मोदी सरकार की पहल के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) ने वर्ष 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया है. यूएन की इस घोषणा के बाद मोटे अनाज यानी श्रीअन्न ने बाजार में अपना विस्तार किया है. कृषि और प्रसंस्कृत निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने एक्सपोर्टर्स की तरफ से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आधार पर बताया है कि वर्ष 2023 को इंटरनेशनल ईयर घोषित किए जाने के बाद घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में इसकी बिक्री में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
इसके अलावा मोटे अनाज और उसके उत्पादों के बारे जागरूकता और सुपरमार्केट में मोटे अनाज उत्पादों को आ जाने से भी इसमें वृद्धि हुई है. उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि सरकार के अथक प्रयासों के कारण ही ग्राहकों ने भी मोटे अनाज की मांग को शुरू किया, जो अब तक मुश्किल था.
वहीं पिछले कुछ वर्षों में मोटे अनाज और उससे बने उत्पादों का एक्सपोर्ट बढ़ रहा है. वर्ष 2019-20 में 434 करोड़ रुपये के लगभग 1.29 लाख टन मोटे अनाज और उससे बने सामान का शिपमेंट बढ़कर 1.59 लाख टन से अधिक हो गया, जिसका मूल्य बढ़कर 2021-22 में 480 करोड़ रुपये हो गया. बढ़ती हुई मांग को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मार्च 2021 में अपने 75वें सत्र में 2023 को मोटे अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया गया. साथ ही इस वित्त वर्ष में भारत मोटे अनाज के एक्सपोर्ट में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है.
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एपीडा ने कहा कि, मोटे अनाज 2023 के अंतरराष्ट्रीय वर्ष की घोषणा को व्यापक रूप से भी श्रीअन्न उत्पादों को विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाने के लिए एक महान बूस्टर के रूप में माना जा रहा है. इस वित्तीय वर्ष भारत का निर्यात 100 मिलियन डॉलर के करीब बढ़ रहा है और यह 2024-25 तक दोगुना हो जाएगा. एपीडा ने शिपमेंट को बढ़ावा देने के लिए 30 से अधिक संभावित बाजारों और उत्पादों की एक श्रृंखला और संभावित सोर्सिंग बिंदुओं की पहचान की है. अंगमुथु ने कहा कि, हमारे पास इस कारण का समर्थन करने के लिए निर्यातकों, खरीदारों, एफपीओ और स्टार्ट-अप की एक सूची है.
इस बढ़ती हुई मांग का समर्थन करते हुए. पिछले कुछ वर्षों में भारत के मोटे अनाज का उत्पादन भी बढ़ा है. एपीडा ने एफएओ के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि वर्ष 2019-20 के दौरान लगभग 10.25 मिलियन टन से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 13.21 मिलियन टन हो गया.
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