खरीफ सीजन में अरहर की बुवाई के लिए किसान तैयारी कर रहे हैं. अरहर की खेती के लिए फाइटोफ्थोरा बीमारी बेहद घातक होती है. इसकी रोकथाम नहीं किया जाए तो पौधे का विकास रुक जाता है और फली बनने से पहले ही सिकुड़ जाता है. इससे अरहर का उत्पादन और गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है. इस बीमारी से ग्रसित खेत से लागत निकालना भी किसान के लिए मुश्किल होता है.
केंद्र सरकार दालों की कीमतों को नीचे लाने और आयात घटाने के लिए दलहन का रकबा बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. इसके लिए उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड समेत कई राज्यों में उच्च गुणवत्ता वाले बीज, उर्वरक आदि उपलब्ध कराने के लिए एनसीसीएफ को जिम्मेदारी सौंपी गई है. किसानों तक आसान पहुंच बनाने के लिए एनसीसीएफ जिलों में स्थित पैक्स के साथ मिलकर काम कर रहा है. इसके चलते किसान दालों की बुवाई के प्रोत्साहित हो रहे हैं.
खरीफ सीजन में बोई जाने वाली अरहर की फसल के लिए सिंचाई पर बेहद ध्यान देना होता है, क्योंकि इसमें थोड़ी सी चूक या लापरवाही फाइटोफ्थोरा बीमारी के प्रकोप को बुलावा देती है. फाइटोफ्थोरा बीमारी मुख्य रूप से अधिक सिंचाई किए जाने से होती है.
फाइटोफ्थोरा बीमारी से बचाव के लिए किसान बीज की बुवाई से पहले उसका राइजोबियम कल्चर से उपचार करें. जबकि, फसल आने पर फाइटोफ्थोरा बीमारी होने से बचाव के लिए खेत में पर्याप्त ढलान जरूरी है. इसके लिए नर्सरी स्थल तैयार करें और उपचार के लिए पानी को मुख्य स्थान तक पहुंचाने के लिए नालियां और सिंचाई चैनल बनाएं. इसके अलावा किसान खेत में पानी ठहरने से रोकने के लिए जो भी कर सकते हैं वो करना चाहिए.
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