राजस्थान-पंजाब बॉर्डर पर किसानों में टकराव तेज, धान-कपास बिक्री पर रोक से बढ़ा तनाव

राजस्थान-पंजाब बॉर्डर पर किसानों में टकराव तेज, धान-कपास बिक्री पर रोक से बढ़ा तनाव

फाजिल्का मंडी में बाहरी किसानों की धान बिक्री पर रोक के बाद राजस्थान के किसानों ने पंजाब से कपास और बाजरा की एंट्री रोकी. दोनों राज्यों के किसान एक-दूसरे की फसलों की खरीद-बिक्री पर रोक लगा रहे हैं. श्रीगंगानगर में किसान संगठनों की बैठक में आगे की रणनीति तय होगी.

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राजस्थान-पंजाब बॉर्डर पर किसानों में टकराव तेज, धान-कपास बिक्री पर रोक से बढ़ा तनावपंजाब के किसानों का विरोध प्रदर्शन (सांकेतिक तस्वीर)

राजस्थान और पंजाब के किसानों में तनातनी देखी जा रही है. मामला है-पंजाब के किसान बोल रहे हैं कि वे अपने यहां राजस्थान का कपसा और मिलेट नहीं बेचने देंगे. दूसरी ओर, राजस्थान के किसान पंजाब के किसानों को अपने यहां धान नहीं बेचने दे रहे हैं. यह तनातनी इसलिए बढ़ी है क्योंकि फाजिल्का मंडी में बाहरी किसानों की धान बिक्री पर रोक लगा दी गई है. इससे राजस्थान के किसान परेशान हैं. इसी के बदले वे पंजाब के किसानों को अपने यहां धान बिक्री से मना कर रहे हैं.

इसी तनातनी में राजस्थान के किसानों ने राजपुरा-पाटली बॉर्डर पॉइंट पर पंजाब से कपास और बाजरा ले जा रहे ट्रैक्टर-ट्रेलरों को रोक दिया, जिससे किसानों के बीच तनाव बढ़ गया. यह सब फाजिल्का में पड़ोसी राज्य से धान की बिक्री के कड़े विरोध के बीच हुआ.

श्री गंगानगर में किसान संगठनों की बैठक

यह घटना राजस्थान के किसानों और व्यापारियों के खिलाफ फाजिल्का की मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर उपज बेचने के लिए केस दर्ज होने के बाद हुई है, जिसका पंजाब के लोग विरोध कर रहे हैं.

इस बीच, राजस्थान के किसानों ने अगले कदम पर फैसला करने के लिए बुधवार को श्री गंगानगर में किसान संगठनों की एक बैठक बुलाई है.

जानकारी के अनुसार, कपास और बाजरा ले जा रहे किसानों को, जिन्हें राजस्थान में ज्यादा कीमत मिलती है, सोमवार को राज्य में घुसने से पहले रोक दिया गया था, लेकिन कुछ घंटे बाद उन्हें जाने दिया गया. साथ ही यह चेतावनी भी दी गई कि यह नाकाबंदी सब्जियों और दूसरी फसलों तक भी बढ़ाई जा सकती है.

नकली किसान आईडी से धान बिक्री

पंजाब के किसानों का तर्क है कि सरकारी खरीद एजेंसियों ने फाजिल्का में पहले ही अपना टारगेट पूरा कर लिया है, जिससे वे अपनी उपज नहीं बेच पा रहे हैं. एक किसान नेता ने आरोप लगाया, "राजस्थान के किसानों और व्यापारियों ने पंजाब में नकली ID का इस्तेमाल करके MSP पर अपनी फसल बेची, नियमों का उल्लंघन करके ज्यादा पैसे कमाए." 

खरीद नियमों के अनुसार, दूसरे राज्यों के किसान पंजाब सरकार की एजेंसियों को धान नहीं बेच सकते. हालांकि, वे सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद खुले बाजार में बेच सकते हैं.

'हम भी पलटवार कर सकते हैं'

हालांकि, श्री गंगानगर से भारतीय किसान यूनियन (राजस्थान) के अध्यक्ष संदीप सिंह ने कहा, "हमने पंजाब से फसल से भरी कुछ गाड़ियों को रोका ताकि यह दिखाया जा सके कि हम भी यही तरीका अपना सकते हैं."

उन्होंने आगे कहा, "हमने पंजाब के यूनियनों से हमारे किसानों के खिलाफ FIR वापस लेने और हमारे जब्त किए गए ट्रेलर वापस करने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. अगर ऐसा ही चलता रहा, तो हम अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन शुरू कर सकते हैं और पंजाब से आने वाली सब्जियों और दूसरी फसलों को रोक सकते हैं." 

हनुमानगढ़ जिले में BKU (टिकैत) के अध्यक्ष रेशम सिंह ने कहा, "बार-बार अपील करने के बावजूद हमारे किसानों के खिलाफ केस दर्ज किए गए. अगर पंजाब के किसान सहयोग नहीं करते हैं, तो हम उनके कंबाइन हार्वेस्टर, बेलर, पराली और आलू को राजस्थान में घुसने से रोक सकते हैं."

फाजिल्का के पट्टी सादिक, शेरगढ़, डोडेवाला और राजपुरा जैसे कई सीमावर्ती गांवों के किसान पारंपरिक रूप से राजस्थान के सादुलशहर में गेहूं, ग्वार और मूंग बेचते हैं क्योंकि यह पास है और कमीशन एजेंटों के साथ पुराने व्यापारिक संबंध हैं. पिछले साल राजस्थान में गेहूं की कीमतें बोनस इंसेंटिव, कम टैक्स और कम कमीशन कटौती के कारण ज्यादा थीं. 

‘किसानों के खिलाफ नहीं, व्यापारियों के खिलाफ’

फाजिल्का के किसान नेता सुखमंदर सिंह, जो राजस्थान के धान के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, ने कहा, “हम किसानों का नहीं, बल्कि व्यापारियों का विरोध कर रहे हैं. हमने सिर्फ धान रोका है, दूसरी फसलें नहीं, क्योंकि इसकी खरीद प्रोक्योरमेंट एजेंसियों से रिलीज ऑर्डर मिलने पर निर्भर करती है.

नियमों के मुताबिक, सिर्फ पंजाब के किसान ही, जिनके पास यूनिक डिजिटल ID है, सरकारी एजेंसियों को धान बेच सकते हैं,” उन्होंने आगे कहा. राजस्थान में प्राइवेट खरीदार 1,700-1,800 रुपये प्रति क्विंटल दे रहे हैं, जबकि पंजाब में MSP 2,389 रुपये है. राजस्थान में धान की सरकारी खरीद की सुविधा नहीं है. वहां प्राइवेट खरीदार नॉन-बासमती किस्मों के लिए 1,700-1,800 रुपये प्रति क्विंटल दे रहे हैं.

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