MSP पर धान बेचने के बाद दूसरी किस्त की राशि मिलने का इंतजार कर रहे गुमला के 800 किसान

MSP पर धान बेचने के बाद दूसरी किस्त की राशि मिलने का इंतजार कर रहे गुमला के 800 किसान

गुमला जिले मे ऐसे किसानों की संख्या 800 है जिन्होंने सरकारी दर पर धान की बिक्री की थी. यह बिक्री ऐसे समय पर की थी जब राज्य में गंभीर सूखा पड़ा था, इसके बावजूद किसानों ने लैंपस पर भरोसा दिखाया पर इसके बावजूद उन्हें यहां से निराशा ही हांथ लगी है.

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MSP पर धान बेचने के बाद दूसरी किस्त की राशि मिलने का इंतजार कर रहे गुमला के 800 किसानधान बेचने के बाद बकाया राशि का इंतजार कर रहे किसान फोटोः किसान तक

झारखंड में किसानों और लैपंस के बीच पुराना विवाद रहा है. इसके कारण किसानों को खामियाजा भुगतना पड़ता है क्योंकि उन्हें सही समय पर पैसे नहीं मिलते हैं. झारखंड में यही कारण है कि किसान सरकारी दर पर धान नहीं बेचना चाहते हैं क्योकि इसके बाद उन्हें अपने बेचे गए धान के पैसे लेने में लैंपस के चक्कर लगाने पड़ते हैं. कई बार तो साल भर बीत जाने के बाद भी पैसा नहीं मिल पाता है. इसके कारण किसान बिचौलियों को कम दाम में ही धान बेच देते हैं क्योकिं उन्हें समय पर नकद पैसे मिल जाते हैं. ताजा मामला झारखं के गुमला जिले का है जहां के किसान इस बात को लेकर चिंतित हैं कि बारिश तो जैसे तैसे हो रही है पर इस बार धान कैसे खरीदेंगे और खेती कैस करेंगे. क्योंकि पिछले साल बेचे गए धान की दूसरी किस्त की राशि अभी तक किसानों को नहीं मिल पाई है. 

गुमला जिले मे ऐसे किसानों की संख्या 800 है जिन्होंने सरकारी दर पर धान की बिक्री की थी. यह बिक्री ऐसे समय पर की थी जब राज्य में गंभीर सूखा पड़ा था, इसके बावजूद किसानों ने लैंपस पर भरोसा दिखाया पर इसके बावजूद उन्हें यहां से निराशा ही हांथ लगी है. अब किसान कह रहे हैं कि उनके पास धान बीज और खाद खरीदने का पैसा नहीं है, लैंपस से पैसे मिल नहीं रहे हैं ऐसे में वो खेती कैसे कर पाएंगे. कुछ ऐसे किसान भी हैं जो उधार लेकर खेती करने की तैयारी कर रहे हैं पर कुछ ऐसे किसान हैं, जिन्हें उधार भी नहीं मिल पा रहा है. 

मंत्री के सामने बैठक में उठा मुद्दा

गौरतलब है कि पिछले दिनों ही गुमला जिले में मंत्री रामेश्वर उरांव एक बैठक में शामिल हुए थे. इस बैठक में किसानों की धान बिक्री का पैसा नहीं मिलने का भी मुद्दा उठा था. पर इसके बावजूद किसानों को उनकी बकाया राशि देने को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की गई या इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक खबर तो यह मिल रही है कि इस मामले में राज्य के वित्त मंत्री ने कोई सटीक जवाब दिया है. बैठक में शामिल सूत्रों के मुताबिक मंत्री ने इस मामले में घोल-मोल जवाब दिया और चलते बने. 

लैंपस में पड़ा है धान

वहीं जिले के जिला आपूर्ति पदाधिकारी गुलाम समदानी का कहना है कि जिले के किसानों को 10-15 जिलों ने अंदर उनकी दूसरी किस्त का भुगतान कर दिया जाएगा ताकि वो अच्छे तरह से खेती कर सके. उन्होंने कहा कि किसानों ने जो धान बेचा है वो अभी तक लैंपस में पड़ा हुआ है. मिलर द्वारा धान का उठाव होने पर तुरंत पैसे का भुगतान कर दिया जाएगा.  

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