
समय के साथ खेती में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है. किसान परंपरागत खेती के साथ व्यवसायिक खेती की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. एक ऐसे ही किसान धीरज सिंह हैं, जो तीन वर्षों से रजनीगंधा फूल की खेती कर रहे हैं. फूलों की खेती से चारों ओर सुगंध तो फैल ही रहा है. साथ ही इससे होने वाली कमाई से धीरज आर्थिक रूप से समृद्ध भी बन रहे हैं.
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पांच साल से रजनीगंधा फूल की खेती के अनुभव के आधार पर कहते हैं कि आज फूल की खेती ने दो रुपये का आदमी बना दिया है. साथ ही समाज में फूल वाले किसान के रूप में पहचान दिलाया है. जो आज से चार से पांच साल पहले ऐसा कुछ नहीं था.
10 कट्ठा में लगी रजनीगंधा के खिले हुए फूलों को देख पटना जिले के विष्णुपुरा निवासी धीरज सिंह एक मंद मुस्कान के साथ कहते हैं कि आज से पांच साल पहले गांव के ही एक नर्सरी में काम करता था. वहां फूलों की खेती से जुड़ी जानकारी हासिल करके खेती की ओर कदम बढ़ाया. रजनीगंधा फूल की मांग को देखते हुए इसकी खेती शुरू की. आज इसकी खेती से रोजाना दो से ढाई हजार रुपये आराम से कमा लेता हूं. जो धान, गेहूं सहित अन्य फसलों की खेती से संभव नहीं है. आज मात्र दस कट्ठे में फूल की खेती से इतनी कमाई हो जाती है कि घर का पालन पोषण के साथ जेब में हजार दो हजार रुपये हमेशा बने रहते हैं. रजनीगंधा फूल की खेती कमाई का बेहतर विकल्प है लेकिन धीरज सिंह कहते हैं कि रजनीगंधा फूल की खेती भी कमाई का आसान व सरल माध्यम है. केवल शुरुआती 4 से 5 महीने खेती पर ध्यान देना है. उसके बाद 4 साल तक इसके फूलों को बेचकर कमाई करनी है. इसका बाजार कभी भी 400 से कम नहीं रहता है. ये आगे बताते हैं कि इस फूल की खेती से महीने का 25 हजार रुपये आसानी से कमा लेते हैं. वहीं प्रति कट्ठा इसकी खेती में दो हजार रुपये से अधिक का खर्च आता है. वहीं सालाना देखरेख में हजार रुपये तक का खर्च है.
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लम्बे समय तक सुगंधित तथा ताजा बने रहने के कारण रजनीगंधा फूल की मांग रहती है. इस फूल की उत्पत्ति मेक्सिको देश में हुई है. इसकी मुख्य रूप से दो किस्म एकहरी और दोहरी है. इस फूल की खेती के लिए दोमट व बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. वहीं किसान जिस खेत में फूल की खेती करने वाले हैं. उस खेत में प्रति एकड़ 7 से 8 टन तक गोबर मिलाकर दो से तीन बार जुताई करनी चाहिए. साथ ही खेत से खरपतवार हटा देना चाहिए. वहीं उस खेत का चयन करना चाहिए, जहां जलजमाव कम होता हो. इसकी खेती के लिए उपयुक्त महीना मार्च और जून माना जाता है. इस समय में लगाए गए पौधे में लम्बे और अच्छे फूल खिलते हैं.
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