मॉनसून में इस साल देश के कई राज्यों में भी अच्छी बारिश हुई. मध्य भारत के राज्यों में अगस्त के महीने में जबरदस्त बारिश दर्ज की है. इसका असर फसलों पर भी पड़ा है. भारी बारिश के कारण खरीफ फसलों को नुकसान हुआ है. इसके कारण किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में भी हुए भारी बारिश का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. क्योंकि भारी बारिश के कारण बैतूल जिले के भैंसगेदी विकास खंड में सोयाबीन की फसल में पीला मौजेक रोग का प्रकोप हो गया है. इससे किसानों की फसल बर्बाद हो रही है.
बारिश और रोग के कारण अपनी मेहनत को बर्बाद होते देख किसान परेशान हैं. परेशान किसान कृषि विभाग से मदद की अपील कर रहे हैं. भैंसदोही में अपनी बर्बाद फसल की गुहार लेकर किसान कृषि विभाग के कार्यालय पहुंचे और मदद की अपील करते हुए एक ज्ञापन भी सौंपा. लेकिन ज्ञापन सौंपने के बाद भी किसानों को मदद की कोई उम्मीद दिखाई नहीं दी. कृषि विभाग का रवैया देखने के बाद किसान काफी निराश हो गए. इतना ही नहीं निराश किसान कृषि अधिकारी के पैरों पर गिर पड़े.
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कृषि अधिकारी के पैरों में गिरकर किसानों ने फसल में नुकसान के लिए मुआवजे दिए जाने की मांग की. इसके बाद कृषि अधिकारी ने किसानों को हरसंभव मदद दिलाने का आश्वासन दिया. बता दें कि बारिश अधिक होने के कारण इस क्षेत्र में सोयाबीन और मक्के की खेती में पीला मोजैक का खतरा मंडराने लगा है. इसके कारण खेतों में खड़ी सोयाबीन की फसल पीली पड़ने लगी है. पत्तों में छेद नजर आने लगे हैं. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. बैतूल जिले के भैंसदेही के ग्राम कौडिया, कौडी,लाहस, धुडियानाई, धुडिया पुरानी, बाड़गांव, सारई, भीकुंड,मंथनी, सहित दो दर्जन से अधिक किसानों की सोयाबीन की खेती तो पीला मोजेक रोग से चौपट हो गई है.
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पीला मौजेक रोग एक वायरस जनित रोग होता है. इस रोग से प्रभावित पौधे कहीं-कहीं पर पीले और हरे नजर आते हैं. रोग का प्रकोप ज्यादा होने पर पौधे के सभी पत्ते पीले हो जाते हैं और इसका सीधा असर फसलों की पैदावार पर पड़ता है. पैदावार कम हो जाती है. सोयाबीन की फसल इस रोग से बहुत अधिक प्रभावित होती है. अगर लगातार बारिश हो तब इस रोग का खतरा नहीं होता है पर अगर तीन चार दिन के अंतराल पर बारिश होती तो इस रोग का खतरा बढ़ जाता है. यह सफेद मक्खी के कारण फैलता है. इससे बचाव के लिए रोगरोधी किस्मों की खेती करनी चाहिए.
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