scorecardresearch
जब देश में फैले अकाल ने स्वामीनाथन को दिखाई कुछ कर गुजरने की राह...पढ़ें उनसे जुड़ी 10 बड़ी बातें

जब देश में फैले अकाल ने स्वामीनाथन को दिखाई कुछ कर गुजरने की राह...पढ़ें उनसे जुड़ी 10 बड़ी बातें

कृषि के विषय में उनकी गहरी रुचि और उसे पढ़ने की प्रेरणा उन्हें महात्मा गांधी ने मिली. क्योंकि स्वतंत्रता के आंदोलन में उनके पिता ने अपनी भागीदारी निभाई थी इसलिए उनके जीवन में महात्मा गांधी का प्रभाव था.

advertisement
एम एस स्वामीनाथन से जुड़ीं 10 बड़ी बातें                फाइल फोटो एम एस स्वामीनाथन से जुड़ीं 10 बड़ी बातें फाइल फोटो

एमएस स्वामीनाथन, भारतीय हरित क्रांति के जनक माने जाते थे. पर क्या आप जानते हैं कि बचपन में उनका झुकाव कृषि पर नहीं था. उन्होंने कुंभकोणम शहर के एक स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की थी. इसके बाद उन्होंने एक मेडिकल स्कूल में एडमिशन लिया था. कुंभकोणम एसएस स्वामीनाथन का पैतृक शहर है, यहीं पर उनका जन्म हुआ था. कुंभकोणम शहर के मेडिकल स्कूल में एडमिशन लेने के बाद उन्होंने 1943 का में बंगाल में पड़े भीषण अकाल का वो दुखद दौर देखा जिसने उनके मन को को बदल कर रख दिया, इसके बाद से ही उन्होंने कृषि अनुसंधान करने का फैसला कर लिया. उसी शुरूआत ने वर्षों बाद देश को हरित क्रांति का तोहफा दिया और भारत को खाद्य सुरक्षा दिलाई. क्योंकि सच्चाई यह है कि हरित क्रांति के बाद देश ने दूसरा अकाल नहीं देखा.

एमएस स्वामीनाथन को हरित क्रांति का जनक इसलिए कहा जात है क्योंकि उन्होंने इसकी सफलता के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसके लिए उन्होंने उस वक्त के दो केंद्रीय मंत्रियों सी सुब्रमण्यम और जगजीन राम के साथ काम किया था. कृषि के विषय में उनकी गहरी रुचि और उसे पढ़ने की प्रेरणा उन्हें महात्मा गांधी ने मिली. क्योंकि स्वतंत्रता के आंदोलन में उनके पिता ने अपनी भागीदारी निभाई थी इसलिए उनके जीवन में महात्मा गांधी का प्रभाव था. आइए जानते हैं उनसे जीवन से जुड़ीं 10 महत्वपूर्ण बातें. 

ये भी पढ़ेंः हर‍ियाणा सरकार ने रखा 424 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई का टारगेट, क‍िसानों के ल‍िए खास इंतजाम 

एम एस स्वामीनाथन की 10 बड़ी बातें

  • एमएस स्वामीनाथन पढ़ने में बचपन से ही काफी तेज थे. कृषि विज्ञान में उनकी गहरी रुचि थी. उन्होंने कृषि महाविद्यालय कोयंबटूर से स्नातक की डिग्री हासिल की थी, जो अब तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा भी उन्होंने एक और स्नातक की डिग्री हासिल थी. उनके फैमिल बैकग्राउंड की बात करें तो तीन बेटिंया हैं. 
  • देश को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने में सराहनीय भूमिका निभाने वाले एमएस स्वामीनाथन ने धान की अधिक उपज देने वाली देने वाली किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. स्वामीनाथन के मन सेवा की भावना आ गई ती. यही वजह रही की उन्होंने स्वदेशी आंदोलन और तमिलनाडु में मंदिर प्रवेश आंदोलन में भाग लिया था. 
  • तिरुअंनतपुरम के महाराजा कॉलेज से जूलॉजी से ग्रेजुएशन करने बाद उन्होंने एग्रीकल्चर साइंस में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने प्लांट ब्रीडिंग और जेनेटिक्स की पढ़ाई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से की. 
  • कृषि के प्रति उनका इतना लगाव था कि यूपीएस की परीक्षा करने के बाद भी उन्होंने आलू की जेनेटिक्स पर रिसर्च जारी रखने के लिए नीदरलैंड के वैगनिंगेन कृषि विश्वविद्यालय में फेलोशिप लेने चले गए. 
  • अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए फिर स्वामीनाथन के कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर से पीएचडी की डिग्री हासिल की. 
  • 1954 में भारत आने के बाद भी उनका शोध जारी रहा. भारतीय वन सर्वेक्षण में उन्होंने महत्वपूर्ण भमिका निभाई थी. भारतीय कृषि महानिदेशक के पद पर रहते हुए उन्होंने भारत के राष्ट्रीय पादप, पशु और मछली अनुवांशिकी संसाधन ब्यूरो का गठन किया था.
  • जैविक विज्ञान के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए एम एस स्वामीनाथन को वर्ष 1961 में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.  इसके साथ ही 1989 में भारत सरकार की तरफ से उन्हें पद्म विभूषण दिया गया. 

ये भी पढ़ेंः गन्ना के बकाए भुगतान की मांग लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन, चीनी मिल के गेट पर जड़ा ताला

  • एमएस स्वामीनाथन ने 1981 से लेकर 1985 तक खाद्य और कृषि संगठन के स्वतंत्र अध्यक्ष तौर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. देश में उनके मेहनत और दूरदर्शी सोच का ही नतीजा था की हरित क्रांति लागू होने के बाद देश नें अकाल नहीं देखा, जो पहले आम बात था. 
  • कृषि संबंधित कई महत्वपूर्ण विषयों पर उन्होंने भारत सरकार को जरूरी सलाह दिए थे. इसके अलावा वो राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर कई संगठनों में महत्वपूर्ण पदों पर अपनी भागीदारी निभायी थी. 
  • भारतीय कृषि प्रति उनकी गहरी समझ और समर्पण गजब की थी. यही कारण है कि उन्हें 1979 में भारत सरकार के कृषि मंत्रालय का प्रधान सचिव नियुक्त किया गया था.  इतना ही नहीं भारत में किसानों के आत्महत्य के मुद्दे को संबोधिक करने के लिए वर्ष 2004 में उनकी अध्यक्षता में स्वामीनाथन किसान आयोग का गठन किया. 
  • सामुदायिक नेतृत्व के लिए एमएस स्वामीनाथन को 1971 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार दिया गया जबकि 1999 में उन्हें यूनेस्को महात्मा गांधी स्वर्ण पदक से नवाजा गया.