अपने स्वाद और रस से भरे होने के लिए मशहूर अंगूर एक ऐसा फल है, जिसका नाम सुनते ही सभी के मुंह में पानी आता जाता है. इसे खाने के लिए ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती. न तो इसे छीलना पड़ता है और न ही यह ठोस होता है, जो चबाने में मेहनत लगे. अंगूर स्वास्थ्य के लिहाज से भी बहुत ही फायदेमंद होता है. वहीं, मार्केट में भी इसकी डिमांड सालभर बनी रहती है. साथ ही किसानों को भी इसका अच्छा भाव मिलता है. ऐसे में किसान अंगूर की खेती से अच्छी आय हासिल कर सकते हैं.
यूं तो बाजार में अलग-अलग रंग के अंगूर उपलब्ध हैं, लेकिन काले अंगूर की डिमांड हमेशा बनी रहती है और यह महंगा भी बिकता है. इसलिए काले अंगूर की खेती कर किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. दुनियाभर में काले अंगूर की कई वैरायटी उपलब्ध हैं, लेकिन व्यवसायिक लिहाज से कुछ ही काम की मानी जाती हैं. ऐसे में अंगूर के अधिक उत्पादन के जरूरी है कि किसान सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करें. इसकी कुछ ऐसी वैरायटी हैं, जिनमें कीट और रोग नहीं लगते.
इनकी खेती से किसान अच्छा लाभ हासिल कर सकते हैं. भारत में अंगूर की सबसे अधिक खेती महाराष्ट में होती है. देश का लगभग 70 प्रतिशत उत्पादन नासिक जिले में होता है. इसके अलावा राजस्थान, पश्चिमी यूपी, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में इसकी खेती की जाती है.
अरका कृष्णा ब्लैक चंपा और थॉम्पसन बीजरहित के बीच एक क्रॉस किस्म है. इसकी काले रंग की बेरियां बीजरहित और आकार में अंडाकार गोल होती हैं. इसमें 20-21 प्रतिश टीएसएस पाया जाता है. इसकी औसतन पैदावार 33 टन/हेक्टेयर तक होती है. इस किस्म का उपयोग जूस बनाने के लिए किया जाता है.
अरका नील मणि अंगूर की किस्म ब्लैक चंपा और थॉम्पसन बीजरहित के बीच के क्रॉस से विकसित की गई है. इसकी विशेषता के बारे में बात करें तो इसकी काली बेरियां बीजरहित होती हैं. इसमें टीएसएस की मात्रा 20-22 प्रतिशत पाई जाती है. इसकी औसतन पैदावार 28 टन/हेक्टेयर है. वहीं, यह शराब बनाने के लिहाज से उपयुक्त है. यह किस्म अपनी उच्च उपज, स्वाद और प्रतिरोधक क्षमता के कारण अंगूर उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय है.
ये भी पढ़ें - टिश्यू कल्चर विधि से उगाएं हाई क्वालिटी के केले, पाएं 62 हजार रुपये तक की सब्सिडी
अरका श्याम वैरायटी बंगलौर ब्लू और काला चंपा किस्म की क्रॉस वैरायटी है. इसकी बेरियां आकार में मध्यम लंबी, अंडाकार गोलाकार होती है.इसकी बेरियां काली चमकदार होती हैं. इसमें बीज पाया जाता है और स्वाद हल्के होता है. यह किस्म एंथराकनोज के प्रति प्रतिरोधक है और शराब बनाने के लिए सही मानी जाती है.
ब्यूटी सीडलेस अंगूर की किस्म 1968 में रिलीज की गई थी. यह किस्म दक्षिण पश्चिमी जिलों में उगाने पर अच्छे परिणाम देती है. इसकी बेलें मध्यम आकार की होती हैं और अच्छी तरह से फलदार होती हैं. ब्यूटी सीडलेस अंगूर बीजरहित होते हैं, जो मध्यम आकार के और नीले-काले रंग के होते हैं। इनमें टीएसएस की मात्रा 16-18 प्रतिशत होती है। इसमें फल जून के पहले सप्ताह में पक जाते हैं. एक बेल से औसतन 25 किलो अंगूर की पैदावार हासिल होती है.
काली शाहबी अंगूर की किस्म महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में उगाई जाती है. इसकी विशेषताओं की बात करें तो इसकी बेरियां लंबी, अंडाकार बेलनाकार होती हैं. वहीं बीजदार होने के साथ फल का रंग लाल-बैंगनी होता है. इसमें टीएसएस की मात्रा 22% होती है. इसकी औसतन उपज 10-12 टन/हेक्टेयर होती है. (कई बार 12-18 टन/हेक्टेयर पैदावार का भी उल्लेख मिलता है.)
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today