
महाराष्ट्र को बड़े हल्दी उत्पादक प्रदेशों में गिना जाता है. लेकिन, इन दिनों यहां के किसान बेमौसम बारिश और कम दाम के चलते परेशान हैं. उनका कहना है कि यही हाल रहा तो किसान हल्दी की खेती छोड़ देंगे. सेहत ठीक रखने वाली हल्दी किसानों की आर्थिक सेहत खराब कर रही है. हिंगोली जिले में बेमौसम बारिश के चलते किसान उबली हुई हल्दी नहीं सूखा पा रहे हैं. इसके कारण उन्हें गुणवत्ता खराब होने का डर सता रहा है. किसानों का कहना है कि एक तरफ वो हल्दी की कीमतों में गिरावट से परेशान हैं तो अब बेमौसम बारिश की मार झेल रहे हैं. महाराष्ट्र के किसानों पर बेमौसम बारिश की मार कई साल से पड़ रही है. ऐसे में वे हल्दी की खेती छोड़कर किसी और फसल पर जाने का फैसला कर रहे हैं.
राज्य की कई मंडियों में इस समय हल्दी का दाम 4300 से लेकर 6000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रहा है. जबकि दाम 8000 से 9000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिलना चाहिए. यहां के किसान बाज़ार में उपज का उचित भाव नहीं मिलने से परेशान तो थे ही, अब रही सही कसर बेमौसम बारिश पूरी कर रही है. इससे उन पर दोहरी मार पड़ रही है. राज्य में पिछले कई दिनों से हो रही बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है.
बारिश में प्याज, गेहूं, अंगूर और आम की फसलें अधिक प्रभवित हुई हैं. हल्दी की खेती करने वाले किसानों के लिए भी ये बारिश आफत बन गई है. हिंगोली जिले में हल्दी की खेती करने वाले किसान नितिन प्रभाकर राव नायक ने 'किसान तक' से बातचीत में बताया कि यह साल हल्दी उत्पादकों के लिए संकट भरा रहा है. पहले बाजार में हल्दी की कीमतों में गिरावट से परेशानी थी और अब बारिश की वजह से उसे सूखने में दिक्कत हो रही है. हल्दी भीग कर खराब हो रही है. इससे भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. नायक का कहना है कि कई किसानों ने अगले साल हल्दी की खेती नहीं करने का फैसला किया है. वो भी उनमें से एक हैं.
किसान नितिन प्रभाकर राव नायक बताते हैं कि हल्दी उबालकर सूखने के लिए रखना पड़ता है. बार-बार बारिश आने से हल्दी को ढंक कर रखना पड़ रहा है. इसके चलते वो सूख नहीं पा रही. नायक का कहना है कि उनके पास 20 से 25 क्विंटल उबाली हुई हल्दी है. बारिश के चलते उन्होंने उसे ढंक कर रखा था, लेकिन जब दूसरे दिन देखा तो पूरी हल्दी में पानी भरा हुआ था. नायक आगे बताते हैं कि अगर उबाली हुई हल्दी समय पर नहीं सूख पाती है तो उसकी गुणवत्ता खराब हो जाती है. फिर बाजार में कोई व्यापारी या तो उसे खरीदता नहीं और खरीदता है तो सही दाम नहीं देता.
राज्य के कई मंडियों में किसान 4244 से लेकर 6000 रुपये प्रति क्विंटल तक के भाव में हल्दी बेच रहे हैं. जबकि नायक के अनुसार हल्दी की खेती में प्रति एकड़ 50 से 60 हज़ार रुपये तक का खर्च आता है. ऐसे में इतना कम भाव मिलने से किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहा है. उपर से बारिश की मार अगल है. इसलिए इसकी खेती छोड़कर दूसरी फसल की ओर जाना फायदेमंद है.
यह हाल सिर्फ हल्दी किसानों का नहीं है, बल्कि इससे प्याज और अंगूर की खेती करने वाले किसानों को भी बहुत नुकसान झेलना पड़ा है. बहुत से किसान बारिश का अलर्ट आने पर समय से पहले अधपके गेहूं की कटाई कर ली, जिसकी वजह से गुणवत्ता पर असर पड़ेगा. जिन किसानों ने गेहूं की कटाई पहले कर ली थी, वो बारिश के पानी में भीग गया, जिससे उसकी चमक चली गई. इसके कारण गुणवत्ता में कमी आ गई और बाजारों में कम कीमतों में किसान गेहूं बेचने पर मजबूर हो गए.
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