Cucumber Farming: खीरा अब मुनाफे की सब्जी के तौर पर बोया जा रहा है. अगर किसान खीरे की खेती वैज्ञानिक विधि से करें तो इसकी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. खीरा ऐसी फ़सल है, जिससे किसान कुछ महीनों में ही अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. लेकिन इसके लिए उन्हें शुरुआत से कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना होगा. यह कहना हैं बाराबंकी के कुतलूपुर गांव के रहने वाले किसान दिलीप कुमार का...जो बीते 3 वर्ष पहले एक बीघे से खीरे की खेती करते थे, उन्होंने ड्रिप विधि से खीरे की खेती की शुरुआत की. आज वह करीब 4 बीघे में खीरे की खेती कर रहे हैं. इस खेती से लगभग उन्हें 3 से 4 लाख रुपए मुनाफा सालाना हो रहा है.
किसान दिलीप कुमार ने बताया कि इसकी खेती करना बहुत ही आसान है. खीरे की खेती हम ड्रिप विधि से करते हैं. पहले हम खेत की जुताई करते हैं. उसके बाद पूरे खेत में बेड बनाते हैं. पन्नी के जरिए बेड को ढक देते हैं फिर इसमें एक से डेढ़ फीट पर खीरे के बीज की बुवाई कर देते हैं. इसमें ड्रिप बिछाते हैं जब पेड़ थोड़ा बड़ा होने लगता है तब इसकी ड्रिप के जरिए सिंचाई करते हैं. उसके बाद खेत में बांस के सहारे पौधे को डोरी से बांध दिया जाता है. जैसे पौधा सीधा रहता और जो फसल तैयार होती है वह बड़ी और अच्छी होती है. जिसे तोड़ने में भी आसानी होती है. वही पौधा लगाने के महज 60 से 65 दिनों के बाद फसल निकलना शुरू हो जाती है. और इसे हर दिन तोड़कर बाजारों में बेचा जा सकता है. यह फसल करीब दो महीने तक चलती है. जिसे कई बार तोड़कर बेचा जा सकता है.
खीरे की खेती करने वाले सफल किसान दिलीप ने बताया कि लागत करीब एक बीघे में 15 से 20 हजार रुपये आती है. क्योंकि इसमें बीज, बॉस, डोरी, पन्नी, ड्रिप, कीटनाशक दवाइयां, पानी, लेबर आदि का खर्च लगता है और वहीं मुनाफा करीब एक फसल पर 3 से 4 लाख रुपए तक हो जाता है. उन्होंने बताया कि बाराबंकी और लखनऊ तक उनका खीरा बिक्री के लिए जाता है. खीरा बहुत जल्दी तैयार होने वाली फसल है. इसकी बुवाई के दो महीने बाद ही इसमें फल लगना चालू हो जाता है. बता दें कि खीरा भोजन के साथ सलाद के रूप में कच्चा खाया जाता है. खीरे की फसल अवधि 45 से 75 दिन होती है, जिससे प्रति हेक्टेयर लगभग 100 से 150 क्विंटल पैदावार होती है. यह एक ऐसी फसल है जिससे छोटे किसान भी लाखों की कमाई कर सकते हैं.
एक एकड़ खेत के लिए 1.0 किलोग्राम बीज की मात्रा काफी है. ध्यान रहे बिजाई से पहले, फसल को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए और जीवनकाल बढ़ाने के लिए, अनुकूल रासायनिक के साथ उपचार जरूर करें. बिजाई से पहले बीजों का 2 ग्राम कप्तान के साथ उपचारित किया जाना चाहिए.
खीरे के फलों को कच्ची अवस्था में तोड़ लेना चाहिए जिससे बाजार में उनकी अच्छी कीमत मिल सके. फलों को एक दिन छोडक़र तोडऩा अच्छा रहता है. फलों को तेजधार वाले चाकू या थोड़ा घुमाकर तोडऩा चाहिए ताकि बेल को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचे. खीरे को तोड़ते समय ये नरम होने चाहिए, पीले फल नहीं होने देना चाहिए.
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