केंद्र के इस फैसले से 33 चीनी मिलों को हो सकता है नुकसान, 15000 करोड़ पर लगा 'ग्रहण', जानें पूरा मामला

केंद्र के इस फैसले से 33 चीनी मिलों को हो सकता है नुकसान, 15000 करोड़ पर लगा 'ग्रहण', जानें पूरा मामला

झुनझुनवाला ने कहा कि 2023-24 आपूर्ति वर्ष में इथेनॉल के लिए गन्ने के रस/सिरप के उपयोग पर तत्काल प्रभाव से अचानक प्रतिबंध लगाना, चीनी उद्योग के लिए एक बड़ा निवारक है. प्रतिबंध ने उद्योग को मुश्किल स्थिति में डाल दिया है, जिस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है.

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केंद्र सरकार के इस फैसले से 33 चीनी मिलों को हो सकता है नुकसान, 15000 करोड़ पर लगा 'ग्रहण', जानें पूरा मामलाचीनी मिलों को सरकार के इस फैसले से हो सकता है नुकसान. (सांकेतिक फोटो)

गन्ने के रस से इथेनॉल के उत्पादन पर केंद्र सरकार द्वारा बैन लगाए जाने से चीनी मिलों को नुकसान हो सकता है. इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (आईएसएमए) का कहना है कि केंद्र के इस फैसले से कम से कम 33 उन चीनी मिलों पर बुरा असर पड़ने की संभावना है, जिन्होंने इथेनॉल बनाने के लिए गन्ने को प्रोसेस्ड करने के लिए स्टैंडअलोन डिस्टिलरीज बनाई हैं. आईएसएमए की माने तो पिछले तीन साल के दौरान इस क्षेत्र में15,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है, जो अब जोखिम में है. 

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, आईएसएमए की वार्षिक बैठक में उद्योग निकाय के अध्यक्ष आदित्य झुनझुनवाला ने कहा कि इस साल गन्ना किसानों को भुगतान में देरी हो सकती है, क्योंकि इथेनॉल से राजस्व (तेल विपणन कंपनियों द्वारा तीन सप्ताह में मंजूरी दे दी जाती है), मिलों को गन्ना बकाया भुगतान करने में मदद मिलती है. जबकि गन्ना पेराई के 4 से 5 महीने बाद, चीनी पूरे साल बेची जाती है. ऐसे में राजस्व से कमाई तुरंत नहीं होती है.

59 रुपये प्रति लीटर करने की मांग की है

वहीं, आईएसएमए ने मिल मालिकों की वित्तीय सेहत में सुधार के लिए चीनी के उप-उत्पाद बी-हैवी और सी-हैवी गुड़ से बने इथेनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी की मांग की है. उन्होंने कहा कि आईएसएमए ने केंद्र से बी-हैवी गुड़ से बने इथेनॉल की कीमत मौजूदा 60.73 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 64 रुपये प्रति लीटर और सी-हैवी गुड़ से बने इथेनॉल की कीमत 49.41 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 59 रुपये प्रति लीटर करने की मांग की है.

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गुड़ को फीडस्टॉक के रूप में किया जाएगा उपयोग

झुनझुनवाला ने कहा कि 2023-24 आपूर्ति वर्ष में इथेनॉल के लिए गन्ने के रस/सिरप के उपयोग पर तत्काल प्रभाव से अचानक प्रतिबंध लगाना, चीनी उद्योग के लिए एक बड़ा निवारक है. प्रतिबंध ने उद्योग को मुश्किल स्थिति में डाल दिया है, जिस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है. दरअसल, केंद्र ने हाल ही में 2023-24 सीजन (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान चीनी उत्पादन में संभावित गिरावट को देखते हुए इथेनॉल के लिए गन्ने के रस या सिरप के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया. साथ ही केवल बी-भारी गुड़ को फीडस्टॉक के रूप में उपयोग करने की अनुमति दी है.

चीनी बेसलेंस शीट जारी करते हुए आईएसएमए ने कहा कि भारत ने 2022-23 विपणन वर्ष में 64 लाख टन चीनी का निर्यात किया और 2022-23 आपूर्ति वर्ष (दिसंबर से अक्टूबर) में पेट्रोल के साथ इथेनॉल का 12 प्रतिशत मिश्रण हासिल किया. 2023-24 से इथेनॉल आपूर्ति वर्ष बदलकर नवंबर-अक्टूबर कर दिया गया है, जबकि पहले यह दिसंबर-नवंबर था.

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763 करोड़ लीटर होगा  इथेनॉल का उत्पादन

झुनझुनवाला ने कहा कि 2023-24 में कुल चीनी उत्पादन 325 लाख टन (इथेनॉल के उपयोग के बिना) होने की उम्मीद है, जबकि घरेलू खपत 285 लाख टन होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि चूंकि सरकार 2023-24 आपूर्ति वर्ष में इथेनॉल के लिए 17 लाख टन चीनी के डायवर्जन की अनुमति दे सकती है. इसलिए अगले वर्ष के लिए 60 लाख टन की आगे की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए लगभग 19 लाख टन अधिशेष हो सकता है. उन्होंने कहा कि इथेनॉल के लिए अतिरिक्त 17-20 लाख टन चीनी के इस्तेमाल की गुंजाइश है. आईएसएमए ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में इथेनॉल उत्पादन क्षमता 283 करोड़ लीटर से बढ़कर 763 करोड़ लीटर हो गई है.

 

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