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Millets: वैल्यू चैन डवलपमेंट के लिए बाड़मेर का चयन, बाजरे के प्रोडक्ट बनने की संभावनाएं तलाशी

Millets: वैल्यू चैन डवलपमेंट के लिए बाड़मेर का चयन, बाजरे के प्रोडक्ट बनने की संभावनाएं तलाशी

भारत सरकार ने मिलेट वैल्यू चैन डवलपमेंट के लिए राजस्थान से सिर्फ बाड़मेर का चयन किया है. यह एक पायलट प्रोजेक्ट हैं. जिसमें बाजरे से बनने वाले उत्पादों, प्रोसेसिंग यूनिट को लेकर संभावनाएं तलाशी जा रही हैं.

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मिलेट वैल्यू चैन डवलपमेंट के लिए राजस्थान से बाड़मेर जिले का चयन हुआ है. फोटो- Kisan Tak मिलेट वैल्यू चैन डवलपमेंट के लिए राजस्थान से बाड़मेर जिले का चयन हुआ है. फोटो- Kisan Tak

बाड़मेर के बाजरे की पहचान अब देशभर में होगी. यहां का बाजरा अब सिर्फ रोटी बनाने और घर में ही काम आने वाला अनाज नहीं रहेगा. क्योंकि भारत सरकार ने मिलेट वैल्यू चैन डवलपमेंट के लिए राजस्थान से सिर्फ बाड़मेर का चयन किया है. यह एक पायलट प्रोजेक्ट हैं. जिसमें बाजरे से बनने वाले उत्पादों, प्रोसेसिंग यूनिट को लेकर संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. पिछले दिनों बाड़मेर में भारत सरकार की ओर से दिल्ली से एक टीम भी आई.

उन्होंने बाड़मेर के बाजरे से जुड़े स्टेक होल्डर्स से बातचीत की. साथ ही किसानों के साथ संवाद भी किया. 

कलक्टर और कृषि अधिकारियों के साथ हुई मीटिंग

केन्द्रीय टीम ने बाड़मेर जिला कलेक्टर लोकबंधू और जिला कृषि अधिकारियों से इस संबंध में मीटिंग भी की. जिसमें बाड़मेर में बाजरे को लेकर बनने वाले प्रोडक्ट और प्रोसेसिंग यूनिट्स के बारे में चर्चा हुई. इस मीटिंग के बाद दिल्ली से आई टीम ने बाड़मेर जिले के किसान संगठन, एफपीओ, स्वयं सहायता समूह, नाबार्ड के अधिकारी और कई किसानों के साथ भी संवाद किया. इस बैठक में टीम ने बाजरे के बनाए जा सकने वाले प्रोडक्ट,उनके लिए प्रोसेसिंग यूनिट्स के साथ-साथ किसानों को आने वाली समस्याएं भी सुनी. 

दिल्ली से आए अधिकारियों ने क्या कहा? 

बाड़मेर दौरे पर कृषि मंत्रालय में पीएयू डॉ. स्वाति, कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त निदेशक दीपक कुमार, बाड़मेर कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक किशोरी लाल वर्मा सहित कई अधिकारियों ने बैठकें लीं. इसमें दीपक कुमार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मिलेट ईयर के तहत ही बाड़मेर जिले का मिलेट वैल्यू चैन डवलपमेंट में चयन हुआ है.

इस कार्यक्रम से यहां के बाजरे की देश-विदेश में प्रसिद्धि मिलेगी. साथ ही बाजरे से बनाए जा सकने वाले प्रोडक्ट्स पर रिसर्च और प्रोसेसिंग यूनिट का काम भी किया जाएगा. 

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अकेले बाड़मेर में हो रही 9.50 लाख हेक्टेयर में बाजरे की खेती

राजस्थान में बाजरे का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है. वहीं, राजस्थान में सबसे अधिक बाजरा बाड़मेर जिले में होता है. अकेले बाड़मेर में 9.50 लाख हेक्टेयर में बाजरे की खेती की जा रही है. इसमें से करीब 8 लाख हेक्टेयर में पूरी तरह से जैविक खेती किसान कर रहे हैं. लेकिन इस जिले के पास ऑर्गेनिक प्रमाण पत्र नहीं है. 

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राजस्थान में पैदा होता है 3.75 मिलियन बाजरा

राजस्थान एक शुष्क क्षेत्र है. इसलिए यहां बाजरे का उत्पादन देश में सबसे अधिक है. प्रदेश में पूरे देश का करीब 42 प्रतिशत यानी 3.75 मिलियन टन बाजरे का उत्पादन होता है. अकेले बाड़मेर जिले में करीब 10 लाख हेक्टेयर में बाजरा बोया जाता है और इसका सालाना करीब 500 करोड़ रुपये का बाजरा पैदा होता है.