भारत सरकार ने गर्मियों में की जाने वाली खेती के रकबे की जानकारी जारी कर दी है. इसका आंकड़ा केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने जारी किया है. इस आंकड़े में 12 मई 2023 तक की पूरी जानकारी दी गई है. हालांकि अभी इसमें और भी बढ़ोतरी देखी जाएगी क्योंकि फसलों की बुआई आगे तेज होगी. कृषि मंत्रालय की ओऱ से जारी आंकड़े में अनाज, तिलहन, दलहन और मोटे अनाजों की रिपोर्ट दी गई है. पिछले एक साल से तुलना करते हुए इसमें रकबे की बढ़ोतरी या गिरावट के बारे में जानकारी दी गई है. सबसे पहले नाम आता है चावल का जिसमें 12 मई तक रकबे में 1.91 लाख हेक्टेयर की गिरावट दर्ज की गई है जबकि दालों में 1.17 हेक्टेयर की तेजी है. इस आंकड़े में एक साल की तुलना की गई है जिसमें किसी फसल का रकबा बढ़ा है, तो किसी का घटा है. कुल मिलाकर इस साल फसलों की बुआई में 1.19 लाख हेक्टेयर की कमी देखी जा रही है.
रिपोर्ट में कहा गया है, हरा चना पिछले साल 14.97 लाख हेक्टेयर में बोया गया था जबकि इस साल इसकी बुआई 16.14 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की गई है. इस तरह 1.17 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी देखी जा रही है. इसी तरह काला चना के रकबे में भी 0.05 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी है. हालांकि अन्य दालों के रकबे में 0.05 लाख हेक्टेयर की कमी देखी जा रही है.
श्री अन्न यानी कि मोटे अनाजों की जहां तक बात है तो पिछले साल जहां 11.30 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती की गई थी. वहीं इस साल 0.43 लाख हेक्टेयर वृद्धि के साथ यह 11.73 लाख हेक्टेयर में पहुंच गई है. इसमें ज्वार, बाजरा, रागी और मक्के के रकबे की जानकारी दी गई है. ज्वार का रकबा पिछले साल 0.18 लाख हेक्टेयर था जो इस बार 0.07 लाख हेक्टेयर बढ़कर 0.25 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है. बाजरे में इस साल 0.71 लाख हेक्टेयर की वृद्धि है. दूसरी ओर, मक्के के रकबे में 0.29 लाख हेक्टेयर की कमी है. पिछले साल 6.94 लाख हेक्टेयर में मक्के की खेती की गई थी जबकि इस साल अभी तक 6.65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही इसकी खेती हुई है.
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तिलहन के रकबे में 0.89 लाख हेक्टेयर की कमी है. पिछले साल इसी अवधि में 10.85 लाख हेक्टेयर में तिलहन की खेती हुई थी, जबकि इस साल 9.96 लाख हेक्टेयर में खेती हुई है. इसमें मूंगफली में 0.57 लाख हेक्टेयर की कमी दर्ज की गई है. हालांकि सूरजमुखी के रकबे में मामूली 0.01 लाख हेक्टेयर की तेजी है. तिल की खेती में 0.11 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी है. अन्य तिलहनों में 0.43 लाख हेक्टेयर की कमी दर्ज की गई है.
चावल के रकबे की प्रमुख तौर पर बात हो रही है. इस साल 27.89 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई है जबकि इसी अवधि में पिछले साल 29.80 लाख हेक्टेयर में खेती हुई थी. इसमें बंगाल में 7.90 लाख हेक्टेयर, तेलंगाना में 4.77 लाख हेक्टेयर, कर्नाटक में 3.29 लाख हेक्टेयर, असम में 3.02 लाख हेक्टेयर, ओडिशा में 1.95 लाख हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 1.64 लाख हेक्टेयर, तमिलनाडु में 1.48 लाख हेक्टेयर, आंध्र प्रदेश में 1.12 लाख हेक्टेयर, गुजरात में 0.79 लाख हेक्टेयर, केरल में 0.59 लाख हेक्टेयर, छत्तीसगढ़ में 0.56 लाख हेक्टेयर, बिहार में 0.29 लाख हेक्टेयर और झारखंड में 0.05 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई है.
पिछले साल 18.44 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में दालों की खेती हुई थी, वहीं इस बार 19.61 लाख हेक्टेयर में खेती हो चुकी है. इसमें पहले स्थान पर मध्य प्रदेश है जहां 9.64 लाख हेक्टेयर में दालों की खेती हुई है जबकि दूसरे स्थान पर बिहार है जहां 3.77 लाख हेक्टेयर में खेती की गई है. इसके बाद तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बंगाल और गुजरात जैसे राज्यों के नाम हैं.
श्री अन्न यानी कि मोटे अनाजों की खेती में हल्की बढ़ोतरी देखी जा रही है. इस साल अभी तक 11.73 लाख हेक्टेयर में मोटे अनाजों की खेती हो चुकी है जबकि पिछले साल इसी अवधि में 11.30 लाख हेक्टेयर में खेती हुई थी. इसमें 3.25 लाख हेक्टेयर के साथ पहले स्थान पर गुजरात है जबकि 2.82 लाख हेक्टेयर के साथ यूपी दूसरे स्थान पर है. तीसरे नंबर पर बंगाल और उसके बाद महाराष्ट्र, बिहार और पंजाब हैं.
तिलहन की खेती में इस साल गिरावट है. पिछले साल 10.85 लाख हेक्टेयर में तिलहन की खेती हुई थी जबकि इस साल 9.96 लाख हेक्टयर रकबे में खेती हुई है. इसमें पहले नंबर पर बंगाल (3.29 लाख हेक्टेयर) है जबकि दूसरे स्थान पर गुजरात (1.77 लाख हेक्टेयर) है. इसके बाद यूपी, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा के नाम हैं.
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कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल 70.39 लाख हेक्टेयर में सभी फसलों की बुआई हुई थी, लेकिन इस बार यह रकबा 69.20 लाख हेक्टेयर है. इस तरह 12 मई 2023 तक रकबे में 1.19 लाख हेक्टेयर की कमी देखी जा रही है.
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