले कई वर्षों से बढ़िया दाम नहीं मिल रहा है. एक घार केला ढाई सौ लेकर तीन सौ तक ही बिकता है. अगर सरकार इसके दाम को लेकर भी कुछ करे, तो एक एकड़ में एक लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है. हाल के समय में कर्नाटक का चिनिया केला 50 रुपये से 60 रुपये प्रति दर्जन बिक रहा है.
केले में लगने वाले फल से कमाई तो होती ही है. इसके साथ ही इसके पत्ते को जानवरों के चारे में उपयोग किया जाता है. साथ ही सूखे पत्ते को जलावन के तौर पर उपयोग करते हैं.
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