
बासमती चावल का मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) 1200 डॉलर प्रति मीट्रिक टन तय करने के बाद करीब दो महीने तक इंडस्ट्री में हाहाकार मचा रहा. यह माहौल बनाया गया कि केंद्र के इस फैसले की वजह से बासमती चावल के अंतरराष्ट्रीय बाजार पर पाकिस्तान कब्जा कर रहा है क्योंकि उसके यहां से एक्सपोर्ट होने वाले बासमती का दाम भारत के मुकाबले कम हो गया है. लेकिन, सरकार ने इस थ्योरी को खारिज कर दिया है. एक्सपोर्ट को लेकर आई केंद्र सरकार की ताजी रिपोर्ट इस बात की तस्दीक कर रही है कि इतने एमईपी के बावजूद निर्यात कम नहीं हुआ है. बल्कि पिछले साल के मुकाबले बासमती का एक्सपोर्ट काफी बढ़ गया है. हालांकि, सरकार बासमती उद्योग और किसानों के विरोध के बाद इसका एमईपी घटाकर अब 950 डॉलर प्रति टन कर चुकी है.
केंद्र सरकार ने 26 अगस्त को बासमती पर 1200 डॉलर प्रति टन का एमईपी लगा दिया था. इंडस्ट्री के भारी विरोध और सरकार के साथ कई दौर की बातचीत के बाद इसे 26 अक्टूबर को घटाकर 950 डॉलर किया गया था. यानी दो महीने तक एमईपी 1200 डॉलर प्रति टन रहा. एक्सपोर्ट इंडस्ट्री की ओर से इन्हीं दो महीनों में एक्सपोर्ट घटने का दावा किया जा रहा था. लेकिन पिछले साल सितंबर-अक्टूबर के मुकाबले इस साल इन दो महीनों में एक्सपोर्ट होने वाले चावल की मात्रा और उससे मिलने वाला पैसा दोनों बढ़ गया है.
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दरअसल, सरकार ने इस बात का खुलासा तब किया जब शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने लोकसभा में इससे जुड़ा सवाल उठाया. चूंकि बासमती एक्सपोर्ट में पंजाब की हिस्सेदारी ज्यादा है, वहां किसान बड़े पैमाने पर इसकी खेती करते हैं. वहां कई बड़े एक्सपोर्टर हैं. वो खुद वहीं की रहने वाली हैं इसलिए उन्होंने इस सवाल को संसद में उठा दिया. बादल ने पूछा कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य को 1200 अमरीकी डॉलर प्रति टन करने से पंजाब के किसानों की आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.
बादल ने कहा कि विदेशी बाजारों में बासमती की मांग के कारण ही किसान इसकी बुआई करते हैं. यह भी पूछा कि क्या 1200 डॉलर प्रति टन का एमईपी करने से देश में बासमती की कीमतों में कमी आएगी और पाकिस्तान का बासमती विदेशी खरीदारों को प्रतिस्पर्धी मूल्यों पर उपलब्ध होगा.
बादल के इन सवालों का जवाब वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने दिया. उन्होंने कहा कि बासमती चावल के निर्यात पर मूल्य सीमा तय करने का मकसद इसके निर्यात को प्रतिबंधित करना नहीं था. सरकार को इस आशय की विश्वसनीय फील्ड रिपोर्ट प्राप्त हुई थी कि गैर-बासमती सफेद चावल, जिसका निर्यात 20 जुलाई 2023 से प्रतिबंधित कर दिया गया है, को बासमती चावल के एचएस कोड के तहत निर्यात किया जा रहा था.
गैर-बासमती चावल के अवैध निर्यात को नियंत्रित करने के लिए, सरकार ने 26 अगस्त 2023 को एपीडा को बासमती निर्यात के लिए 1200 अमेरिकी डॉलर प्रति टन एमईपी लगाने का आदेश दिया था. इससे जुड़े लोगों के साथ बातचीत के बाद सरकार ने एमईपी घटाकर 950 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन कर दिया है. अनुप्रिया पटेल ने कहा कि बासमती चावल के निर्यात पर लगे मूल्य प्रतिबंध ने इसके एक्सपोर्ट को प्रभावित नहीं किया है.
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