मछली पालन का संबंध नीली क्रांति से है. किसानों की आर्थिक आय बढ़ाने के लिए पशुपालन और मछली पालन हमेशा से ही बेहतर विकल्प रहा है. देश में नीली क्रांति को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से ढेरों योजनाएं चलाई जा रही हैं. मछली पालन करने के साथ-साथ मछुआरों को विशेष सब्सिडी भी देने का प्लान है. इस तरह से प्रोत्साहित करने वाली योजनाओं का परिणाम रहा है कि आज देश मछली उत्पादन करने वाले शीर्ष देशों की सूची में शामिल हुआ है. इसके अलावा मछुआरों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार देखने को मिला है.
इसी के तहत मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के मछुआरों के लिए 'मछुआ शिक्षण प्रशिक्षण योजना' ले कर आई है. इस योजना के अंतर्गत मछुआरों को मछली पालन से लेकर मछलियों के उत्पादन तक की सभी जरूरतों और क्रियाकलापों का विशेष प्रशिक्षण देती है. इसके अलावा उन्हें प्रशिक्षण केंद्र तक आने का एक बार के किराए का भी भुगतान करती है. आइए इस योजना को विस्तार से समझते हैं.
'मछुआ शिक्षण प्रशिक्षण योजना' के तहत सरकार द्वारा प्रशिक्षण लेने वाले मछुआरों को उनके घरों से प्रशिक्षण केंद्र तक जाने के लिए किराया या अधिकतम 100 रुपये दिया जाता है. 750 रुपये की छात्रवृत्ति दी जाती है. साथ ही जाल को बुनने के लिए 400 रुपये का नायलॉन धागा भी निशुल्क उपलब्ध कराया जाता है. इस प्रकार से सरकार सभी प्रशिक्षार्थीयों पर 1250 रुपये का खर्च करती है. यह योजना राज्य के सभी जिलों में संचालित किया गया है.
मछुआ शिक्षण प्रशिक्षण योजना का उद्देश्य,
— Fisheries Department, MP (@fisheries_mp) March 25, 2023
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उज्जवल हो मछुआ समुदाय का भविष्य |#JansamparkMP pic.twitter.com/LIhbYzeZqI
इस योजना के तहत राज्य के मछुआरों को मछली पालन के तकनीक, मछली पकड़ने के तकनीक, जाल को बुनने और उसे सुधारने का तकनीक, नाव चलाने के तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाता है. इस योजना का लाभ चयनित मछुआरों को ही दिया जाता है. मछुआरों को जिले में स्थित मत्स्याबीज उत्पादन केंद्रों पर विभाग के अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है. इसमें मछुआरों को 15 दिनों तक इन सारी चीजों के लिए प्रशिक्षित किया जाता है.
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