प्रमुख धान उत्पादक राज्यों पंजाब और हरियाणा में 15 सितबंर से ही पराली जलाने के मामले सामने आने लगे हैं. पंजाब में अब तक (24 सितंबर तक) खेत में आग लगने की कुल 75 घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें से जिम्मेदार अफसरों ने 24 घंटे के भीतर 70 साइट का दौरा किया. पंजाब सरकार की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से तीस जगहों पर पराली नहीं जलाई गई, जबकि 40 जगहों पर पराली जलाने के मामले निकले. वहीं, 27 मामलों में किसानों पर केस दर्ज किया गया है.
रिपोर्ट के अनुसार, राज्यभर में 38 मामलों में करीब डेढ़ लाख रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया गया है. वहीं, खेत में आग की सबसे ज्यादा 43 घटनाएं अमृतसर से सामने आई, इनमें से पराली जलाने के 20 मामले सही पाए गए और किसानों पर 1 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है. फरीदकोट, फाजिल्का, जालंधर, कपुरथला, तरनतारन और पटियाला जैसे जिलों में भी पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई की गई है. पराली जलाने के मामले में 17 मामलों में किसानों की जमीन के रेवेन्यू रिकॉर्ड में रेड एंट्री की गई है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कुल 145,000 रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना वसूला गया है, जबकि अन्य मामलों में जुर्माना लगाने की कार्रवाई जारी है. राज्य प्रशासन ने पराली जलाने की रोकथाम के लिए विशेष अभियान चलाया है और सभी प्रभावित जिलों में पर्यावरण संरक्षण के लिए सतर्कता बरती जा रही है.
वहीं, दि ट्रिब्यून में छपी एक खबर के मुताबिक, एक एक्सपर्ट ने बताया कि अमृतसर, तरनतारन, पठानकोट और गुरदासपुर जिलों में धान की कटाई जल्दी शुरू हो गई है. वहीं, एक उपायुक्त ने जानकारी दी कि पराली जलाने की घटनाओं को देखते हुए हमने क्षेत्रीय कर्मचारियों को गांवों में रहकर किसानों से वायु प्रदूषण और इसके नुकसान की जानकारी देने के बारे में बातचीत करने को कहा है.
पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी के बाद एयर क्वालिटी मैनेजमेंट आयोग (CAQM) ने इस सप्ताह बाद में संबंधित राज्यों की बैठक बुलाई है. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) कृषि विभाग के साथ मिलकर हर साल 15 सितंबर से नवंबर तक वायु गुणवत्ता की निगरानी करता है. PPCB से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 2024 में राज्य में 10,909 खेतों में आग लगी, जबकि 2023 में 36,663 मामले दर्ज हुए थे. 2020 में कुल 83,002, 2021 में 71,304 और 2022 में 49,922 खेतों में आग लगी थी.
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया था कि कुछ गैरकानूनी किसानों को गिरफ्तार क्यों न किया जाए, क्योंकि यह सर्दियों में उत्तरी भारत, विशेषकर दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण का मुख्य कारण माना जाता है. किसान संघ ऐसे किसी भी कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं और धान की पराली के मैनेजमेंट के लिए प्रोत्साहन राशि की मांग कर रहे हैं. किसानों ने बायो-डीकंपोजर स्प्रे का प्रयोग करने के प्रस्ताव को भी नकार दिया है, जो 30 दिनों में पराली साफ कर सकता है. किसानों का कहना है कि धान की कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच का समय छोटा होने के कारण यह तरीका व्यावहारिक नहीं है.
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