Mandi Rates: खाद्य तेलों का बड़ा आयातक है भारत, फ‍िर भी क‍िसानों को एमएसपी से भी कम म‍िल रहा है सरसों का दाम

Mandi Rates: खाद्य तेलों का बड़ा आयातक है भारत, फ‍िर भी क‍िसानों को एमएसपी से भी कम म‍िल रहा है सरसों का दाम

Mustard Price: खाने वाले तेलों का आयातक होने के बावजूद हमारे क‍िसानों को सरसों का सही दाम नहीं म‍िल पा रहा है. हमारी आयात पॉल‍िसी ने क‍िसानों का बड़ा नुकसान क‍िया है. जो पैसा भारत के क‍िसानों को म‍िलना चाह‍िए वो इंडोनेश‍िया, मलेश‍िया, रूस, यूक्रेन और अर्जेंटीना में जा रहा है.

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Mandi Rates: खाद्य तेलों का बड़ा आयातक है भारत, फ‍िर भी क‍िसानों को एमएसपी से भी कम म‍िल रहा है सरसों का दामसरसों का क‍ितना है दाम (Photo-Ministry of Agriculture) 

बाजार में सरसों की नई फसल अभी चार महीने बाद आएगी इसके बावजूद मंड‍ियों में क‍िसानों को इसका सही दाम नहीं म‍िल रहा है. देश के ज्यादातर बाजारों में सरसों का दाम अभी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम ही है. रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए सरकार ने सरसों का एमएसपी 5450 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तय क‍िया हुआ है. जबक‍ि राजस्थान और हर‍ियाणा जैसे राज्यों में इसका औसत रेट 5000 या उससे भी कम है. यह हाल तब है जब भारत खाद्य तेलों का बड़ा आयात है. हम लोग हर साल करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये का खाद्य तेल दूसरे देशों से मंगा रहे हैं लेक‍िन, अपने देश के क‍िसानों को उच‍ित दाम नहीं दे पा रहे हैं. हमारे क‍िसान एमएसपी ज‍ितना भी रेट नहीं हास‍िल कर पा रहे हैं. 

कायदे से अगर हम क‍िसी कृष‍ि उत्पाद के आयातक हैं तो घरेलू बाजार में उसका दाम क‍िसानों को बहुत अच्छा म‍िलना चाह‍िए. लेक‍िन ऐसा नहीं हो रहा है. क्योंक‍ि खाद्य तेलों का आयात शुल्क इतना कम है क‍ि कारोबार‍ियों को बाहर से मंगाना यहां सरसों और सोयाबीन खरीदने की बजाय सस्ता पड़ रहा है. इसल‍िए आयातक होने के बावजूद हमारे क‍िसानों को सही दाम नहीं म‍िल पा रहा है. हमारी आयात पॉल‍िसी ने क‍िसानों को बड़ा नुकसान क‍िया है. जो पैसा भारत के क‍िसानों को म‍िलना चाह‍िए वो इंडोनेश‍िया, मलेश‍िया, रूस, यूक्रेन और अर्जेंटीना में जा रहा है. देश का सबसे बड़ा सरसों उत्पादक राजस्थान है, यहां पर ज्यादातर मंड‍ियों में सरसों का रेट एमएसपी से कम चल रहा है. 

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क‍िस मंडी में क‍ितना है दाम? 

  • खेड़ली मंडी में 14 द‍िसंबर को सरसों का न्यूनतम दाम 4,950, औसत दाम 5,320 और अध‍िकतम दाम 5,530 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा.
  • बारां में सरसों का न्यूनतम दाम 5,020, औसत भाव 5,240 और अध‍िकतम दाम 5,400 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. 
  • गंगापुर स‍िटी में 14 द‍िसंबर को सरसों का न्यूनतम दाम 5,115, औसत दाम 5,253 जबक‍ि अध‍िकतम दाम 5,529 रुपये क्व‍िंटल रहा. 
  • खानपुर में सरसों का न्यूनतम दाम 4,902, औसत दाम 5,199 और अध‍िकतम दाम 5,324 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. 
  • दौसा में 14 द‍िसंबर को सरसों का न्यूनतम दाम 4,752,  औसत दाम 5,215 और अध‍िकतम भाव 5,360 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. 
  • टोंक में सरसों का न्यूनतम दाम एमएसपी से काफी कम स‍िर्फ 4,500 रुपये क्व‍िंटल रहा. औसत दाम 5,134 जबक‍ि अध‍िकतम 5,386 रुपये रहा.  

 (यह सभी मंडी भाव ई-नाम से ल‍िए गए हैं)   

कम सरकारी खरीद भी है वजह

दरअसल, सरसों का दाम कम रहने की ए‍क वजह तो यह है क‍ि खाद्य तेलों पर इंपोर्ट ड्यूटी न के बराबर रह गई है. दूसरी वजह यह है क‍ि न‍ियमों के तहत सरसों की ज‍ितनी सरकारी खरीद होनी चाह‍िए थी वो नहीं हुई. उसकी स‍िर्फ एक त‍िहाई ही हुई है. कुल उत्पादन की कम से कम 25 फीसदी सरसों खरीद का न‍ियम है. इस ह‍िसाब से इस बार करीब 31 लाख टन की सरकारी खरीद होनी चाह‍िए थी. लेक‍िन हुई है स‍िर्फ 10,19,845 मीट्र‍िक टन की. इसल‍िए क‍िसानों को घाटा सहकर व्यापार‍ियों को औने-पौने दाम पर सरसों बेचनी पड़ रही है. दूसरी ओर, जनता को महंगा सरसों तेल म‍िल रहा है. क्योंक‍ि कारोबारी क‍ितना मुनाफा कमाएंगे इस पर कोई अंकुश नहीं है.   

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