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बेमौसम बार‍िश से पंजाब में ही 40 फीसदी गेहूं की फसल बर्बाद!

बेमौसम बार‍िश से पंजाब में ही 40 फीसदी गेहूं की फसल बर्बाद!

पंजाब में 34.90 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में गेहूं की खेती की गई है. कृषि विभाग ने पिछले सप्ताह 180-185 लाख टन तक उत्पादन पहुंचने की उम्मीद के साथ बंपर फसल उत्पादन की भविष्यवाणी की थी. इसी बीच पंजाब के अधिकारियों ने रविवार को कहा है कि पंजाब के कई हिस्सों में बारिश से 15 लाख हेक्टेयर से अधिक गेहूं की फसल बुरी तरह से प्रभावित हुई है, जो कि बुवाई क्षेत्र का 40 प्रतिशत से अधिक है.

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बेमौसमी भारी बारिश और ओलावृष्टि की वजह से गेहूं का लगभग 40 प्रतिशत क्षेत्र प्रभावित, सांकेतिक तस्वीर बेमौसमी भारी बारिश और ओलावृष्टि की वजह से गेहूं का लगभग 40 प्रतिशत क्षेत्र प्रभावित, सांकेतिक तस्वीर

पिछले सप्ताह हुई बेमौसमी भारी बारिश और ओलावृष्टि की वजह से कई राज्यों की कई फसलें प्रभावित हुई हैं, जिनमें सबसे ज्यादा रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं प्रभावित हुई है. वहीं भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR) के वैज्ञानिकों ने कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs), कृषि और किसान कल्याण विभाग और अन्य संस्थानों की मदद से हाल की बेमौसम बारिश के कारण गेहूं की फसल को हुए नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है. इसी बीच पंजाब के अधिकारियों ने रविवार को कहा है कि पंजाब के कई हिस्सों में बारिश से 15 लाख हेक्टेयर से अधिक गेहूं की फसल बुरी तरह से प्रभावित हुई है, जो कि बुवाई क्षेत्र का 40 प्रतिशत से अधिक है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के कृषि विभाग के निदेशक गुरविंदर सिंह ने कहा क‍ि अगर फसल ठीक नहीं होती है, तो लगभग 15 फीसदी उपज का नुकसान होगा. प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, फाजिल्का, संगरूर, बठिंडा, बरनाला, फतेहगढ़ साहिब, तरनतारन और गुरदासपुर जिलों में काफी नुकसान हो सकता है. उन्होंने कहा कि कई जगहों पर फसल अभी भी बारिश के पानी में डूबी हुई है, जिससे अनाज का कलर उड़ सकता है. वहीं मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कटाई के लिए लगभग तैयार फसल पर प्रभाव का आकलन करने के लिए गिरदावरी (क्षेत्र निरीक्षण) का आदेश दिया है. एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट आने की उम्मीद है.

पंजाब में 34.90 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में होती है गेहूं की खेती

पंजाब में 34.90 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में गेहूं की खेती की गई है. कृषि विभाग ने पिछले सप्ताह 180-185 लाख टन तक उत्पादन पहुंचने की उम्मीद के साथ बंपर फसल उत्पादन की भविष्यवाणी की थी. वहीं, बारिश ने अब किसानों को काफी चिंता में डाल दिया है.

पटियाला के एक किसान बघेल सिंह के अनुसार, "बारिश ने खड़ी फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. पिछले कुछ सालों से मौसम की मार से फसल बुरी तरह प्रभावित हो रही है, खासकर तब जब फसल लगभग तैयार हो चुकी हो. हमें अपनी भविष्य की चिंता है." 

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यह लगातार दूसरा सीजन है जब गेहूं की फसल प्रभावित हुई है. पिछले साल, फसल को 13% की उपज का नुकसान हुआ था. 175 लाख टन की अनुमानित उपज के मुकाबले राज्य में केवल 150 लाख टन का उत्पादन हुआ था. 

29 मार्च से बारिश के साथ तेज हवाएं चलने की आशंका

मार्च में बेमौसम बारिश से फसल को भारी नुकसान हुआ है. इस साल, पिछले महीने औसतन 40 मिमी बारिश दर्ज की गई थी, जिसमें 40-50 किमी प्रति घंटे की तेज़ हवाएं थीं, जिससे काफी नुकसान हुआ है. मौसम विज्ञान विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी मनमोहन सिंह के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ की वजह से 29 मार्च से 3 से 4 दिनों तक बारिश के साथ तेज हवाएं चलने की आशंका है. कृषि विभाग के अधिकारी ने कहा, "यह राज्य के किसानों के लिए बहुत समस्याजनक होगा."

राज्य का कृषि विभाग फसल बीमा के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के कार्यान्वयन में तेजी लाने की कोशिश कर रहा है. अधिकारी ने कहा, "फरवरी में विभाग ने राज्य सरकार को एक विस्तृत प्रस्ताव भेजा था."

खरीफ सीजन से पीएमएफबीवाई लागू करने की तैयारी

मुख्य सचिव वीके जंजुआ ने कहा कि राज्य आगामी खरीफ सीजन से पीएमएफबीवाई लागू करने की तैयारी कर रहा है, जिस दौरान धान की खेती की जाती है. उन्होंने कहा कि सभी जिलों के उपायुक्तों को एक सप्ताह में गिरवाड़ी रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है.

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किसानों के समूह भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि प्राकृतिक आपदा कोष से किसानों को दिया गया मुआवजा उनके लिए फायदेमंद नहीं है क्योंकि यह फॉर्मूला एकतरफा है. उन्होंने कहा, "25 प्रतिशत तक के नुकसान के लिए मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है और सरकार द्वारा 15 प्रतिशत के नुकसान को स्वीकार करने का कोई मतलब नहीं है."

जंजुआ ने कहा कि राज्य सरकार इन मुद्दों से अवगत है और कोई रास्ता निकालेगी. उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री पहले ही मुआवजा बढ़ाने की घोषणा कर चुके हैं."