महंगाई के चलते अरहर दाल की खपत में 20 प्रतिशत की गिरावट, अब तुअर की जगह इन दालों को लोग कर रहे पंसद

महंगाई के चलते अरहर दाल की खपत में 20 प्रतिशत की गिरावट, अब तुअर की जगह इन दालों को लोग कर रहे पंसद

ओलम एग्री इंडिया के व्यापार प्रमुख-दलहन अंकुश जैन ने कहा कि साल 2023 में अरहर दाल की खपत में 15 से 20 प्रतिशत तक गिरावट आई है. खास बात यह है कि घरेलू उपभोक्ता के किचन के अलावा होटल और रेस्तरां भी अरहर दाल की खपत में कमी आई है.

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महंगाई के चलते अरहर दाल की खपत में 20 प्रतिशत की गिरावट, अब तुअर की जगह इन दालों को लोग कर रहे पंसदअरहर दाल की खपत में गिरावट. (सांकेतिक फोटो)

महंगाई का असर अब खाद्य पदार्थों की खपत पर भी दिखने लगा है. खास कर रेट अधिक होने की वजह से लोगों ने अरहर दाल खाना कम कर दिया है. इससे इसकी खपत में भारी गिरावट आई है. वहीं, चना और हरी दाल की खपत बढ़ गई है. ऐसे में एक्सपर्ट का कहना है कि अरहर महंगी होने की वजह से लोग सस्ती दालों की तरफ रूख कर रहे हैं. 

द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट की मुताबिक, साल 2023 में अरहर दाल की खपत में 15 से 20 प्रतिशत तक गिरावट आई है. क्योंकि इसकी खुदरा कीमतों में बंपर बढ़ोतरी हुई है. जो अरहर दाल पिछले साल 130 से 140 प्रति किलो बिक रही थी, अब उसकी कीमत बढ़कर 200 रुपये किलो हो गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि दक्षिणी और पूर्वी भारत के किचन में अब अरहर दाल की जगह आयातित हरी दाल का उपयोग किया जा रहा है. जबकि उत्तरी और पश्चिमी भारत में लोग अरहर दाल के बदले चना दाल का उपयोग कर रहे हैं.

इन दालों का होता है सबसे अधिक उत्पादन

हालांकि, केंद्र सरकार कीमत अधिक होने की वजह से अरहर दाल के विकल्प के रूप में लोगों को चना दाल खाने की सलाह दे रही है. ऐसे चना दाल देश में सबसे अधिक उत्पादित और खपत की जाने वाली दाल है. चना दाल का उपयोग कई सारे खाद्य पदार्थ बनाने के लिए किया जाता है. जबकि, अरहर दाल का उपयोग केवल दाल के रूप में किया जाता है. उसमें भी चावल के साथ खाने के लिए अधिक किया जाता है. साथ ही सांबर और रसम जैसे दक्षिण भारतीय भोजन को तैयार करने में इसका उपयोग होता है.

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15 से 20 प्रतिशत की गिरावट

ओलम एग्री इंडिया के व्यापार प्रमुख-दलहन अंकुश जैन ने कहा कि साल 2023 में अरहर दाल की खपत में 15 से 20 प्रतिशत तक गिरावट आई है. खास बात यह है कि घरेलू उपभोक्ता के किचन के अलावा होटल और रेस्तरां भी अरहर दाल की खपत में कमी आई है. ऐसे में अरहर दाल की जगह हरी दाल और चना दाल ने ले ली है. 

इतनी हो गई कीमत

मुंबई स्थित दाल आयातक, सतीच उपाध्याय ने कहा कि रिटेल मार्केट में अरहर दाल की कीमतें 200 प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं. इसके बाद से अरहर दाल की कुल खपत में गिरावट आई है. दक्षिण भारत में, सरकारी टेंडर्स में अरहर दाल के स्थान पर हरी मसूर दाल को शामिल किया गया है. इस दाल का स्वाद अरहर की दाल जैसा होता है. 

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उत्पादन का अनुमान 2.8 से 3.4 मिलियन टन है

बता दें कि भारत में अरहर दाल की सलाना खपत 4.2 से 4.5 मिलियन टन है, जबकि स्थानीय उत्पादन का अनुमान 2.8 से 3.4 मिलियन टन है. ऐसे में मांग को पूरा करने के लिए अरहर दाल का आयात किया जाता है. देश में अरहर दाल आयात 2020 में 516,000 टन से बढ़कर 2022 में लगभग 965,000 टन हो गया. इस साल अरहर दाल का आयात 900,000 टन के करीब होने की उम्मीद है.

 

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