महाराष्ट्र के नासिक जिले में मक्का की खेती पर अमेरिकी फॉल आर्मी वर्म कीट का अटैक हुआ है. इससे फसल खराब हो रही है. जिले के 10 तालुका देवला, सताना, मालेगांव, डिंडोरी, कलवान, येवला, निफाड, चांदवड और नंदगांव में इसका प्रकोप बढ़ गया है. इससे किसान सकते में हैं. क्योंकि यह तेजी से फसल को खराब करता है. किसानों को फसल नुकसान की चिंता सता रही है. साल 2019 में जिले के 90 फीसदी इलाके में अमेरिकन आर्मी वर्म का प्रकोप देखा गया था. उसके बाद तीन वर्षों तक इसका असर नाम मात्र का रहा. लेकिन इस साल फिर यह फसलों के लिए काल बन गया है. बारिश की कमी के कारण फसलें पहले से ही प्रभावित हैं. यह मक्का की फसल के लिए एक उभरता हुआ खतरा है. अगर इसका समय पर मैनेजमेंट न किया जाए तो मक्के की पैदावार 50 फीसदी तक घट सकती है.
पहले से ही किसान बीज की कीमतों में वृद्धि और पेस्टीसाइड यानी क्रॉप प्रोटक्शन की लागत में वृद्धि के कारण परेशान हैं. बारिश न होने से फसलें खराब हो रही हैं. ऊपर से इस खतरनाक कीट का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. ऐसे में किसान अब मक्का की फसल की सुरक्षा के लिए कीटनाशकों के बढ़ते खर्च से परेशान हैं. मोरेनगर (सताना) के किसान मधुकर मोरे ने कहा, "बारिश की कमी के कारण मक्के की वृद्धि रुक गई है. साथ में इस कीट ने तबाह कर रखा है.
किसानों का कहना है कि अमेरिकन आर्मी वर्म अगर मक्के को संक्रमित करेगा तो उपज बहुत कम हो जाएगी. इससे किसानों को भारी नुकसान होगा. कृषि विभाग को युद्ध स्तर पर कदम उठाना चाहिए. कृषि विभाग के माध्यम से मिलने वाली कीटनाशक अभी तक नहीं मिली है.
-ये कीट हरे, गुलाबी, भूरे या काले रंग के होते हैं.
-उनकी आंखों के बीच एक सफेद रंग का अंग्रेजी के उल्टे Y अक्षर जैसा पैटर्न बना होता है.
-उनके शरीर के प्रत्येक खंड में ट्रेपेज़ॉइड पैटर्न के धब्बे होते हैं.
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कृषि क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि जैसे ही इस कीट का संक्रमण दिखाई दे, जो भी इसके लिए रिक्मेंडेड कीटनाशकों का छिड़काव करें. गंध जाल का उपयोग करके कीट सर्वेक्षण किया जाना चाहिए. वर्तमान समय में आर्द्रता अधिक होने के कारण बिवेरिया बैसियाना जैसे अनुकूल कीटनाशक का उपयोग लाभकारी हो सकता है. कीट विज्ञान विशेषज्ञ तुषार उगले ने कहा कि इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि जानवर उन मक्के के चारे वाले खेतों में न जाएं जहां कीटनाशकों का छिड़काव किया गया हो.
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