Fish Aadhar Card: मछलियों के भी बन रहे हैं आधार कार्ड, किस नदी की है मछली, होगी इसकी पहचान

Fish Aadhar Card: मछलियों के भी बन रहे हैं आधार कार्ड, किस नदी की है मछली, होगी इसकी पहचान

उत्तर प्रदेश में और पूरे देश में ऐसी पहली बार एक ऐसी व्यवस्था बनाई की गई है. जिन में आधार कार्ड वाली मछलियां गंगा नदी में छोड़ी जा रही हैं. जिस तरह से इंसानों का आधार कार्ड बनता है. इस तरह से मछलियों की पहचान के लिए उन्हें आधारित कर उनकी पहचान बनाने का काम किया गया है.

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Fish Aadhar Card: मछलियों के भी बन रहे हैं आधार कार्ड, किस नदी की है मछली, होगी इसकी पहचानFish Aadhaar Card

अब तक हमें इंसानों के आधार कार्ड के बारे में सुना है. लेकिन क्या आपने कभी सुना है की मछलियां का भी आधार कार्ड हो सकता है . जी हां, अब इंसानों के अलावा मछलियों के भी आधार कार्ड बनेंगे. कानपुर में मत्स्य मंत्रालय के मंत्री ने जानकारी दी कि अब लखनऊ में बने मत्स्कीय अनुसंधान में इंसानों की तरह मछलियों के आधार संबंधी जानकारी के लिए व्यवस्था की गई है. जिसके जरिए यह जानकारी मिल पाती है कि मछली किस नदी की है. कानपुर में मंत्री संजय निषाद ने गंगा बैराज स्थित अटल घाट से एक लाख मछलियों के बच्चों को गंगा नदी में छोड़ा है.

उनसे जब यह सवाल किया गया की मछलियों को और मत्स्य पालन को बढ़ाने के लिए लगातार सरकार काम कर रही है, लेकिन मछलियों को शिकार करने वाले लोग भी लगातार सक्रिय हैं.

ये हैं आधार कार्ड वाली मछलियां

तो इस पर उन्होंने कहा की उत्तर प्रदेश में और पूरे देश में ऐसी पहली बार एक ऐसी व्यवस्था बनाई की गई है. जिन में आधार कार्ड वाली मछलियां गंगा नदी में छोड़ी जा रही हैं. जिस तरह से इंसानों का आधार कार्ड बनता है. इस तरह से मछलियों की पहचान के लिए उन्हें आधारित कर उनकी पहचान बनाने का काम किया गया है. मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाए और नदियों के किनारे रहने वाले लोगों को रोजगार मिल सके, इसके लिए छोटी-छोटी समितियां बनाई गई हैं.

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अब माफिया राज पर लगेगा पूर्णविराम!

माफिया राज को खत्म करने के लिए यह कदम उठाया गया है. आने वाले समय में जिस तरह से यह नई पहल शुरू की जा रही है. इससे ना सिर्फ मत्स्य पालन मंत्रालय को बड़ा फायदा होगा, बल्कि माफिया राज पर भी रोक लगेगा. साथ ही लाखों लोग जो नदी के किनारे रहते हैं, उन्हें रोजगार भी मिल सकेगा. (सिमर चावला की रिपोर्ट)

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