
अभी तक किसान इस बात को लेकर परेशान थे कि मौसम की मार से खराब हुई फसल का क्या होगा. किसान इस बात को लेकर परेशान थे कि उन्हें सरकार मुआवजा देगी या नहीं. अब इसमें एक और बड़ी परेशानी जुड़ गई है. ये परेशानी बची हुई फसल के दाम और मंडियों में बिक्री को लेकर है. पंजाब के किसान इस बात को लेकर रोष जता रहे हैं कि अभी तक उनके गेहूं की सरकारी खरीद शुरू नहीं हो सकी है. पंजाब के खन्ना में कई किसान इसके लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. गेहूं की खरीद शुरू नहीं होने पर एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडी खन्ना में किसानों ने मार्किट कमेटी कार्यालय के बाहर धरना दिया. किसानों ने कहा कि अगर गेहूं की सरकारी खरीद शुरू नहीं होगी तो वे मंडियां बंद करेंगे और सड़कें जाम करेंगे.
खन्ना मंडी में पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के ब्लॉक अध्यक्ष अमृत सिंह बेनीपाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने गेहूं का दाना बदरंग होने के मामले में जो कटौती करने का फैसला लिया है, उसके मापदंड बताए जाएं. इस फैसले से इंस्पेक्टर राज लागू करने की कोशिशें की जा रही हैं. किसान इसे कभी बर्दाशत नहीं करेंगे. अनाज मंडी से एक भी दाना बाहर नहीं जाने दिया जाएगा. मंडियां बंद की जाएंगी.
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किसान दिलजीत सिंह ने कहा कि मंडी में किसान चार दिनों से बैठे फसल के बिकने का इंतजार कर रहे हैं. परंतु सरकारी खरीद शुरू नहीं हुई है. मजबूरी में उन्हें मार्किट कमेटी कार्यालय के बाहर धरना लगाना पड़ा. जब तक खरीद शुरू नहीं होती, धरना जारी रहेगा और सड़कें भी जाम की जाएंगी. इस तरह का विरोध प्रदर्शन कई किसान कर रहे हैं और सरकारी की उन शर्तों के खिलाफ हैं जो गेहूं खरीद के लिए लागू की गई है.
मंगलवार को केंद्र सरकार ने तीन प्रदेशों में खराब गेहूं की खरीद की शर्तों में ढील देने का फैसला किया. इन प्रदेशों में एक पंजाब भी है. इसके अलावा हरियाणा और राजस्थान में गेहूं खरीद के नियमों में बदलाव किए गए हैं. यह बदलाव खराब गेहूं के एमएसपी में कटौती को लेकर है. सरकार ने कहा है कि अगर गेहूं का रंग बदरंग होता है या टुकड़े पाए जाते हैं तो एमएसपी में कुछ कटौती की जाएगी. अगर गेहूं का दाना 10 परसेंट तक बदरंग है तो उसके लिए एमएसपी में कोई कटौती नहीं होगी. उससे अधिक होने पर मामूली कटौती का नियम है. इसी तरह गेहूं में टूटे दाने पाए जाने पर भी एमएसपी में कुछ कटौती की जाएगी. किसान संगठन इस कटौती का विरोध कर रहे हैं.
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एमएसपी में कटौती के अलावा किसान इस बात पर भी विरोध कर रहे हैं कि अभी तक उनके गेहूं की सरकारी खरीद शुरू नहीं हो पाई है. वैसे तो कागजों में एक अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू करने की बात कही गई है, लेकिन अभी तक मंडियों में किसानों से गेहूं नहीं लिया जा रहा है. किसानों का कहना है कि मंडियों में किसान का गेहूं यह बताकर नहीं लिया जाता है कि उसमें नमी ज्यादा है. ऐसे में किसानों के सामने समस्या है कि वे अपनी उपज को कहां रखें क्योंकि भंडारण की भी बड़ी समस्या है. किसानों की शिकायत है कि अभी तक खन्ना मंडी में क्यों सरकारी खरीद शुरू नहीं हुई, सरकार को इसका जवाब देना चाहिए.
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