सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य महराष्ट्र के किसानों में इन दिनों हाहाकार मचा हुआ है. दरअसल, राज्य में मई महीने में बहुत ज्यादा बेमौसम बारिश हुई है. किसानों का कहना है कि आज से पहले कभी भी मई में इतनी बारिश नहीं देख गई है. इससे प्याज फसल को भारी नुकसान पहुंचा है. इसे लेकर महाराष्ट्र राज्य कांदा (प्याज) उत्पादक शेतकरी संगठन ने गुरुवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री अजीत पवार को पत्र लिखकर बेमौसम और मौसमी बारिश के कारण प्याज समेत कृषि उत्पादों को हुए नुकसान की भरपाई, पिछले कुछ महीनों में सस्ते दामों पर बेचे गए प्याज के लिए सब्सिडी और नैफेड से प्याज की पारदर्शी खरीद की मांग की है.
यह पत्र संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भरत दिघोले और नासिक जिला अध्यक्ष जयदीप भदाने ने लिखा है. प्याज संगठन ने पत्र में लिखा है कि मई के महीने में राज्य में अभूतपूर्व बारिश हुई है. 6 मई से पूरे राज्य में गरज और बिजली के साथ भारी से लेकर अत्यधिक भारी बारिश हो रही है. ज्यादातर जिलों में गरज और बिजली के साथ भारी बारिश हुई है.
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा प्याज का उत्पादन होता है और इस समय खेतों में प्याज की कटाई चल रही है, लेकिन बेमौसम बारिश के कारण हजारों हेक्टेयर प्याज बिना काटे ही खेतों में सड़ गया है. साथ ही जिन किसानों ने प्याज की कटाई कर ली थी, लेकिन उसे स्टोर करने के लिए छोड़ दिया था, उनका प्याज भी खेतों में भीग गया है.
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किसान संगठन ने कहा कि राज्य में मुख्य रूप से जलगांव, धुले, नासिक, अहिल्यानगर, छत्रपति संभाजी नगर, पुणे, सोलापुर, बीड, धाराशिव, सांगली, बुलढाणा, अकोला, परभणी, जालना आदि जिलों में बड़ी मात्रा में प्याज का उत्पादन होता है, लेकिन हर दिन लगातार बारिश के कारण हजारों टन प्याज खेतों में सड़ गया है, जिससे किसानों को करोड़ों का आर्थिक नुकसान हुआ है.
प्याज उत्पादक संघ ने कहा कि हम राज्य के प्याज किसानों की ओर से मांग कर रहे हैं कि राज्य सरकार एक स्वतंत्र समिति नियुक्त करे, जो इस आदेश को सख्ती से लागू करे कि केंद्र सरकार के बफर स्टॉक के लिए नैफेड और एनसीसीएफ दोनों के माध्यम से राज्य से खरीदे गए तीन लाख टन प्याज को किसानों की अपनी प्याज बाजार समितियों से 3,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाए. किसान नेताओं ने कहा कि चूंकि राज्य में स्पष्ट बहुमत वाली महायुति सरकार सत्ता में है और केंद्र में भी एनडीए की अपनी सरकार है, इसलिए हम दोनों सरकारों से अनुरोध करते हैं कि प्रभावित किसानों को तत्काल वित्तीय मदद दी जाए.
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