केंद्र सरकार ने इस बार मध्य प्रदेश से केंद्रीय अनाज पूल के लिए लगभग 80 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है. हालांकि, 2 मई तक राज्य में केवल 37 लाख टन ही गेहूं की खरीद की गई, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 37.2 प्रतिशत कम है. खास बात यह है कि पिछले साल मार्च से अप्रैल महीने के बीच राज्य में लगभग 70 लाख टन से अधिक गेहूं की खरीदी की गई थी. देश भर में, 2 मई तक गेहूं की खरीद 220 लाख टन से अधिक रही, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में लगभग 4.9 प्रतिशत कम है. खास बात यह है कि इस बार मध्य प्रदेश में गेहूं खरीद में सबसे अधिक गिरावट आई है.
खरीद में यह गिरावट मध्य प्रदेश राज्य सरकार द्वारा 2024-25 खरीद सीजन के लिए केंद्र द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,275 रुपये प्रति क्विंटल के ऊपर 125 रुपये प्रति क्विंटल के बोनस की घोषणा के बावजूद हुई है. इसका मतलब है कि मध्य प्रदेश के किसानों से गेहूं 2,400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर खरीदा जा रहा है, जबकि एमएसपी 2,275 रुपये प्रति क्विंटल है.
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एग्रीटेक स्टार्टअप एग्रीवॉच में अनाज डेस्क के टीम लीडर नित्यानंद रॉय कहते हैं कि खरीद में गिरावट के कई कारण हैं. अगले कुछ महीनों में और भी बेहतर कीमत की उम्मीद में किसान अपनी उपज को रोके हुए हैं. उनका कहना है कि मेरा अनुमान है कि मध्य प्रदेश में लगभग 30-35 प्रतिशत किसानों ने अभी भी अपना गेहूं बचा रखा है. रॉय का कहना है कि गेहूं के उत्पादन में 2-3 प्रतिशत की कमी आई है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में असामयिक बारिश के कारण फसल की गुणवत्ता खराब हो गई है, यही वजह है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को अपने गुणवत्ता मानकों में ढील देनी पड़ी है.
रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के लिए एग्रीवॉच द्वारा कुछ महीने पहले किए गए एक सर्वेक्षण में 2024-25 में मध्य प्रदेश का गेहूं उत्पादन 240 लाख टन से अधिक होने का अनुमान लगाया गया था, जो कि पिछले वर्ष के अनुमान से थोड़ा अधिक था, जैसा कि उसी समूह द्वारा आंका गया था. खरीद मूल्य, हालांकि एमएसपी से अधिक है. अपने आप में एक चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि दिसंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा ने 2,700 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत पर गेहूं खरीदने का वादा किया था, जिसका मतलब 425 रुपये का बोनस होगा.
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