राजस्थान में इस वक्त सर्दी के प्रकोप से जनजीवन अस्त व्यस्त है. सर्दी की वजह से पाला बढ़ गया है जिससे किसानों की सरसों और सब्जी की फसलों में खासा नुकसान है. दौसा जिले की बात करें तो पाला गिरने से किसानों की फसलों में 50 परसेंट का नुकसान आंका गया है.
एक तरफ दौसा में जहां मौसम किसानों का दुश्मन बना हुआ है तो वही बिजली कटौती ने भी किसानों को मुसीबत में डाल रखा है. राजस्थान में इस वक्त अघोषित बिजली कटौती की जा रही है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों की पढ़ाई चौपट होने की कगार पर है. यहां तीन महीने से लगातार अघोषित बिजली कटौती की जा रही है.
दौसा में बिजली कटौती से फसलों में पानी देने में किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. दौसा जिले के सिकराय उपखंड में तो हालात और भी बदतर हैं. सिकराय में इस वक्त महज दो से चार घंटे ही बिजली आ रही है. यहां के सभी किसान परिवारों की सरकार से शिकायत है और बिजली कटौती की समस्या दूर करने की गुहार लगाई गई है.
किसानों को उम्मीद थी कि इस बार मौसम साथ दे रहा है तो उपज भी अच्छी मिलेगी. लेकिन अचानक पाला पड़ने से उम्मीदों पर पानी फिर गया. पाले से फसल को बचाने के लिए पानी देने की जब नौबत आई तो किसानों को लाइट नहीं मिल रही है. सिंचाई की कमी से सरसों के दाने मरे जा रहे हैं.
सिकराय के किसानों ने बताया कि यहां तीन महीने से अघोषित लाइट की कटौती हो रही है जिससे उन्हें फसलों की सिंचाई में खासा परेशानी झेलनी पड़ रही है. सिकराय उपखंड के पाटन गांव में लाइट की अघोषित कटौती से किसानों की सरसों की फसल चौपट हो गई है. अघोषित कटौती की वजह से किसान फसलों में पानी नहीं दे पा रहे हैं.
पानी नहीं मिलने से सरसों की फसल सूख गई है. कहीं-कहीं सरसों की फसल बिल्कुल खराब हो गई है. कई किसान तो पानी के टैंकर से सरसों की फसल को बचाने की जंग लड़ते हुए दिखाई दे सकते हैं. पाटन के कई किसान सरसों की फसल बचाने के लिए पानी का टैंकर मंगवाते हैं. इसके लिए उन्हें 450 सौ से लेकर 500 रुपये तक खर्च करना पड़ रहा है.
यहां तक कि जानवरों को पानी पिलाने में भी काफी दिक्कत आ रही है. किसानों के लिए इस बार ठंड में दोहरी मार पड़ी है क्योंकि सरसों जैसी फसल पाले से खराब हुई है, तो दूसरी ओर सिंचाई करने के लिए बिजली नहीं है. पाले से बचाव में सिंचाई फसलों की बड़ी मदद करती है, लेकिन बिजली कटौती के चलते किसान यह काम भी ठीक से नहीं कर पा रहे हैं.(संदीप मीणा की रिपोर्ट)
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