महाराष्ट्र में इन दिनों प्याज की आवक बढ़ने से इसके दामों में भारी गिरावट आई है. प्याज के दाम इतने गिर चुके हैं कि राज्य की लगभग हर थोक मंडी में केवल दो रुपये प्रति किलो का ही भाव मिल रहा है. प्याज का लगभग हर किसान परेशान है. इसी में एक किसान हैं महादेव निवृत्ति जाधव. जाधव लातूर जिले में औसा तहसील के कारला गांव के रहने वाले हैं. इस किसान ने दो एकड़ एकड़ खेत में प्याज की फसल लगाई थी. जाधव प्याज को मंडियों में जाकर बेचना चाह रहे थे, लेकिन जैसे की दाम के बारे में पता चला, उन्होंने अपना प्लान बदल दिया. अब वे अपने प्याज को पालतू जानवरों को चारे के रूप में खिला रहे हैं. दूसरी ओर मंडियों में व्यापारी मुनाफाखोरी से अपनी कमाई बढ़ा रहे हैं.
लातूर की मंडियों में प्याज को सिर्फ दो रुपये प्रति किलो का भाव मिल रहा है. इसकी वजह से किसानों की लागत निकलना तो दूर, खेत से प्याज निकालकर मंडियों तक ले जाने का गाड़ी का भाड़ा भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में प्याज की फसल को निकाल कर फेंकने के अलावा किसानों के पास और कोई दूसरा रास्ता नहीं बच पाया है.
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महादेव निवृत्ति जाधव अकेले किसान नहीं हैं जिन्होंने प्याज की फसल को नष्ट कर दिया है. उनकी तरह बाकी के कई किसान इसी राह पर अग्रसर हैं. कहीं खेत में ट्रैक्टर चलाया जा रहा है, तो कहीं प्याज को भेड़-बकरियों को खिलाया जा रहा है. जाधव भी प्याज की फसल को काटकर अपने मवेशियों को खिला रहे हैं. जाधव का कहना है कि किसानों के नुकसान को देखते हुए उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए. मुआवजा मिलेगा तभी वे अगली फसल के लिए तैयारी करेंगे, वरना उन्हें खेती से मोहभंग हो जाएगा. जाधव ने कहा कि प्रशासन को प्रति एकड़ के हिसाब से आर्थिक मदद मिलना चाहिए.
प्याज उत्पादक किसानों को एकतरफ थोक मंडियों में केवल दो रुपये प्रति किलो का भाव मिल रहा है, तो वहीं दूसरी ओर इसी प्याज को 15 रुपये प्रति किलो के भाव से व्यापारी रिटेल मार्केट में बेचकर मालामाल हो रहे हैं. कई महीनों की मेहनत और लाखों रुपये की लागत लगाने के बावजूद प्याज उत्पादक किसान इन दिनों अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. जबकि इन्हीं मंडियों में मुनाफाखोरी करने वाले व्यापारी प्याज को आठ गुना ज्यादा भाव से बेचकर मालामाल हो रहे हैं.
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अपनी आपबीती सुनाते हुए लातूर के किसान महादेव निवृत्ति जाधव ने कहा, मैंने दो एकड़ में प्याज की फसल लगाई थी. इसके लिए मुझे 65000 रुपये खर्च करने पड़े. अब मैं प्याज की फसल निकाल रहा हूं जिसके लिए मुझे और 15000 रुपये लग रहे हैं. मैंने सुना है कि अभी मार्केट में प्याज को बहुत ही कम भाव मिल रहा है. इसलिए राज्य सरकार से निवेदन है कि प्याज उत्पादक किसानों को आर्थिक मुआवजा दिया जाए. जाधव ने कहा, दो दिन पहले मैंने यह भी सुना कि पांच टन कांदा (प्याज) बेचने वाले सोलापुर के किसान को सिर्फ दो रुपये मिले हैं. ऐसी खबरों को सुनकर अब आप ही बताएं कि खेत में लगाई हुई प्याज की फसल को मार्केट भेजें या फिर जानवरों को डालें.(रिपोर्ट/अनिकेत जाधव)
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