पराली का रेट नहीं बढ़ने से बेलर मशीन के मालिक हुए परेशान, आर्थिक नुकसान का सता रहा है डर

पराली का रेट नहीं बढ़ने से बेलर मशीन के मालिक हुए परेशान, आर्थिक नुकसान का सता रहा है डर

किसान बेलर यूनियन के अध्यक्ष चरणजीत सिंह सक्कनवाली ने डीजल, श्रम और मशीनरी सहित बढ़ती इनपुट लागत पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि इससे किसानों के लिए बेलर खरीदना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने सरकार से धान की पराली के लिए उचित मूल्य तय करने का आह्वान किया और सुझाव दिया कि मशीनरी के लिए सब्सिडी का भुगतान सीधे विक्रेताओं को किया जाना चाहिए.

Advertisement
पराली का रेट नहीं बढ़ने से बेलर मशीन के मालिक हुए परेशान, आर्थिक नुकसान का सता रहा है डरबेलर मशीन मालिकों की बढ़ी चिंता. (सांकेतिक फोटो)

पंजाब के मुक्तसर जिले में बायोमास पावर प्लांट संचालकों ने इस साल धान की पराली के दाम में कोई बदलाव नहीं किया है. ऐसे में बेलर मालिकों को आर्थिक नुकसान का भय सता रहा है. उनका कहना है कि एक साल में लेबर चार्ज और अन्य खर्च बढ़ गए हैं. ऐसे में यदि बायोमास पावर प्लांट संचालक पराली के रेट नहीं बढ़ाते हैं, तो लागत निकालना मुश्किल हो जाएगा. उनके मुताबिक, पिछले साल की तरह ही इस साल भी 169 रुपये प्रति क्विंटल ही पराली के दाम हैं. इसलिए सरकार को इसमें दखल देना चाहिए.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ बायोमास प्लांटों में एक साल पुराना पराली का स्टॉक अभी भी बचा हुआ है. वहीं, मुक्तसर जिले में एक प्रमुख प्लांट ने अपनी मशीनरी को अपग्रेड किया है. इसके चलते स्थिति और जटिल हो गई है, जिससे पिछले साल की तुलना में धान की पराली की मांग में कमी आई है. हालांकि, पराली के रेट में बदलाव को लकेर बेलर मालिकों और बायोमास प्लांट के प्रतिनिधियों के बीच जिला प्रशासन व कृषि विभाग ने मध्यस्थता करने का प्रयास किया है. इसके बावजूद भी रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया.

ये भी पढ़ें- Mango: उत्तर प्रदेश में आम की बागवानी लाखों किसानों के लिए कमाई का जरिया, वैज्ञानिकों ने बताई चुनौतियां

क्या कहते हैं यूनियन के अध्यक्ष चरणजीत सिंह

किसान बेलर यूनियन के अध्यक्ष चरणजीत सिंह सक्कनवाली ने डीजल, श्रम और मशीनरी सहित बढ़ती इनपुट लागत पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि इससे किसानों के लिए बेलर खरीदना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने सरकार से धान की पराली के लिए उचित मूल्य तय करने का आह्वान किया और सुझाव दिया कि मशीनरी के लिए सब्सिडी का भुगतान सीधे विक्रेताओं को किया जाना चाहिए, जैसा कि पहले किया जाता था. उन्होंने तर्क दिया कि इस प्रणाली से किसानों को केवल अपना हिस्सा ही देना होगा, जिससे बेलर में निवेश करने के लिए और अधिक प्रोत्साहन मिलेगा, जिसकी कीमत 20 लाख रुपये तक हो सकती है.

2.03 लाख हेक्टेयर में में धान की हुई है खेती

मुक्तसर जिले में इस साल धान और बासमती की खेती 2.03 लाख हेक्टेयर में की गई है, जिसमें अनुमानतः 12.10 लाख मीट्रिक टन धान की पराली पैदा होने की उम्मीद है. मुक्तसर के मुख्य कृषि अधिकारी गुरनाम सिंह ने बेलर मालिकों की चिंताओं को स्वीकार किया, लेकिन कहा कि मशीनरी अपग्रेड के कारण प्रमुख बायोमास संयंत्रों में से एक कम पराली खरीदेगा.

पराली जलाने वाले 21 हॉटस्पॉट की पहचान

उन्होंने यह भी बताया कि पराली जलाने वाले 21 हॉटस्पॉट की पहचान की गई है. साथ ही स्थिति की निगरानी करने तथा बिना जलाए धान की पराली के प्रबंधन के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त किए गए हैं. बायोमास पावर प्लांट के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि अभी पराली का रेट 169 रुपये प्रति क्विंटल है. उन्होंने कहा कि संयंत्रों के लिए पराली की वास्तविक लागत उनके परिचालन व्यय को देखते हुए 300 रुपये प्रति क्विंटल है.

ये भी पढ़ें-  UP Weather: यूपी के किन इलाकों में आज हो सकती है बारिश? IMD का सामने आया बड़ा अपडेट

क्या होती है बेलर मशीन और कैसे करती है काम

स्ट्रा बेलर एक ऐसी मशीन है जो धान की पराली को खेतों में इकट्ठा करके छोटे-छोटे गट्ठर बना देती है, जिससे किसानों को खेत में पराली जलाने की समस्या से समाधान मिलता है. साथ ही खेतों में मिट्टी सुरक्षित रहती है. ऐसे में पराली प्रबंधन के लिए स्ट्रा बेलर एक बेहतरीन मशीन है.


 

POST A COMMENT