केंद्र सरकार की ओर निर्यात पर प्रतिबंध हटाने के तीन दिन बाद ही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्याज की थोक और खुदरा कीमतों में 4 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी हो गई है. जबकि, महाराष्ट्र में दोनों की कीमतों में एक रुपये प्रति किलो की मामूली बढ़ोतरी हुई. व्यापारियों का कहना है कि थोक कीमतों में बढ़ोतरी का असर अगले कुछ दिनों में खुदरा बाजार पर भी दिख सकता है. इस बीच, व्यापारियों को भी निर्यात पर संदेह है, क्योंकि कीमत 50 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, लासलगांव (नासिक) में कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) के निदेशक, जयदत्त होलकर ने कहा कि सरकार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी होने के लिए भारत से शिपमेंट के लिए निर्यात शुल्क कम करने की जरूरत है. सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली में प्याज की थोक कीमतें सोमवार को बढ़कर 1,975 रुपये प्रति क्विंटल हो गईं, जो शुक्रवार को 1,500 रुपये थीं. पिछले तीन दिनों में राजधानी शहर में खुदरा कीमतें भी आनुपातिक रूप से 33 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 37 रुपये हो गई हैं.
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एशिया के सबसे बड़े बाजार, लासलगांव में प्याज की मंडी कीमतें सोमवार को पिछले सप्ताह के औसत मूल्य 15 रुपये प्रति किलो से लगभग 4 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ गईं. वहीं, ढाका स्थित समाचार आउटलेट्स ने सोमवार को बताया कि बांग्लादेश में खुदरा प्याज की कीमतें 53.3 रुपये प्रति किलो से गिरकर 45.7 रुपये प्रति किलोग्राम हो गईं. बांग्लादेश भारतीय प्याज का सबसे बड़ा आयातक है. एक व्यापारी ने कहा कि यह देखना बाकी है कि क्या हमें ऊंची कीमतों पर पर्याप्त खरीदार मिलेंगे.
सरकार ने शनिवार को कहा कि अनुमानित रबी फसल (2024-25) 191 लाख टन प्याज के संभावित उत्पादन को ध्यान में रखते हुए निर्यात पर से प्रतिबंध हटा दिया गया है और सरकार इसके साथ "काफी सहज" है. क्योंकि मासिक घरेलू खपत लगभग 17 लाख टन है. देश के प्रमुख रसोई उत्पाद के वार्षिक उत्पादन में रबी प्याज की हिस्सेदारी लगभग 60 फीसदी है.
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