महाराष्ट्र के किसान अपनी फसलों के गिरते दाम से काफी परेशान हैंं. प्याज के बाद अब सोयाबीन के गिरते दाम ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. किसानों का कहना है कि उन्होंने अच्छे दाम की चाहत में सोयाबीन की फसल को दो-तीन महीने पहले कटाई कर अपने घरों में स्टाक किया हुआ था, लेकिन बाजार में अभी भी सोयाबीन की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम चल रही हैं. अधिकतर किसानों का कहना है कि पिछले अप्रैल में सोयाबीन का भाव सात हजार से आठ हजार रुपये प्रति क्विंटल था, लेकिन इस समय सोयाबीन का भाव कई बाजारों में 3500 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि सोयाबीन का एमएसपी खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में 4300 रूपये प्रति क्विंटल सरकार ने घोषित किया है.
किसानों का कहना है पिछले साल मिले बेहतर दाम को देखते हुए अधिक क्षेत्रों में सोयाबीन की खेती की थी, लेकिन कीमत कम होने से किसान काफी निराश हैं. जब दाम बढ़ता है तो काफी लोग परेशान हो जाते हैं, लेकिन अब दाम घट गया है तो कोई पूछने नहीं आ रहा है. महाराष्ट्र स्टेट एग्रीकल्चर प्राइस कमीशन के पूर्व चेयरमैन पाशा पटेल के मुताबिक यहां सोयाबीन उत्पादन की लागत प्रति क्विंटल 6234 रुपये आती है. यह लागत चार कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा दी गई रिपोर्ट पर आधारित है.
नासिक मंडी में 25 मार्च को सोयाबीन का औसत मूल्य 4900 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जबकि कोपारागांव मंडी में औसत भाव 4900 रुपये प्रति क्विंटल रहा. अकोला मंडी में सिर्फ 2843 क्विंटल सोयाबीन की आवक हुई. वहीं औसत भाव 4700 रुपये प्रति क्विंटल रहा. औसत भाव 4000 रुपये प्रति क्विंटल रहा. इस तरह पिछले साल अप्रैल की तुलना में 3000 से लेकर 3500 तक कम दाम मिल रहे हैं. इन मंडियों में एमएसपी से भी कम दाम सोयाबीन की खरीदारी हुई. नासिक की मंडी में न्यूनतम दाम 3000 रुपये प्रति क्विंटल रहा. कोपारागांव मंडी में न्यूनतम दाम 3500 रुपये प्रति क्विंटल रहा. अकोला की मंडी में 3895 रुपये प्रति क्विंटल भाव मिल रहा है. यानी कुछ मंडियों में एमएसपी से कम दाम हो गया है.
महाराष्ट्र के हिंगोली जिला के सोयाबीन के खेती करने वाले किसान नितिन प्रभाकर राव नायक का कहना है कि मंडियों में सोयाबीन का भाव 3000 से लेकर 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रहा है, जबकि सोयाबीन की खेती करने की लागत काफी बढ़ गई है. दाम बढ़ने कि उम्मीद में किसानों ने सोयाबीन स्टॉक किया हुआ था, लेकिन अब किसानों कि हालत ऐसी हो गई कि दूसरी फसल उगाने के लिए पैसे नहीं हैं, जिसके कारण उन्हें मजबूरन सोयाबीन को कम पैसो में बेचना पड़ रहा हैं. कुछ किसान अभी भी अप्रैल में कीमतों में बढ़ोतरी कि उम्मीद कर रहे हैं. उनका कहना है सोयाबीन का एमएसपी 4300 रुपये प्रति क्विंटल सरकार ने तय किया है, लेकिन कई जगहों पर 3500 और 4000 का रेट मिल रहा है यानी की एमएसपी से कम कीमतों में बिक रहा है.
महाराष्ट्र सोयाबीन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. इसकी खेती पर ही यहां के लाखों किसानों का जीवन निर्भर है. पिछले दो साल से कीमत 9 से 11 हजार प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थी. इससे किसानों को उम्मीद थी कि आने वाले वर्षो में उन्हें सोयाबीन के बेहतर दाम मिलेंगे, लेकिन इस साल बहुत कम दाम मिलने से किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, इसलिए वे सोयाबीन को बाजार में बेचने के बजाय उचित कीमत पाने के लिए उसका भंडारण कर रहे हैं. उन्हे आशा है कि कि आगे आने वाले समय में सोयाबीन के भाव में सुधार होगा.
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