पंजाब में एक अनोखा मामला सामने आया है. यहां का पूरा कृषि विभाग इस बात का पता लगाने में जुटा है कि आखिर कपास बीज के 2.61 लाख पैकेट कहां गायब हो गए. दरअसल पंजाब में कपास बोने के लिए बीज के जितने पैकेट की जरूरत थी, उससे 2.61 लाख अधिक पैकेट खरीदे गए हैं. इस घटना के प्रकाश में आने के बाद कृषि विभाग का पूरा महकमा यह पता लगाने में जुटा है कि पैकेट कहां गए, क्या पैकेट को कहीं और डायवर्ट किया गया या फर्जी तरीके से बेच दिया गया. इस घटना ने इसलिए चिंता बढ़ा दी है क्योंकि पंजाब सरकार किसानों को कपास के बीज पर सब्सिडी दे रही है. सब्सिडी के पैसे का दुरुपयोग न हो और जरूरतमंद किसानों को ही इसका फायदा मिले, इस बात को ध्यान में रखकर गायब पैकेट की छानबीन की जा रही है.
'दि ट्रिब्यून' की एक खबर बताती है कि इस साल पंजाब में 11.25 लाख कपास बीज के पैकेट बेचे गए हैं. फैक्ट के मुताबिक एक एकड़ में बीज के दो पैकेट की जरूरत होती है. इस साल 4,32,434 एकड़ में कपास की बुआई है. इसके लिए 8.64 लाख पैकेट की बिक्री होनी चाहिए. लेकिन सवाल है कि 11.25 लाख पैकेट बेचे गए तो उसमें से 2.61 लाख पैकेट कहां गए? इन पैकेटों का इस्तेमाल कहां हुआ?
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कृषि विभाग के अधिकारी मानते हैं कि प्रदेश में 62,500 एकड़ में कपास की दोबारा बुआई हुई है जिसके लिए 1.25 लाख बीज के पैकेट की जरूरत पड़ी. लेकिन इसके बाद भी 1.36 लाख पैकेटों का कोई हिसाब नहीं मिल रहा है. निदेशक (कृषि) गुरविंदर सिंह ने 'दि ट्रिब्यून' को बताया कि कई किसान, जिनके पास हरियाणा और राजस्थान के कपास बेल्ट में भी जमीन है, पंजाब से कपास के बीज के 1.36 लाख पैकेट खरीद सकते थे. यानी कुछ किसानों ने हरियाणा और राजस्थान में कपास बोने के लिए पंजाब से सब्सिडी वाले बीज की खरीद की.
इस खरीद की वजह ये रही कि पंजाब सरकार इस बार कपास किसानों को बीज पर 33 फीसद सब्सिडी दे रही है. सब्सिडी का ऐलान इस साल मार्च में कर दिया गया था. कपास बीज के एक पैकेट का दाम 853 रुपये है जिस पर पंजाब सरकार 281 रुपये की सब्सिडी दे रही है.
कृषि विभाग के निदेशक का दावा है कि इस साल 91,316 किसानों ने सब्सिडी के लिए आवेदन किया. यह आवेदन 3,38,345 एकड़ में कपास की खेती के लिए था. इसका अर्थ हुआ कि सब्सिडी रेट पर 6,76,690 बीज के पैकेट बेचे जाने चाहिए थे. लेकिन इससे अधिक पैकेटों की बिक्री हुई है. इससे दो संदेह उजागर होते हैं- पहला, सब्सिडी रेट के बीजों को कहीं और डायवर्ट किया गया. दूसरा- कुछ किसानों ने अपने खेतों में तीन बार कपास की बुआई की. ऐसी स्थिति तब होती है जब फसल खराब हो जाती है. अधिकारी इस पहलू को नहीं नकार रहे हैं.
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खास बात ये है कि बीजों पर सब्सिडी देने के बावजूद राज्य में कपास की खेती का रकबा इस साल सबसे कम रहा. पिछले साल 5.95 लाख एकड़ में कपास की बुआई हुई थी और 4.54 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था. हालांकि, बॉलवर्म के लगातार हमले और खराब क्वालिटी वाले बीजों के कारण किसानों को नुकसान हुआ. कपास की खेती में उनकी कम दिलचस्पी राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी फसल योजना को खतरे में डाल रही है.
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