Rajasthan: किसानों को मुनाफा दे रही खजूर की खेती, पश्चिमी राजस्थान में बढ़ रहा क्रेज

Rajasthan: किसानों को मुनाफा दे रही खजूर की खेती, पश्चिमी राजस्थान में बढ़ रहा क्रेज

इस साल राजस्थान के 17 जिलों में टिश्यूकल्चर तकनीक और ऑफशूट से उत्पादित खजूर पौधे रोपण के लिए 1275 हैक्टेयर में पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है. इसमें श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में 200 हैक्टेयर का लक्ष्य उद्यान विभाग से दिया गया है. वहीं, जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, जोधपुर, झूंझुनू और जालौर में 100-100 हैक्टेयर में खजूर लगाने का लक्ष्य दिया गया है.

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Rajasthan: किसानों को मुनाफा दे रही खजूर की खेती, पश्चिमी राजस्थान में बढ़ रहा क्रेजराजस्थान में बढ़ रहा खजूर की खेती का रुझान.

राजस्थान में खजूर की खेती के प्रति किसानों में क्रेज बढ़ रहा है. हर साल इसे लगाने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है. राजस्थान खासकर पश्चिमी राजस्थान की जलवायु खजूर के लिए अनुकूल होने के चलते इसके रकबा बढ़ रहा है. साल 2012 से चूरु, बाड़मेर, जैसलमेर, जालौर, बीकानेर, जोधपुर जैसे जिलों में खजूर की खेती शुरू की गई थी. अब यह फल देने लगी है और किसानों को इससे आर्थिक फायदा भी हो रहा है.

प्रदेश के कुल 17 जिलों में फिलहाल खजूर की खेती हो रही है. उद्यान विभाग भी हर साल जिलों को लक्ष्य आवंटित करता है.

17 जिलों में 1275 हैक्टेयर में खजूर लगाने का मिला लक्ष्य

इस साल राजस्थान के 17 जिलों में टिश्यूकल्चर तकनीक और ऑफशूट से उत्पादित खजूर पौधे रोपण के लिए 1275 हैक्टेयर में पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है. इसमें श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में 200 हैक्टेयर का लक्ष्य उद्यान विभाग से दिया गया है. वहीं, जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, जोधपुर, झूंझुनू और जालौर में 100-100 हैक्टेयर में खजूर लगाने का लक्ष्य दिया गया है. इसके अलावा सीकर में 75 हैक्टेयर, चूरू और नागौर में 50-50 हैक्टेयर, जयपुर, अजमेर, पाली और सिरोही में 20-20 हैक्टेयर और टोंक, दौसा में 10-10 हैक्टेयर में खजूर के पौधे लगाने का लक्ष्य उद्यान विभाग ने जिलों को दिया है. 

सरकार देती है सब्सिडी, लगाएं इन किस्मों के पौधे

उद्यान विभाग के कृषि विकास योजना के तहत किसानों को कम से कम 0.5 हैक्टेयर से अधिकतम चार हैक्टेयर क्षेत्रफल तक खजूर बगीचा लगाने पर सब्सिडी मिलती है. खजूर पौधरोपण के लिए प्रति हेक्टेयर 148 मादा पौधे व 8 नर  पौधों की आवश्यकता रहती है.

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खजूर की मादा किस्मों में बरही, खूनेजी, मेडजूल, खलास, सगई, जामली, खदरावी एवं हलावी और नर किस्मों में अल-इन-सिटी व घनामी शामिल हैं. इन्हीं किस्मों में सब्सिडी विभाग की ओर से दी जाती है. 

तीन हजार रुपये प्रति पौधा मिलती है सब्सिडी

किसान ऑफशूट या टिश्यू कल्चर से तैयार पौधों से खजूर का बगीचा लगा सकते हैं. खजूर बगीचे के लिए ड्रिप संयंत्र लगाना अनिवार्य होता है. ड्रिप संयंत्र पर अलग से सब्सिडी मिलती है. टिश्यू कल्चर तकनीक से उत्पादित खजूर पौध रोपण पर किसानों को प्रति पौधा तीन हजार रूपये या प्रति पौधा लागत का 75 प्रतिशत जो भी कम हो पर सब्सिडी दी जाती है. 

वहीं, ऑफशूट तकनीक से उत्पादित खजूर पौधे रोपण पर किसानों को अनुदान सहायता मातृ पौधे से अलग होने के तुरंत बाद दी जाती है. इसके लिए ऑफशूट खजूर प्रति पौधा खरीद मूल्य एक हजार रुपये का 75 प्रतिशत एवं जड़ विकसित होने के बाद प्लास्टिक थैली सहित खजूर पौधे के खरीद मूल्य 1500 रूपये का 75 प्रतिशत दिया जाएगा. 

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खजूर का बगीचा लगाने के लिए चाहिए ये दस्तावेज

खजूर का बगीचा लगाने के लिए किसानों को एक निर्धारित प्रारूप में आवेदन करना होता है. किसानों का रजिस्ट्रेशन पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर होता है. 

रजिस्ट्रेशन के लिए किसानों को फोटो सहित आवेदन पत्र के साथ आवश्यक दस्तावेज देने होते हैं. इनमें शपथ पत्र, खेत की जमाबंदी, नक्शा ट्रेस, स्थाई सिंचाई स्त्रोत का प्रमाण पत्र, अलग से ड्रिप संयंत्र स्थापित करने का प्रमाण, मिट्टी-पानी की जांच रिपोर्ट, बैंक पासबुक की प्रति, आधार कार्ड देने होते हैं. 
 

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