Stubble Burning: पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं 60 के पार, कड़ी कार्रवाई ने बढ़ाई किसानों की मुश्किलें

Stubble Burning: पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं 60 के पार, कड़ी कार्रवाई ने बढ़ाई किसानों की मुश्किलें

Punjab Parali Burning: पंजाब में धान कटाई के साथ पराली जलाने की घटनाएं फिर सामने आने लगी हैं. 15 सितंबर से अब तक 62 मामले घटनाएं दर्ज की जा चुकी है और 14 FIR दर्ज की गई हैं. वहीं, किसान सरकार और प्रशासन की कड़ी कार्रवाई से परेशान हैें.

Advertisement
पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं 60 के पार, कड़ी कार्रवाई ने बढ़ाई किसानों की मुश्किलेंपराली जलाने के मामले 60 के पार (फाइल फोटो)

पंजाब में धान की कटाई का मौसम जोरों पर है. ऐसे में पराली जलाने की घटनाएं फिर से सामने आने लगी हैं. उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के लिए जिम्‍मेदार माना जाता है. खासकर अक्टूबर और नवंबर में त्योहारों के मौसम प्रदूषण की परेशानी आती है. लेकिन, इस बार पंजाब के किसानों के लिए यह दोहरी मार है- चार दशकों में सबसे खराब बाढ़ की मार झेलने के बाद अब उन्हें एफआईआर, रेड एंट्री और जुर्माने का सामना करना पड़ रहा है.

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के सैटेलाइट डेटा के अनुसार, राज्य में 15 सितंबर से पराली जलाने की 62 घटनाएं दर्ज की गई हैं. इसके बाद, अधिकारियों ने 14 FIR दर्ज की हैं और दोषी किसानों के खिलाफ 15 रेड एंट्री दर्ज की है. अब तक, पंजाब सरकार ने कुल 1,25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है, जिसमें से केवल 50,000 रुपये ही वसूला गया है. सभी FIR भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 223 के तहत दर्ज की गई हैं.

अमृतसर में 38 पराली जलाने की घटनाएं

पंजाब और पड़ोसी हरियाणा में पराली जलाने को अक्टूबर और नवंबर में दिल्ली में वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी का मुख्य कारण माना जाता है. धान की कटाई और रबी फसल, खासकर गेहूं की बुआई के बीच कम समय होने के कारण किसान अक्सर फसल अवशेष जला देते हैं. खेतों को जल्दी साफ करना उनकी मजबूरी बन जाता है. सितंबर के मध्य से दर्ज 62 घटनाओं में से, अमृतसर जिले में सबसे अधिक 38 मामले सामने आए. सोमवार को ही अमृतसर में तीन, तरनतारन में दो और कपूरथला में एक पराली जलाने का मामला सामने आया. जिलों में पराली जलाने की कुल घटनाएं इस प्रकार हैं:

  • तरनतारन: 7
  • पटियाला: 7
  • बरनाला: 2
  • बठिंडा, फिरोजपुर, होशियारपुर, जालंधर, कपूरथला, संगरूर, एसएएस नगर, मलेरकोटला: 1-1

SC की टिप्‍प्‍णी पर किसानों की प्रतिक्रिया

वहीं, जब सुप्रीम कोर्ट ने खेतों में आग लगाने वाले किसानों पर कार्रवाई की संभावना जताई है तो नाराज किसानों ने अपनी बात रखी. अनुभवी धान किसान मनमोहन कहते हैं, “जब तक सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठाती, हर साल हम ही दोषी ठहराए जाते हैं.” पंजाब के किसान सरकार से सीमित विकल्पों और कम मदद मिलने से अपनी निराशा जताते रहे हैं. पंजाब के किसानों के पास पराली जलाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है.” 

'सरकार मुआवजा दे तो बेहतर'

एक अन्य किसान ने भी यही चिंता जताई, “अगर हम पराली नहीं जलाते, तो बचे अवशेषों से फंगस अगली फसल को नुकसान पहुंचाता है. इससे फसल की वृद्धि रुक ​​जाती है.” कुछ किसानों का कहना है कि पराली जलाना ही एकमात्र कारण नहीं है. एक किसान ने कहा, “धूल-धूम से प्रदूषण और बढ़ जाता है.” एक अन्य ने कहा, “हाल की बाढ़ से खेतों में नमी बढ़ गई, जिससे स्थिति और खराब हो गई. अगर सरकार सिर्फ मशीनें देने के बजाय मुआवजा दे, तो हम बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं. लेकिन सबसे अच्छा होगा कि वे पराली इकट्ठा करने की जिम्मेदारी खुद लें.”

एक छोटे किसान ने समाधान में असमानता पर जोर देते हुए कहा कि ये मशीनें बड़े किसानों के लिए हैं. हम इन्हें खरीद नहीं सकते. हमारे पास पराली जलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. एक और किसान ने गिरफ्तारियों के परिणामों के बारे में चेतावनी दी: “अगर यह चलता रहा, तो जेलें भर जाएंगी. इस मामले में पंजाब के सभी किसान एकजुट हैं.”

कृषि आग निगरानी अवधि और वार्षिक रुझान

पीपीसीबी ने 15 सितंबर से कृषि आग की घटनाओं को दर्ज करना शुरू किया और यह निगरानी 30 नवंबर तक जारी रहेगी. पिछले साल पंजाब में आग की घटनाओं में काफी कमी आई है. 2024 में 10,909 मामले दर्ज हुए, जबकि 2023 में 36,663 मामले थे जिनमें लगभग 70% की कमी दर्ज की गई है. पिछले वर्षों में घटनाओं की संख्या इस प्रकार है:

  • 2022: 49,922
  • 2021: 71,304
  • 2020: 76,590
  • 2019: 55,210
  • 2018: 50,590

इन जिलों में सामने आ रही ज्‍यादा घटनाएं

संगरूर, मनसा, बठिंडा और अमृतसर जैसे जिलों में पिछले कुछ वर्षों में पराली जलाने के मामले लगातार अधिक रहे हैं. लेकिन पंजाब के राजनेता अलग राय रखते हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री ने इस पर संतुलित प्रतिक्रिया दी. फसलों के अवशेष जलाने और प्रदूषण पर एफआईआर के बारे में बात करते हुए सीएम ने कहा, “लेकिन यूपी और हरियाणा में इसी तरह के प्रदूषण को अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है.

धुआं से सबसे पहले किसान और उनके परिवार प्रभावित होते हैं और यह हमारे बच्चों के फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाता है. हमें पर्यावरण की रक्षा के बारे में गुरु साहिब की शिक्षाओं का पालन करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करना जरूरी है, लेकिन हमारा लक्ष्य ऐसी स्थितियों को पूरी तरह से रोकना होना चाहिए. किसान अन्नदाता हैं - फसल उगाने के लिए अन्नदाता को अपराधी की तरह कैसे ट्रीट किया जा सकता है?”

अकाली दल ने बोला हमला

इस बीच, कांग्रेस और अकाली दल ने इस सालाना पराली की समस्या के लिए केंद्र और राज्य दोनों को जिम्मेदार ठहराया. एसएडी नेता सुखबीर बादल ने कहा, “किसानों के पास एक फसल की कटाई और अगली फसल की तैयारी के बीच सिर्फ 15 से 20 दिन होते हैं. पराली जलाने की समस्या का समाधान ढूंढना सरकार की जिम्मेदारी है. सरकार को या तो खुद पराली खरीदनी चाहिए या उसे सीएनजी में बदलने के लिए मशीनें और सुविधाएं देनी चाहिए.”

कांग्रेस नेता ने आप पर साधा निशाना

वहीं, कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, “आप, भाजपा की बी-टीम की तरह काम कर रही है. एक तरफ, बाढ़ से पहले ही 5 लाख एकड़ जमीन बर्बाद हो चुकी है और दूसरी तरफ, उनका समर्थन करने के बजाय सरकार पराली जलाने के लिए किसानों को सजा दे रही है. सरकार ने फसल अवशेष प्रबंधन के लिए मुआवजा क्यों नहीं दिया? मुख्यमंत्री और AAP सेवा के लिए नहीं, बल्कि पंजाब को लूटने के लिए यहां हैं.”

POST A COMMENT