अरहर दाल की खेती से दूर हो रहे इस जिले के किसान, यह है वजह

अरहर दाल की खेती से दूर हो रहे इस जिले के किसान, यह है वजह

किसानों की परेशानी यह है कि उनका मार्केट लिंकेज भी बेहद कमजोर है इसके कारण उन्हें अपने दाल के खरीदार नहीं मिल पाते हैं जो उन्हें दाल की अच्छी कीमत दे सके. यह पहली बार नहीं है जब किसान अरहर की खेती से दूर होने की सोच रहे हैं.

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अरहर दाल की खेती से दूर हो रहे इस जिले के किसान, यह है वजहदाल की खेती से दूर हो रहे किसान फोटोः ट्विटर

देश में खरीफ के सीजन में धान, मकई के साथ-साथ दलहनी फसल के तौर पर अरहर की खेती की जाती है. ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में भी काफी संख्या में किसान खरीफ सीजन में अरहर दाल की खेती करते हैं. पर इस बार जो खबरे आ रही हैं उसके मुताबिक इस बार सुंदरगढ़ जिले के किसान अरहर की खेती से दूर जा रहे हैं. इसके पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि अरहर की जो एमएसपी किसानों को दी जाती है वह खुले बाजार में मिलने वाली कीमत से काफी कम है. यही वजह है कि किसान अब इसकी खेती से दूर होने का मन बना रहे हैं. 

किसानों की परेशानी यह है कि उनका मार्केट लिंकेज भी बेहद कमजोर है इसके कारण उन्हें अपने दाल के खरीदार नहीं मिल पाते हैं जो उन्हें दाल की अच्छी कीमत दे सके. यह पहली बार नहीं है जब किसान अरहर की खेती से दूर होने की सोच रहे हैं, पिछले साल भी यहां के किसानों ने अपनी उपज को एमएसपी पर बेचने से परहेज किया था. गौरतलब है कि आर्थिक मामलों की मंत्रीमंडलीय समिति ने हाल में अरहर दाल के लिए एमएसपी को 66 रुपये से बढ़ाकर 70 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया था, लेकिन खुदरा बाजार में दाल की कीमत 120 रुपये से 160 रुपये प्रति किलोग्राम तक है.   

एमएसपी से अधिक है खुले बाजार में दाल की कीमत

द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक अरहर की कम एमएसपी का फायदा निजी व्यापारी और बिचौलिये उठा रहे हैं. वो सीधे किसानो से ऊंची कीमतों में अरहर दाल की खरीद कर रहे हैं. इसके कारण कोई भी किसान सरकार को धान बेचने के लिए तैयार नहीं हो रहा है. खबर के मुताबिक एक अधिकारी ने दावा किया की पिछले साल पिछले साल ओडिशा स्टेट को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (MARKFED) को 66 रुपये प्रति किलोग्राम के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अरहर की खरीद का जिम्मा सौंपा गया था,  पर उस साल मार्कफेड द्वारा दाल की खरीद लगभग शून्य रहा. 

किसानों को नहीं है बाजार की जानकारी

खबर के मुताबिक अधिकारी ने कहा कि अरहर की मांग अधिक बनी हुई है इससे किसानों को थोड़ा लाभ तो हो रहा पर किसानों को दाल के वर्तमान बाजार कीमत के बारे में जानकारी नहीं है इसके कारण उनकी कमाई प्रभावित होती है, और वो बेहद कम कीमत पर बिचौलियों को अपने उत्पाद बेचने के लिए सहमत हो जाते हैं. मिली खबर के अनुसार जिले के छोटे और सीमांत किसानों की स्थिति इतनी खराब है कि उनकी पहुंच सीधे बाजार तक भी नहीं है पर इसके बावजूद वो अपनी खरीफ सीजन में दाल की खेती को छोड़ना चाह रहे हैं.

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