झारखंड में तसर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. झारखंड के सिल्क को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए यहां के तसर सिल्क से बने कपड़े को हाल ही में पीएम मोदी ने अमेरिका दौरे के दौरान राष्ट्रपति दपंति को तोहफे में दिया था. सिल्क के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय तसर अनुसंधान केंद्र नगड़ी में बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक में झारखंड में तसर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण पर चर्चा की गई. इस बैठक से पहले आईएफएस संजीव कुमार, सिद्धो कान्हो फेडरेशन के अधिकारी समेत वन विभाग के अन्य अधिकारियों ने केंद्र का दौरा किया. टीन ने इस दौरान संस्थान के फार्म क्षेत्र में चल रहे रेशमकीट पालन, संग्रहालय और प्रयोगशालाओं का भी दौरा किय़ा.
बैठक के दौरान संस्थान के निदेशक डॉ. एन.बी. चौधरी ने तसर रेशम उद्योग में उद्यमशीलता के अवसरों के लिए झारखण्ड में तसर उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए कार्यप्रणाली को मजबूत करने पर पर जोर दिया. इस बैठक का मुख्य उद्देश्य झारखण्ड में तसर उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए कार्य प्रणाली पर चर्चा करना था. आईएफएस संजीव कुमार सह सीईओ, कैंपा ने इस बात पर जोर दिया कि किसानों की आजीविका वृद्धि के लिए वन-उपज के साथ-साथ व्यवसाय विकास का प्रबंधन करना है. केंद्र का दौरा करने गई टीम और तसर अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों के बीच एक विस्तृत चर्चा की गई और संयुक्त दृष्टिकोण के लिए योजना साझा की गई.
डॉ. एन.बी. चौधरी, निदेशक ने राज्य में गुणवत्तापूर्ण तसर उत्पादन को बढ़ाने के लिए हर संभव तकनीकी सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया. इस अवसर पर टीम के सदस्यों ने तसर के लिए उपयोगी पौधा जरूल का पौधा रोपण भी किया. गौरतलब है कि संस्थान देश का इकलौता संस्थान हैं जहां पर तसर सिल्क सिल्क के प्रचार, प्रसार और शोध पर काम होता है. इस संस्थान से ही देश के अन्य राज्य में स्थित अनुसंधान केंद्र कार्य करते हैं.
झारखंड में तसर उत्पादन को लेकर स्वतंत्रता दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड हमेश से तसर उत्पादन में अग्रणी राज्य रहा है. तसर रेशम के उत्पादन में गुणात्मक एवं संख्यात्मक वृद्धि के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में 6250 रेशम उत्पादकों को उन्नत कीट पालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. वर्ष 2022-23 में 872 मीट्रिक टन कच्चे रेशम का उत्पादन किया गया. झारखंड के तसर सिल्क की एक और खासियत है कि यहां के कुचाई सिल्क को जीआई टैग भी मिल चुका है.
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